10 Big Political Events of The Year 2024: साल 2024 की 10 बड़ी राजनीतिक घटनाएं: जो देश भर में चर्चा बनी
1.संसद में 2024 के आम चुनावों के लिए विवादित बयान – विपक्षी नेताओं और भाजपा नेताओं के बीच तीखी बहस।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान पर बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने आंबेडकर के नाम के इस्तेमाल को ‘फैशन’ बताया था। इस पर कांग्रेस ने शाह पर संविधान निर्माता का अपमान करने का आरोप लगाया है, जबकि BJP ने कांग्रेस पर क्लिप्ड वीडियो शेयर करने और घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसदों ने संसद में आंबेडकर की तस्वीरें लेकर शाह से माफी की मांग की।
2. पंजाब में भगवंत मान की नेतृत्व वाली सरकार का संकट – विरोधियों ने पंजाब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला।
पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। राज्य में बढ़ते मुद्दों और प्रशासनिक नाकामी को लेकर विरोधी दलों ने सरकार पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। विपक्षी नेताओं ने सरकार के कामकाज को सवालों के घेरे में लाते हुए प्रदर्शन और आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। यह राजनीतिक संकट राज्य की राजनीति में नए उतार-चढ़ाव का संकेत दे रहा है।
3. कांग्रेस और भाजपा के बीच छत्तीसगढ़ में चुनावी घमासान – कांग्रेस के नेतृत्व पर उठे सवाल और भाजपा की नई रणनीति।
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीव्र राजनीतिक घमासान देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। जहां कुछ नेता पार्टी के फैसलों और रणनीतियों पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। वहीं भाजपा ने अपनी नई रणनीति के तहत राज्य में जोरदार प्रचार अभियान शुरू किया है, जिसमें संगठन को मजबूत करने और कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया गया है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दों को उभारते हुए चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की है। दोनों पार्टियों के बीच यह घमासान छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है।
4. राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच विवाद – कांग्रेस में आंतरिक कलह ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया।
राजस्थान में कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच बढ़ते विवाद ने पार्टी के भीतर आंतरिक कलह को उजागर किया है। जो राज्य के चुनावी माहौल को प्रभावित कर रहा है। पायलट और गहलोत के बीच सत्ता संघर्ष और नेतृत्व के मुद्दे पर तनाव गहरा गया है। इस विवाद ने पार्टी के भीतर असहमति को और तीव्र किया। जिससे कांग्रेस को आगामी चुनावों में एकजुटता के साथ चुनावी प्रचार करने में मुश्किलें आ रही हैं। पार्टी के भीतर के मतभेदों ने विपक्ष को मजबूत किया है। और अब दोनों नेताओं के समर्थक भी इस विवाद को लेकर अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।
5. महाराष्ट्र में शिवसेना का विभाजन – उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच शक्ति संघर्ष।
महाराष्ट्र में शिवसेना के भीतर गहरा विभाजन देखने को मिला है। जहां उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच सत्ता और नेतृत्व को लेकर संघर्ष छिड़ गया है। शिंदे ने शिवसेना से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई और भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद से दोनों गुटों के बीच राजनीतिक जंग तेज हो गई है। जिससे पार्टी का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है। उद्धव ठाकरे गुट ने शिंदे को पार्टी विरोधी कदम उठाने का आरोप लगाया। जबकि शिंदे गुट ने पार्टी के मूल सिद्धांतों को बचाने की बात की है। इस विभाजन ने राज्य की राजनीति में नए सिरे से हलचल मचाई है और आगामी चुनावों में इसका बड़ा असर हो सकता है।
6. तेलंगाना में केसीआर की सत्ता में वापसी – विपक्षी दलों के हमले के बावजूद केसीआर ने अपनी स्थिति मजबूत की।
तेलंगाना में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने विधानसभा चुनावों में शानदार वापसी की है। विपक्षी दलों के लगातार हमलों के बावजूद अपनी स्थिति मजबूत रखी। केसीआर की पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (BRS), ने विधानसभा चुनावों में एक बड़ी जीत हासिल की जिससे उनकी राजनीतिक ताकत में वृद्धि हुई है। विपक्षी दलों ने केसीआर पर कई आरोप लगाए थे। लेकिन उन्होंने चुनावी रणनीति और जनता के बीच अपनी पकड़ को मजबूती से बनाए रखा। इस जीत ने उनकी सरकार को राज्य में स्थिरता प्रदान की है और उनके नेतृत्व को पुनः साबित किया है।
7. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच तीखा मुकाबला – प्रदेश में चुनावी माहौल गर्माया।
उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तीखा मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी की ताकत दिखाने के लिए जोरदार प्रचार अभियान शुरू किया है। अखिलेश यादव ने योगी सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए उन्हें विफल बताया। जबकि योगी आदित्यनाथ ने राज्य में विकास और कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। चुनावी माहौल अब पूरी तरह से गर्मा चुका है। और दोनों दलों के समर्थक अपने-अपने नेता को जीत दिलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
8. बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के गठबंधन ने भाजपा को चुनौती दी – महागठबंधन की ओर से भाजपा के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने भाजपा को चुनौती देने के लिए एकजुट होकर शक्ति प्रदर्शन किया। दोनों नेताओं ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए राज्य में अपनी राजनीति को मजबूती से स्थापित करने की कोशिश की है। महागठबंधन ने भाजपा के खिलाफ आगामी चुनावों में एक मजबूत विकल्प प्रस्तुत किया है। जहां समाजिक न्याय, बेरोज़गारी और विकास जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी जा रही है। भाजपा के खिलाफ इस गठबंधन की ओर से किया गया यह शक्ति प्रदर्शन राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है।
9. कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के बाद कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया – भाजपा के लिए बड़ा झटका।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करते हुए कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया है, जो भाजपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। कांग्रेस ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य में सत्ता संभाली और मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया को चुना। भाजपा ने चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस पर तीखे हमले किए थे, लेकिन जनता ने भाजपा के खिलाफ अपने समर्थन का इज़हार किया। कांग्रेस की जीत ने राज्य की राजनीति में नई दिशा दिखाई है। और अब भाजपा को सत्ता से बाहर होने के बाद अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।
10. विपक्षी दलों के महागठबंधन का निर्माण – राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों ने भाजपा के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों ने भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। विभिन्न राज्यों के प्रमुख विपक्षी नेता एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ साझा मंच पर आने की योजना बना रहे हैं। यह महागठबंधन भाजपा के खिलाफ चुनावी रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। जिसमें समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और अन्य क्षेत्रीय दल शामिल हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि देश में बढ़ती असमानता, बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर भाजपा की नीतियों के खिलाफ जनता में गुस्सा है। और वे इसे आगामी चुनावों में उभारने का प्रयास करेंगे। इस गठबंधन का उद्देश्य भाजपा के विजय रथ को रोकना और एक मजबूत विपक्षी विकल्प प्रस्तुत करना है।