वैदिक औषधीय पादप वन में विद्यार्थियों को मिली जैविक कृषि व आयुर्वेद की प्रेरक शिक्षा

पिंजरापोल गौशाला, जयपुर स्थित वैदिक औषधीय पादप वन एवं वैदिक वन औषधीय पादप केंद्र में आज St. Anselm’s North City School, झोटवाड़ा, जयपुर के 135 छात्र-छात्राओं ने एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक भ्रमण किया। यह भ्रमण न केवल प्रकृति, पर्यावरण, औषधीय पौधों और भारतीय कृषि विरासत को समझने का अवसर था, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, जैविक कृषि और आयुर्वेद जैसे विषयों पर गहन जानकारी प्रदान करने वाला जीवनोपयोगी अनुभव भी साबित हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक स्तुति के साथ हुई, जहाँ छात्रों का स्वागत महत्त्वपूर्ण भारतीय परंपरा—गौ माता की पूजा-अर्चना—से किया गया। इसके बाद सभी छात्रों और शिक्षकों ने श्री काल भैरव भगवान के दर्शन किए। यह चरण न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की झलक से परिचय कराने का उद्देश्य भी समाहित किए हुए था।
इस शैक्षणिक यात्रा का नेतृत्व स्कूल के Father Principal – Thomas Maniparambil द्वारा किया गया। उनके साथ स्कूल की सम्मानित शिक्षिकाएँ एवं शिक्षक—नीता शर्मा, पुनीता चौहान, रघुराज और लक्ष्मीकांत अग्रवाल—भी उपस्थित रहे, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम के दौरान छात्रों को प्रोत्साहित किया और सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता ने किया। उनकी देखरेख और मार्गदर्शन में छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य उन्हें भारतीय कृषि पद्धति, औषधीय पौधों, स्वास्थ्य जागरूकता और आत्मनिर्भरता के मूल्यों से जोड़ना था।
गौ-आधारित कृषि पर प्रशिक्षण
डॉ. गुप्ता ने छात्रों को बताया कि किस प्रकार गाय के गोबर से जैविक खाद तैयार की जाती है। उन्होंने छात्रों को बैक्टीरिया युक्त खाद बनाने की वैज्ञानिक विधि समझाई और बताया कि यह न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाती है, बल्कि किसान को रासायनिक खाद पर निर्भरता से भी मुक्त करती है।
उन्होंने आंवला की खेती और आंवला आधारित उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया भी विस्तार से बताई, जिससे छात्रों को कृषि-उद्योग के नए अवसरों की जानकारी मिली।
आयुर्वेद एवं स्वास्थ्य जागरूकता
आयुर्वेद सत्र के दौरान छात्रों ने मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, किडनी रोग, कैंसर, अस्थमा और माइग्रेन से जुड़े कई प्रश्न पूछे। डॉ. गुप्ता ने सफेद मूसली, अश्वगंधा, चिरायता, काली हल्दी, आंवला सहित अनेक औषधीय पौधों के उपयोग और उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया।
उन्होंने कहा—
“भारत का आयुर्वेद विश्व की धरोहर है। औषधीय पादपों की खेती और संरक्षण समय की आवश्यकता है।”
आत्मनिर्भर भारत और जैविक खेती का संदेश
छात्रों ने जैविक खेती और गौ-आधारित कृषि में विशेष रुचि दिखाई। कई छात्रों ने बताया कि वे अब ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसानों को इसके लिए प्रेरित करेंगे।
डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा—
“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भारत को यूरिया-मुक्त, रसायन-मुक्त और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए प्रयासरत हैं। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।”
उन्होंने बताया कि रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग ने मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाया है और ऐसे समय में जैविक खेती ही धरती, किसानों और उपभोक्ता—तीनों के लिए लाभकारी विकल्प है।
छात्रों का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में छात्रों और शिक्षकों ने संकल्प लिया कि वे पर्यावरण संरक्षण, गौ-आधारित कृषि, जैविक खेती और आयुर्वेद आधारित स्वस्थ राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे।
यह पूरा शैक्षणिक भ्रमण छात्रों के लिए केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान प्रणाली, पर्यावरणीय संतुलन और स्वास्थ्य विज्ञान को समझने का एक प्रेरणादायी अवसर था, जो उनके भविष्य को सकारात्मक दिशा प्रदान करेगा।

