Rajasthan Social Security Pension: राजस्थान में सामाजिक सुरक्षा पेंशन में करोड़ों का फर्जीवाड़ा,फर्जी सर्टिफिकेट से उठा रहे पेंशनः ई-मित्र संचाल राजस्थान सरकार को लगा रहे चुना: विभागों की पकड़ से दूर चालाकी
राजस्थान में सामजिक सुरक्षा पेंशन योजना में करोड़ों का फर्जीवाड़ा हो रहा है। सामने आया कि कई लोग फर्जी तरीके से कुष्ठ रोग फ्री पेशेंट बनकर हर महीने 2500 रुपए पेंशन उठा रहे हैं। ये फर्जीवाड़ा ई-मित्र संचालकों, पंचायत समिति व तहसील कर्मियों की मिलीभगत से हो रहा है।
दरअसल, राजस्थान में विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन श्रेणी में कुष्ठ रोग मुक्त को 2500 रुपए हर महीने पेंशन मिलती है। दूसरी स्कीम के मुकाबले इसमें सर्वाधिक पेंशन मिलती है। यही कारण है कि पेंशन पाने के लिए बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा कर हर महीने करोड़ों की चोरी की जा रही है।
जब जांच की तो पता चला की पेन्सिल उठाने वाले लाभार्थियों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिस ब्लॉक में महज 3 ही कुष्ठ रोग मुक्त लोग हैं, वहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मुताबिक 48 लोग पेंशन ले रहे है।
सबसे पहले नागौर CMHO राकेश कुमावत से जिले के एक-एक गांव के कुष्ठ रोग फ्री पेशेंट की लिस्ट जुटाई। रिपोर्ट के अनुसार रियां बड़ी ब्लॉक के तीन गांव जसनगर, चावण्डिया और पादु कलां में कुष्ठ रोग से मुक्त होने वालों की संख्या महज एक-एक ही है। जबकि सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग का डेटा कहता है कि पूरे ब्लॉक में इस पेंशन के 204 लाभार्थी हैं।
जब हम सैंसड़ा गांव पहुंचे। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की लिस्ट के अनुसार सैंसड़ा गांव में एक भी कुष्ठ रोग मुक्त पेशेंट नहीं है। लेकिन जब हमने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का डेटा चेक किया तो पता चला कि सैंसड़ा गांव में 8 लोग कुष्ठ रोग मुक्त कैटगरी में 2500 रुपए की पेंशन उठा रहे हैं।
लाभार्थी महिला बोली- मुझे कभी कुष्ठ रोग नहीं हुआ
इस लिस्ट के तहत हम सबसे पहले सैंसड़ा बलवंत पुत्र घेवरराम से मिलने पहुंचे, तो घर पर नहीं मिले। लोगों ने बताया कि वो एक प्राइवेट बस पर कंडक्टर है। शायद वो रूट पर होगा। इसके बाद हम बतूल बानो पत्नी शमशुद्दीन लुहार के घर पहुंचे। यहां हमें बतूल बानो मिल गईं। उन्होंने बताया कि उनके पति शमशुद्दीन लुहार की मौत हो गई है। उन्हें खुद को कम सुनाई देता है और एक हाथ से वो दिव्यांग भी हैं। हमने उनसे पूछा कि उन्हें पेंशन की रकम कितनी मिल रही है? इस पर बतूल बानो ने काफी देर तक कोई जवाब नहीं दिया। हमने बार-बार उन्हें पूछा तो उन्होंने हमें बताया कि पहले तो उन्हें एक हजार रुपए ही मिलते थे लेकिन अब 2500 रुपए हर महीने पेंशन आ रही है। इसके बाद हमने उन्हें पूछा कि उन्हें कभी कुष्ठ रोग हुआ क्या? इस पर बतूल ने हमें बताया कि उन्हें कभी भी कोई बीमारी नहीं हुई है।
पैरों में दर्द रहता है, कभी कुष्ठ रोग नहीं हुआ-
