Rajasthan Rang Mahotsav: जेकेके में 2 जनवरी से शुरू होगा राजस्थान रंग महोत्सव: रंगमंच और साहित्य का समागम
जयपुर: नववर्ष की शुरुआत राजस्थानवासियों के लिए रंगमंच और साहित्य के रंगों से सराबोर रहने वाली है। जवाहर कला केंद्र (जेकेके), जयपुर में 2 से 6 जनवरी, 2025 तक 7वां राजरंगम् आयोजित होगा। इस पांच दिवसीय महोत्सव में 150 से अधिक कलाकारों द्वारा पांच नाटकों का मंचन किया जाएगा।
राजरंगम् का आयोजन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और एक्टर्स थिएटर एट राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। यह महोत्सव न केवल रंगमंच का उत्सव है। बल्कि साहित्य और नाट्य कला का अनूठा संगम भी प्रस्तुत करेगा।
2 जनवरी शाम 6:30 बजे रंगायन सभागार
महोत्सव की शुरुआत डॉ. चन्द्रदीप हाड़ा के निर्देशन में नाटक ‘कालपुरुष क्रांतिकारी वीर सावरकर’ से होगी। जयवर्धन द्वारा लिखित यह नाटक वीर सावरकर के जीवन की प्रेरणादायक यात्रा पर आधारित है।
3 जनवरी शाम 6:30 बजे रंगायन सभागार
दूसरे दिन हेनरिक इब्सन की रचना पर आधारित नाटक ‘एनिमी ऑफ द पीपल’ का मंचन होगा, जिसका नाट्य रूपांतरण नेमीचन्द्र जैन ने किया है। योगेन्द्र सिंह के निर्देशन में यह नाटक ईमानदार व्यक्ति की कठिनाइयों को उजागर करता है।
4 जनवरी शाम 6:30 बजे रंगायन सभागार
महाभारत युग पर आधारित रबीन्द्र नाथ टैगोर की कहानी ‘चित्रांगदा’ को संकेत जैन द्वारा निर्देशित किया जाएगा। नाटक में अर्जुन और चित्रांगदा की प्रेम कहानी को प्रभावशाली ढंग से मंचित किया जाएगा।
5 जनवरी शाम 6:30 बजे रंगायन सभागार
सुनीता तिवारी नागपाल (एनएसडी) के निर्देशन में ‘पीले स्कूटर वाला आदमी’ का मंचन होगा। यह नाटक आम आदमी के जीवन की जटिलताओं और सुंदरता को उजागर करता है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी: इसी दिन दोपहर 3 बजे, कृष्णायन सभागार में ‘भारत की कला, संस्कृति और आपदा प्रबंधन’ विषय पर चर्चा होगी।
6 जनवरी शाम 6:30 बजे रंगायन सभागार
महोत्सव का समापन धीरज भटनागर के निर्देशन में ‘चित्रलेखा’ के मंचन के साथ होगा। भगवती चरण वर्मा की रचना पर आधारित इस नाटक में पाटलिपुत्र की प्रसिद्ध नृत्यांगना चित्रलेखा की कहानी दर्शाई जाएगी।
राजरंगम् महोत्सव की नींव राजस्थान के आधुनिक रंगमंच पर हुए शोध पर आधारित है। इसके निदेशक डॉ. चन्द्रदीप हाड़ा, जिन्होंने रंगमंच के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्ष 2012 में इस नाट्य महोत्सव की परिकल्पना की। यह महोत्सव राजस्थान के प्रतिष्ठित नाट्य निर्देशकों के कार्यों को नई पीढ़ी के सामने लाने का मंच बन गया है।