BJP In Rajasthan: राजस्थान में भाजपा संगठन चुनावों को लेकर विवाद: मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर उठे सवाल
राजस्थान में भाजपा के संगठन चुनावों में गहमागहमी तेज हो गई है। केंद्रीय नेताओं के निर्देशों और नए नियमों के कारण न तो मंडल अध्यक्ष नियुक्त हो पा रहे हैं और न ही जिलाध्यक्षों का चुनाव हो सका है। इसके चलते पार्टी में नाराजगी और असंतोष का माहौल बना हुआ है।

भाजपा की चुनाव प्रक्रिया के अनुसार पहले मंडल अध्यक्ष चुने जाते हैं। फिर जिलाध्यक्षों का चुनाव होता है। राजस्थान में मंडल अध्यक्षों की सूची जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया। कई कार्यकर्ताओं ने दागी और बागी नेताओं को मंडल अध्यक्ष बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं।
जिलाध्यक्षों के लिए पैनल पर मतभेद
राज्य के प्रत्येक जिले के विधायकों ने अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए प्रयास किए हैं। जिससे सहमति बनाना मुश्किल हो रहा है।
समय पर चुनाव होंगे या नहीं?
राजस्थान में संगठनात्मक चुनावों की तारीख पहले 30 दिसंबर और फिर 10 जनवरी तय की गई थी। लेकिन अब तक प्रक्रिया अधूरी है। इस स्थिति में समय पर चुनाव होने पर संशय बना हुआ है।
आलाकमान का नया नियम बनी बाधा
भाजपा ने मंडल अध्यक्षों के लिए 35-45 वर्ष और जिलाध्यक्षों के लिए 45-60 वर्ष की आयु सीमा तय की है। इससे लंबे समय से संगठन में काम कर रहे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में असंतोष है। क्योंकि उन्हें अब मौका नहीं मिल पा रहा।वरिष्ठ कार्यकर्ता बनाम युवा नेतृत्व
युवा नेताओं को प्रोत्साहित करने की कोशिश में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के अनुभवों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस वजह से अनुभव और नेतृत्व के बीच सामंजस्य की समस्या उत्पन्न हो सकती है। खासकर यदि युवा मंडल अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी में वरिष्ठों को शामिल करते हैं।
जयपुर जिलाध्यक्ष के लिए संभावित नाम
जयपुर जिलाध्यक्ष पद के लिए कई प्रमुख नाम सामने आए हैं। जिनमें पुनीत कर्नावट (उपमहापौर), विमल अग्रवाल, संजय जैन, शैलेन्द्र भार्गव और निर्मल नाहटा शामिल हैं। हालांकि, मंडल अध्यक्षों के चुनाव न होने के कारण जिलाध्यक्षों का चुनाव भी अटका हुआ है।
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष ने हाल ही में जयपुर दौरे के दौरान प्रदेश नेतृत्व की आलोचना की और स्पष्ट निर्देश दिए कि पहले सभी मंडल अध्यक्षों की घोषणा की जाए। फिर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जाए।
विवादित जिलों की सूची
भाजपा के भीतर जिन जिलों में नियुक्तियों को लेकर विवाद की आशंका है, उनमें जयपुर (शहर और ग्रामीण), अजमेर, भीलवाड़ा, सवाईमाधोपुर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, उदयपुर और बाड़मेर शामिल हैं। इन जिलों में विवाद से बचने के लिए पार्टी अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है।