इसके बाद हम इसी गांव सैंसड़ा में पेंशन लाभार्थी सत्यनारायण पुत्र धन्नादास के यहां पहुंचे। वो हमें घर में हीं सोते हुए मिले। हमने उन्हें जगाया और पेंशन के बारे में पूछताछ की। सत्यनारायण ने हमें बताया कि वे दिव्यांग हैं और उनके पास 60 फीसदी दिव्यांगता का सर्टिफिकेट भी है। उन्होंने हमें सर्टिफिकेट भी दिखाया।उन्होंने बताया कि उन्हें कभी तो 1500 रुपए महीने तो कभी 2500 रुपए महीने की पेंशन मिलती है। अभी एक महीने पहले 1500 रुपए पेंशन आई थी तो उसके बाद 2500 रुपए की पेंशन बैंक खाते में जमा हुई है। इसके बाद हमने उन्हें पूछा कि क्या कभी उन्हें कोई बीमारी हुई थी या कभी कोई कुष्ठ रोग हुआ था? इस पर सत्यनारायण ने कहा कि- नहीं उन्हें कभी भी कुष्ठ रोग नहीं हुआ है और न ही कोई बीमारी हुई है। बस पैरों में दर्द रहता है।
2013 से कुष्ठ रोग मुक्त कैटेगरी में उठा रहे पेंशन
इसके बाद हम इसी गांव सैंसड़ा में एक दूसरे पेंशन लाभार्थी फिरोज पुत्र भंवरू खां के पास पहुंचे। यहां हमें एक बुजुर्ग घर के बाहर बैठे मिले, पूछने पर उन्होंने बताया कि वो ही फिरोज के पिता भंवरू खां है। हमने उनसे फिरोज को लेकर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि फिरोज जोधपुर रहता है। हमने फिरोज को मिल रही पेंशन को लेकर सवाल किया तो भंवरू खां ने बताया कि उन्हें पेंशन मिल रही है और टाइम पर भी आ रही है।
कितनी पेंशन मिलती है, इस सवाल को भंवरू टाल गए। सत्यापन का हवाला देकर पूछने पर बताया कि उनके बेटे फिरोज को 1250 रुपए महीना ही पेंशन मिलती है। पेंशन पेमेंट ऑर्डर की पड़ताल में सामने आया कि फिरोज को 9 फरवरी 2013 से कुष्ठ रोग मुक्त कैटगरी में पेंशन स्वीकृत है। फरवरी 2013 से आज तक वे लगातार पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।
कुष्ठ रोग मुक्त, फिर भी नहीं मिल रही पेंशन
जांच में सामने आया कि एक तरफ स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में नाम नहीं होने के बावजूद लोग पेंशन उठा रहे हैं, वहीं एक केस भी सामने आया जो पात्र होने के बावजूद इससे वंचित है। नागौर सीएमएचओ राकेश कुमावत से लिस्ट मिलने के बाद हम पादूकलां गांव में कुष्ठ रोग मुक्त पेशेंट से मिले। (चिकित्सा विभाग की गाइडलाइन के तहत कुष्ठ रोग से मुक्त पेशेंट का नाम नहीं लिखा गया है।उन्होंने हमें बताया कि उन्हें कुष्ठ रोग हुआ था। इसके बाद उन्होंने पहले अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल से लंबा ट्रीटमेंट लिया था। 2017-18 में डॉक्टर ने उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्त घोषित कर दिया था।
आखिरकार कौन होते हैं कुष्ठ रोग फ्री पेशेंट?
दरअसल, राज्य सरकार ने कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) से मुक्त होने वाले लोगों को दिव्यांग मानते हुए उनके भरण-पोषण के लिए पेंशन की व्यवस्था की है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की दिव्यांग कैटेगरी में कुष्ठ रोग से मुक्त व्यक्ति को सर्वाधिक पेंशन 2500 रुपए है। यह राशि पहले 1500 रुपए थी, जिसे 1 जून 2023 से बढ़ाकर 2500 कर दिया गया था। कुष्ठ रोग मुक्त कैटेगरी में पेंशन के आवेदन के लिए एक सर्टिफिकेट की जरूरत होती है, जो कुष्ठ रोग विशेषज्ञ ही जारी करता है।
फर्जीवाड़े का यह खेल कैसे हो रहा है?
