Digital Arrest: आखिकार क्या है डिजिटल अरेस्ट ?: डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे?: क्या है डिजिटल का नया कानून ?
डिजिटल अरेस्ट की बात करें तो किसी भी शख्स को किसी भी गलतफहमी का शिकार बनाकर डर और दहशत में डाल देने और उस डर की मदद से रकम वसूलने, यानी साइबर क्राइम का शिकार बनाने को डिजिटल अरेस्ट कहते हैं।
डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है
डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है। लेकिन, अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इसका उद्भव हुआ है।
डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर फ्रॉड कहलाता है, जिसमें अपराधी लोगों को डरा धमकाकर उनसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। वे लोगों को यह बताते हैं कि वे किसी कानूनी पचड़े में फंस गए हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। यह धोखा अक्सर फोन कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया मैसेज के माध्यम से किया जाता है।
हाउस अरेस्ट क्या होता है ?
निष्कर्ष घर में नज़रबंद रहना कारावास का एक विकल्प है। यह व्यक्तियों को कुछ अपराधों के लिए घर पर ही अपनी सज़ा काटने की अनुमति देता है, जबकि परिवीक्षा अधिकारियों द्वारा उनकी निगरानी की जाती है। घर में नज़रबंद रहने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं और इन प्रतिबंधों का पालन न करने पर उन्हें जेल जाना पड़ सकता है।
अरेस्ट कब किया जाता है ?
ऐसे मामलों में हत्या, डकैती, लूटमार, बलात्कार जैसे गंभीर अपराध शामिल है, इन मामलों में संदेहप्रद व्यक्ति को भाग जाने से रोकने तथा कानूनी प्रक्रिया से बच न पाने के लिए गिरफ्तारी आवष्यक है । हिंसात्मक आचरण पर संदेह किया जाता है जो और भी अपराध कर सकता है।
डिजिटल फ्रॉड क्या होता है ?
डिजिटल धोखाधड़ी तब होती है जब कोई व्यक्ति इंटरनेट तक पहुँच वाले कंप्यूटर या अन्य डिवाइस का उपयोग करके वेब-सक्षम संपत्तियों को धोखा देने या उनका दुरुपयोग करने के लिए, आमतौर पर वित्तीय लाभ के लिए करता है।
क्या है डिजिटल का नया कानून ?
डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत, प्रत्येक मध्यस्थ श्रेणी नए नियमों के अधीन होगी, जिसमें गलत सूचना या डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए तथ्य-जांच पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इन प्लेटफ़ॉर्म को अब अपनी वेबसाइटों पर होने वाले किसी भी सामग्री उल्लंघन या साइबर अपराध के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
अरिस्ट मेमो क्या है ?
गिरफ्तारी ज्ञापन या ‘गिरफ्तारी ज्ञापन’ एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसे पुलिस को गिरफ्तारी के समय या गिरफ्तार व्यक्ति को वापस पुलिस स्टेशन लाने के तुरंत बाद दर्ज करना चाहिए। यह पुलिस द्वारा अवैध हिरासत के खिलाफ सुरक्षा के रूप में कार्य करता है।
डिजिटल अरेस्ट के मामले में लोगों को कैसे फंसाया जाता है?
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विराग गुप्ता ने बताया, इसमें ठगी करने के 4- 5 तरीके होते हैं। जैसे, किसी कूरियर का नाम लेकर कि इसमें गलत सामान आया है। कुरियर में ड्रग्स है, जिसकी वजह से आप फंस जाएंगे। आपके बैंक खाते से इस तरह के ट्रांजैक्शन हुए हैं जो फाइनेंशियल फ्रॉड रिलेटेड हैं। मनी लॉन्ड्रिंग, एनडीपीएस का भय दिखाकर अधिकतर उन लोगों को फंसाया जाता है, जो पढ़े-लिखे और कानून के जानकार होते हैं। ऐसे लोगों को डराकर उनसे डिजिटल माध्यम से फिरौती मांगी जाती है। अगर उनके खातों में पैसे नहीं हैं तो उनको लोन दिलवाया जाता है। कई बार उनके पास लोन लेने वाले एप्स नहीं होते हैं तो उन एप्स को भी डाउनलोड कराया जाता है। कई बार दो से तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा जाता है।
क्या डिजिटल अरेस्ट में कोई सजा का प्रावधान है?
इस मामले में बहुत तरह की सजा हो सकती है। गलत डॉक्यूमेंट बनाने, लोगों से ठगी करने, सरकारी एजेंसी को गुमराह करने की सजा हो सकती है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग हो रही है उसकी सजा, आईटी एक्ट के तहत सजा, ट्राई के कानून के तहत गलत सिम कार्ड लेने की सजा का प्रावधान है। हालांकि, इसमें दिक्कत यह है कि जो लोग पकड़े जाते हैं, वह निचले स्तर के प्यादे होते हैं और जो मुखिया होते हैं, वह विदेश में बैठे होते हैं। सरकारी एजेंसी उन्हें पकड़ नहीं पाती है।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे ?
आपके वॉट्सऐप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आने वाले किसी भी अंजान कॉल को न उठाएं। अगर फोन उठा लिया है तो घबराएं नहीं। बस अपनी पर्सनल और फाइनेंशियल डिटेल को उसके साथ शेयर न करें और अगर आपको शुरूआत में शक हो रहा है तो तुरंत फोन काट दें।