Diwali Rangoli:आखिर दिवाली पर क्यों मनाई जाती है रंगोली: रंगोली से घर में बनी रहती है सकारात्मकता
दिवाली के शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रंगोली बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि रंगोली से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिससे सुख शांति और समृद्धि आती है। देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
हमारे हिन्दू धर्म में रंगोली बनाने की परमपरा काफी सदियों से चली आ रही है। हिन्दू धर्म में रंगोली बनाने की मान्यता यह है की अगर घर में रगोली बनाते है तो सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
रंगोली शब्द
रंगोली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘रंगावल्ली’ से हुई है जिसका मतलब होता है। रंगो की पंक्तियां इसका उल्लेख भारत की कई महत्वपूर्ण प्राचीन लिपियों में मिलता है।
रंगोली देवी-देवताओं खासकर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि रंगोली बनाने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। रंगोली का न केवल धार्मिक महत्व है। बल्कि यह कला और सुंदरता का भी प्रतीक है।
भारत में रंगोली बनाने का पहला साक्ष्य मोहन जोदड़ो और हड़प्पा सभ्यताओं में भी मिले हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार इन दोनों सभ्यताओं में अल्पना के चिन्ह मिले हैं। जो रंगोली से काफी मिलती जुलती है। मान्यताओं के अनुसार अल्पना वात्स्यायन के काम सूत्र में वर्णित चौंसठ कलाओं में से एक है।
मान्यताओं के अनुसार भगवान राम जब माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने उनके स्वागत में पूरे अयोध्या में साफ-सफाई करके हर घर के आंगन और नगर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई थी।
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, आंगन में रंगोली बनाने से घर के आसपास का वातावरण सकारात्मक और पवित्र बना रहता है। रंगोली के अलग-अलग रंग उत्सव के लिए उत्साह बढ़ाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगोली हमारे से जुड़े कई वास्तु दोषों को भी शांत करती है।
- रंगोली बनाने से तनाव दूर होता है। रंगोली बनाना एक रचनात्मक काम है और जो लोग ये काम करते हैं। उन्हें पूरी एकाग्रता और सावधानी बनाए रखनी होती है। जब हम किसी काम को एकाग्रता के साथ करते हैं तो हमारा तनाव दूर होता है, दिमाग में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं।
- रंगों का सही तालमेल होने से रंगोली सुंदर बनती है और जो लोग रंगोली के रंगों का सुंदर संयोजन देखते हैं। उन्हें प्रसन्नता मिलती है। रंगोली बनाने के साथ ही रंगोली को ध्यान से देखने से भी तनाव दूर होता है।
- स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाली विधियों में एक रंग चिकित्सा यानी कलर थैरेपी भी है। जब हम अलग रंगों को स्पर्श करते हैं। तो उन रंगों के सकारात्मक गुणों का असर हमारी सेहत पर होता है। जैसे लाल, पीला, नारंगी रंग उत्साह बढ़ाता है। हरा, सफेद, हल्का नीला आंखों को सुकुन देता है।
- देशभर में रंगोली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे कोलम कहते हैं। राजस्थान में रंगोली को मांडना उत्तर भारत में चौकपूर्णा बंगाल में अल्पना और बिहार में अरिपाना के नाम से जानते हैं।
- मान्यता है कि जिन घरों के बाहर रंगोली बनी होती है वहां देवी-देवताओं का वास होता है। रंगोली फूलों से बनाई जाती है। रंगोली हमारे घर की ओर देवी-देवताओं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है। सिर्फ दीपावली पर ही नहीं घर के बाहर रंगोली रोज बनानी चाहिए। पुराने समय में लोग अपने-अपने घर के बाहर रोज रंगोली बनाते थे।