भारत के इस राज्य में हर साल अपना पार्टनर बदलती हैं महिलाएं, यहाँ के लोग सदियों से लिव-इन रिलेशनशिप को प्राथमिकता देते आए हैं, जानिए पूरी कहानी…
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एक विशिष्ट और अद्वितीय सामाजिक संरचना देखने को मिलती है जो आधुनिक शहरी विचारों से काफी भिन्न है। कई बार, ग्रामीण इलाकों को पिछड़ा और पारंपरिक मान लिया जाता है, और शहरों के लोग स्वयं को ज्यादा एडवांस समझते हैं। इस परिदृश्य में एक विशेष जनजाति का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है जो आधुनिक समाज की कई धारणाओं को चुनौती देती है।
गरासिया जनजाति: एक अनोखी सामाजिक संरचना लिव-इन रिलेशनशिप की परंपरा
राजस्थान के कुछ गांवों में रहने वाली गरासिया जनजाति एक अनोखी सामाजिक संरचना को अपनाए हुए है। यहाँ के लोग सदियों से लिव-इन रिलेशनशिप को प्राथमिकता देते आए हैं। इस जनजाति में विवाह की परंपरा बहुत ही अलग है
लिव-इन रिलेशनशिप: गरासिया जनजाति में शादी के लिए कोई पूर्व-निर्धारित नियम नहीं होते। महिलाएं अपने जीवन साथी को स्वतंत्र रूप से चुनती हैं और आवश्यकता पड़ने पर उसे बदल भी सकती हैं। इस व्यवस्था के तहत, महिलाओं को पूरी स्वतंत्रता होती है कि वे अपने जीवन साथी का चयन खुद करें और जरूरत पड़ने पर उसे बदल भी सकती हैं।
शादी की कंडीशन: इस जनजाति में शादी केवल एक विशेष परिस्थिति में की जाती है – जब महिला का एक बच्चा हो जाता है। इससे पहले, महिला अपनी पसंद का साथी बदल सकती है।
महिलाओं की स्थिति: इस जनजाति में महिलाओं की स्थिति पुरुषों की तुलना में काफी उच्च होती है। महिलाओं को यह निर्णय लेने का अधिकार होता है कि वे किसके साथ रहना चाहती हैं और किसके साथ नहीं।
गौर मेला: साथी चयन का अवसर
गरासिया जनजाति के लोग वार्षिक गौर मेला का आयोजन करते हैं, जो इस समुदाय की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इस मेले में लोग अपनी पसंद के साथी को चुनने का अवसर पाते हैं। लड़के और लड़कियां मेले में अपनी पसंद का साथी चुनते हैं और उसके साथ चले जाते हैं।
परिवार की जिम्मेदारी: जब लड़का और लड़की मेले से लौटते हैं, तो लड़के के परिवार वाले लड़की के परिवार को कुछ पैसे देते हैं, जो एक पारंपरिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
सालाना बदलाव: हर साल लगने वाले इस मेले में लड़की अपने साथी को बदल सकती है, और शादी की प्रक्रिया केवल तब होती है जब महिला का बच्चा हो जाता है।