World Chess Championship 2024: डी गुकेश बने सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियनशिप 2024 विजेता
वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में भारत के डी गुकेश सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बने। 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश को 14वें गेम में चीन के डिंग लिरेन को हराकर वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 का खिताब अपने नाम किया । भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश 12 दिसंबर को सिंगापुर में विश्व शतरंज चैंपियनशिप के निर्णायक 14वें गेम में डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बन गए। वह विश्वनाथन आनंद के बाद शतरंज में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।
53वीं चाल पर बाज़ी मारकर ख़िताब किया अपने नाम
गुकेश और डिंग मैच के अंतिम गेम में 6.5 अंकों के साथ बराबरी पर थे। डिंग लिरेन मैच को टाईब्रेकर तक ले जाना चाह रहे थे। लेकिन अंत में गुकेश ने पासा पलट कर जीत हासिल कर ली । 14वीं बाजी जिसमें डिंग सफेद मोहरों से खेल रहे थे। गुकेश काले मोहरों के साथ इतने समय की मेहनत के बाद मैच ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था। तभी मैच की 53वीं चाल में डिंग ने गलती कर दी और गुकेश ने मौका पाकर बाजी पलट डाली। गुकेश ने 4 घंटे में 58 चाल के बाद लिरेन के खिलाफ 14वीं बाजी जीती और 18वें विश्व शतरंज चैंपियन बने। गुकेश ने गलती का फायदा उठाते हुए। वर्ल्ड चैस चैंपियनशिप का टैग अपने नाम कर लिया और पिछले वर्ष के विश्व चैंपियन को इस वर्ष मात दे दी ।
डी गुकेश वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप के 18वें विश्व चैंपियन और सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चैंपियन बने। गुकेश ने 14वें गेम में चीन के डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से हराया। इससे पहले 13वां गेम ड्रॉ रहा था। गुकेश ने तीसरा 11वां और 14वां गेम जीता। वहीं लिरेन ने पहला और 12वां गेम जीता। बाकी सभी गेम ड्रॉ रहे। गुकेश ने इससे पूर्व 17 साल की उम्र में FIDE कैंडिडेट्स चेस टूर्नामेंट में भी जीत हासिल की थी। तब वह ऐसा करने वाले भी सबसे युवा खिलाड़ी बन गए थे। 18 साल की उम्र में डी गुकेश, विश्वनाथन आनंद के बाद शतरंज में विश्व चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए है। शतरंज (चैस) की दुनिया में डी गुकेश ने अपना नाम बना लिया और इतिहास रच दिया है।
हर शतरंज खिलाड़ी इस सपने को जीना चाहता है
वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 का ख़िताब जितने के बाद ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने मीडिया को कहा,”मैं पिछले 10 वर्षों से इस पल का सपना देख रहा था। मुझे खुशी है कि मैंने इस सपने को हकीकत में बदला। उन्होंने कहा मैं थोड़ा भावुक हो गया था। क्योंकि मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी लेकिन फिर मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला। गुकेश ने कहा हर शतरंज खिलाड़ी इस सपने को जीना चाहता है। मैं अपना सपना जी रहा हूं। वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीतकर गुकेश ने भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। गुकेश को देख कर आज का युवा प्रेरणा लेगा और अपने परिवार और भारत का नाम रोशन करेगा। गुकेश को देख युवाओ में उत्साह बढ़ गया है। इतनी काम उम्र में इतना इतने बड़े काम देख कर युवा प्रेरित हो रहे है।
पहली बार 2 एशियाई खिलाड़ी आमने-सामने
डी गुकेश की से पहले रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बने थे। जिन्होंने 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में खिताब अपने नाम किया था। अंतरराष्ट्रीय चेस फेडरेशन के 138 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार 2 एशियाई खिलाड़ी आमने-सामने आए है। डी गुकेश को वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने पर 20.86 करोड़ रुपए (2.5 मिलियन यूएस डॉलर) की राशि मिलेगी ।
पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने दी बधाई
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- ऐतिहासिक और अनुकरणीय गुकेश डी को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई। यह उनकी अद्वितीय प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय का परिणाम है। उनकी जीत ने न केवल शतरंज के इतिहास में उनका नाम दर्ज किया है। बल्कि लाखों युवा दिमागों को बड़े सपने देखने और उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने पर गुकेश को हार्दिक बधाई। उन्होंने भारत को बहुत गौरवान्वित किया है। उनकी जीत शतरंज की महाशक्ति के रूप में भारत की साख को दर्शाती है। गुकेश ने बहुत बढ़िया काम किया है। हर भारतीय की ओर से मैं कामना करती हूं कि आप भविष्य में भी इसी तरह सफल होते रहें।
विश्वनाथन आनंद डी गुकेश के गुरु
डोमराज गुकेश (डी गुकेश) चेन्नई के रहने वाले हैं। उनके पिता डॉ. रजनीकांत चिकित्सक और माँ डॉ. पद्मा माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। डी गुकेश के पिता 15 दिन सर्जरी करते थे और 15 दिन टूर्नामेंट के लिए गुकेश के साथ सफर करते थे। अपना करियर देव पर लगाया बेटे की कामयाबी के लिए। डी गुकेश ने 7 साल की उम्र से शतरंज सीखना शुरू किया था। उन्हें शतरंज की शुरुआती कोचिंग भास्कर ने दी तत्पश्चात उन्हें खुद विश्वनाथन आनंद ने ट्रेनिंग दी।
शतरंज के कारण चौथी कक्षा के बाद नहीं गए स्कूल
सबसे युवा शतरंज चैंपियन डी गुकेश की फॉर्मल स्कूलिंग चौथी कक्षा तक ही हुई है। चेन्नई के वेलम्मल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल गए थे। वेलम्मल स्कूल से अब तक 17 ग्रैंडमास्टर निकले है । चेन्नई का वेलम्मल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल (मोगाप्पैर ब्रांच) चेस की फैक्ट्री है खेल और पढ़ाई के साथ तालमेल बैठाने के लिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई करने से छूट दे दी थी उनके पिता ने। प्रोफेशनल शतरंज खेलना शुरू किया तो उसके बाद से सालाना परीक्षा नहीं दी।