सामने आया कि फर्जीवाड़े का ये खेल ई-मित्र और पंचायत समिति के लेवल पर किया जा रहा है। दरअसल, वर्तमान प्रक्रिया में ईमित्र संचालक फर्जी डॉक्यूमेंट अपलोड कर प्रार्थी के जनाधार में कुष्ठ रोग मुक्त डिसेबिलिटी के लिए अप्लाई कर देता है। इसके बाद ये एप्लिकेशन पंचायत समिति विकास अधिकारी को फॉरवर्ड हो जाती है।
वहां उन डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन विकास अधिकारी करता है। संभावना है कि इसी दौरान मिलीभगत कर फर्जी डॉक्यूमेंट अप्रूव कर दिए जाते हैं। इसके बाद इस ई-मित्र संचालक पेंशन के लिए अप्लाई कर देता है। ऑनलाइन सिस्टम में ऑटोमेटिक तरीके से पीपीओ ऑर्डर जारी हो जाता है।
विभाग क्यों नहीं पकड़ पाते चालाकी?
कुष्ठ रोग मुक्त का निर्धारण करने वाले चिकित्सा विभाग के डेटा ऑनलाइन नहीं है। चिकित्सा विभाग के डेटा से पेंशन और जनाधार के डेटा भी लिंक्ड नहीं किया गया है। इसी बात का फायदा ई-मित्र संचालक उठाते हैं। सही और फर्जी पेंशनधारी पकड़ में ही नहीं आ पाते। महज प्रार्थी द्वारा ऑफलाइन उपलब्ध करवाए गए डॉक्यूमेंट के आधार पर ही पेंशन आदेश निकाल दिए जाते हैं। उन डॉक्यूमेंट का कोई ऑनलाइन तरीके से वेरिफिकेशन ही नहीं हो पाता है।
दूसरा कारण यह भी है कि पेंशन जारी करने वाले सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के पास भी वेरिफिकेशन का कोई प्रॉपर मैकेनिज्म नहीं है। वित्त विभाग पर पहले से ही पेंशन राशि रिलीज करने का प्रेशर बना रहता है तो वहां भी इसकी प्रॉपर ऑडिट या वेरिफिकेशन नहीं हो पा रहा है।
अधिकारी बोले- अपात्रों के खिलाफ लेंगे एक्शन
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पेंशन पूरण सिंह ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 11 हजार 851 कुष्ठ रोग मुक्त पेंशनर्स हैं, जिन्हें हर महीने 2500 रुपए के हिसाब से 2 करोड़ 96 लाख 27 हजार 500 रुपए की पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने बताया प्रदेश में जब से जनाधार के अपडेशन शुरू हुए हैं, तब से जनाधार डेटाबेस पर ही डिसेबिलिटी और पेंशन की एप्लीकेशन अप्रूव हो रही हैं।
इससे पहले के पेंशनधारियों का भी जनाधार वेरिफिकेशन अनिवार्य किया गया था। हां, उस समय कुछ लोग अपना वेरिफिकेशन नहीं करवा पा रहे थे तब एक प्रोविजन कर लोगों को रियायत दी गई थी कि वो सेंक्शन अथॉरिटी को अपने डॉक्यूमेंट देकर वेरिफिकेशन करवा लें।
संभवतया जो लोग जानते थे कि वो फर्जी तरीके से पेंशन उठा रहे हैं, उन्होंने फर्जी डॉक्यूमेंट से अपना पेंशन वेरिफिकेशन करवाया होगा। ऐसे मामलों में तत्काल पेंशन इसलिए नहीं रोक रहे है कि कहीं कोई सही पात्र व्यक्ति को पेंशन का नुकसान नहीं हो।