Maharana Pratap University of Agriculture and Technology Update: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह: “भारत ऋषिप्रधान और कृषि प्रधान देश है”
जयपुर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भारतीय कृषि और संस्कृति के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि भारत न केवल ऋषिप्रधान बल्कि कृषि प्रधान देश भी है। किसानों के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि का जीवन में सर्वोपरि महत्व है। यदि किसान कृषि उत्पादन न करें। तो जीवन संभव नहीं होगा।
कृषि में आत्मनिर्भरता
राज्यपाल ने बताया कि वर्तमान में देश 146 करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त अनाज का उत्पादन करता है। इसमें आत्मनिर्भरता हासिल करना हमारी कृषि संस्कृति की उपलब्धि है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से किसानों के हित में नई प्रौद्योगिकी और शोध पर काम करने का आह्वान किया। जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके।
भारतीय संस्कृति और शिक्षा का गौरव
राज्यपाल ने भारतीय संस्कृति पर विदेशी आक्रमणों के बावजूद उसकी जीवंतता और जीवटता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति की कुल गुरु परंपरा का अंग्रेजों ने भी आदर किया। उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय वेदों में गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान मौजूद था। जबकि पश्चिम में यह सिद्धांत कॉपरनिकस ने 1530 में बताया।
नई शिक्षा नीति और भारतीय परंपरा
उन्होंने नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा और कृषि के महत्व को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि किसी देश को नष्ट करने के लिए बम की आवश्यकता नहीं होती। शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ना ही काफी है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया। लेकिन आजादी के बाद इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास हो रहे हैं।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
राज्यपाल ने रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान की चर्चा करते हुए कहा कि इससे धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने और युवाओं को कृषि में रुचि लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि पानी का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है और इसके अपव्यय को रोकने के प्रयास होने चाहिए।