कांग्रेस ने वंदे मातरम् गीत को काटकर राष्ट्र की आत्मा के साथ किया धोखा: घनश्याम तिवाड़ी

भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस पर वंदे मातरम् गीत को काटने और राष्ट्र की आत्मा के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। कहा, कांग्रेस की विरासत भारत विभाजन और तुष्टिकरण की राजनीति है। भाजपा राष्ट्र एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध।
कांग्रेस की विरासत वंदे मातरम् नहीं, भारत विभाजन और तुष्टिकरण की राजनीति: सांसद घनश्याम तिवाड़ी

जयपुर :
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने शनिवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम् गीत भारतीय राष्ट्रभावना की आत्मा है, लेकिन कांग्रेस ने इसे काटकर राष्ट्र की आत्मा के साथ धोखा किया।”
तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज वंदे मातरम् को अपनी विरासत बताने की कोशिश कर रही है, जबकि उसकी असली विरासत “भारत विभाजन और तुष्टिकरण की राजनीति” है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने वंदे मातरम् गीत के कई अंशों को हटा दिया और संविधान की आत्मा में सुई चुभो दी।
तिवाड़ी ने दी खुली चुनौती: कांग्रेस पूरा गीत गाने का समर्थन करे
सांसद तिवाड़ी ने प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस पार्टी को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा—
“मैं कांग्रेस पार्टी को यह चुनौती देता हूँ कि यदि वह वंदे मातरम् गीत पूरा गाए जाने का समर्थन करे, तो मैं इसे कांग्रेस की विरासत मानने को तैयार हूँ।”
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् कोई सामान्य गीत नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्राण है, जिसने देशभक्ति की भावना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप: तिवाड़ी ने कांग्रेस को बताया दोषी
घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा “बंग दर्शन” पत्रिका में प्रकाशित वंदे मातरम् गीत भारतीय राष्ट्रवाद की नींव बना।
1896 में रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इसे कोलकाता अधिवेशन में पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था।
1905 में बंग-भंग आंदोलन के दौरान यह गीत राष्ट्रीय आंदोलन की आवाज बन गया।
लेकिन, 1937 में कांग्रेस के अधिवेशन में मौलाना मोहम्मद अली और शौकत अली ने इस गीत का विरोध किया। गीत गाने वाले वक्ता को बीच में रोकते हुए उन्होंने इसका बहिष्कार किया। तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने इस गीत को धर्म से जोड़कर “घिनौना कार्य” किया।
उन्होंने कहा,
“कांग्रेस नेताओं ने वंदे मातरम् का विरोध इसलिए किया क्योंकि इसमें मां दुर्गा, कमला और सरस्वती का उल्लेख है। जबकि इस गीत को कई मुस्लिम क्रांतिकारियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गाया था।”
कांग्रेस पर आरोप: विभाजन और संविधान में छेड़छाड़
तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस ने 1914 में मुस्लिम लीग से समझौता कर भारत विभाजन की नींव रखी।
फिर 1937 में वंदे मातरम् गीत को काटकर राष्ट्र की आत्मा के साथ विश्वासघात किया।
उन्होंने कहा,
“कांग्रेस ने न केवल बंकिमचंद्र चटर्जी और रवीन्द्रनाथ ठाकुर बल्कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की आत्मा को भी ठेस पहुंचाई है। 1976 में 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से कांग्रेस ने प्रस्तावना में परिवर्तन कर अपनी राजनीतिक विचारधारा थोपने का प्रयास किया।”
भाजपा राष्ट्र एकता के लिए कार्यरत: तिवाड़ी
सांसद तिवाड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा,
“राष्ट्र के लिए वंदे मातरम् गीत उतना ही महत्वपूर्ण है जितना जन गण मन। भाजपा राष्ट्र की आत्मा को पुनः जागृत करने और एकात्मता की भावना को मजबूत करने के लिए काम कर रही है।”
प्रेसवार्ता में भाजपा प्रदेश कार्यालय प्रभारी मुकेश पारीक भी उपस्थित रहे।
वंदे मातरम्: भारतीय अस्मिता का प्रतीक
तिवाड़ी ने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि “मां भारती” की स्तुति है। यह राष्ट्र के प्रति श्रद्धा, समर्पण और एकता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस गीत को धर्म की दृष्टि से नहीं, बल्कि राष्ट्रभावना की दृष्टि से देखना चाहिए।
तिवाड़ी ने जनता से भी अपील की कि वे वंदे मातरम् को राष्ट्रगौरव के रूप में अपनाएं और इसे संपूर्ण रूप से गाने की परंपरा को आगे बढ़ाएं।
निष्कर्ष
प्रेसवार्ता में सांसद घनश्याम तिवाड़ी के बयान ने एक बार फिर वंदे मातरम् गीत को लेकर राजनीतिक बहस को गर्मा दिया है। उन्होंने कांग्रेस पर इतिहास के साथ छेड़छाड़, तुष्टिकरण की राजनीति और राष्ट्रभावना से खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया।
तिवाड़ी ने कहा कि भाजपा राष्ट्र की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है — और वंदे मातरम् इसका प्रतीक है।

