Jaipur News : हरमाड़ा नगर में विजयादशमी उत्सव और संघ शताब्दी समारोह का धूम धाम से हुआ आयोजन
संघ राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है-सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, हरमाड़ा नगर की हेडगेवार बस्ती में विजयादशमी उत्सव धूमधाम से मनाया गया।
सम्पन्नहरमाड़ा नगर की हेडगेवार बस्ती में विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह और अनुशासन के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशोक झाझड़िया (SMS) एवं मुख्य वक्ता के रूप में आदरणीय सह सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार जी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) उपस्थित रहे।
फाइल फोटो
इस अवसर पर 90 स्वयंसेवकों द्वारा विविध शारीरिक प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया, जिसमें सामूहिक व्यायाम, योगासन और दंड-युद्ध की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम में कुल 350 गणवेशधारी स्वयंसेवक, 250 मातृशक्ति तथा 200 समाजबंधु उपस्थित रहे। जयपुर महानगर संघचालक मा. चेनसिंह राजपुरोहित तथा हरमाड़ा नगर संघचालक मा. महावीर सैनी भी मंचासीन रहे।
सह सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार जी का उद्बोधन
अपने प्रेरक उद्बोधन में श्री अरुण कुमार जी ने कहा कि :
विजयादशमी का पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और धर्म की विजय का प्रतीक है। यह हमें स्मरण कराता है कि अधर्म और अन्याय चाहे कितने भी प्रबल हों, अंततः विजय सत्य और धर्म की ही होती है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता उसकी निरंतरता, सनातन है। अन्य संस्कृतियाँ इतिहास में विलुप्त हो गईं, किंतु भारत की संस्कृति हर बार कठिनाइयों से उठ खड़ी हुई। आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिवस भी है। गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम को ‘स्वराज्य, स्वधर्म और स्वदेशी’ से जोड़ा तथा ग्राम स्वराज्य और रामराज्य की कल्पना दी। लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और निर्भीक नेतृत्व का आदर्श रहा।

संघ की शताब्दी वर्ष की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह समय उत्सव का नहीं, बल्कि आत्ममंथन, आत्मविश्लेषण और संकल्प का है। “हमें यह देखना होगा कि सौ वर्षों में संघ की यात्रा कहां से कहां पहुंची और आगे कौन-से कार्य शेष हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का लक्ष्य राष्ट्र का परम वैभव है—एक ऐसा समाज जो आध्यात्मिक आधार पर संपन्न और सबल हो। संघ स्वयं को बढ़ाने का नहीं, बल्कि राष्ट्र को सशक्त बनाने का कार्य करता है। साध्य, साधन और साधक की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि संघ का मार्ग है धर्म, संस्कृति और समाज का संरक्षण, और इसका आधार है संस्कारित, संगठित तथा आत्मविश्वासी समाज। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार का उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही समाज के चरित्र में मूलभूत सामाजिक परिवर्तन लाना था। सशक्त समाज ही सशक्त राष्ट्र का आधार है।
अनिल कुमार जी द्वारा बताई गयी आने वाले समय की पाँच बड़ी चुनौतियाँ जिस पर संघ कार्य प्रारम्भ कर चुका है
1. परिवार प्रबोधन – परिवार में संवाद, संस्कार और एकता।
2. सामाजिक समरसता – जाति-भेद को समाप्त कर एकात्मता।
3. पर्यावरण संरक्षण – जल बचाना, प्लास्टिक हटाना और वृक्षारोपण।
4. स्वदेशी – अपनी भाषा, संस्कृति और संसाधनों का प्रयोग।
5. नागरिक कर्तव्य – प्रत्येक व्यक्ति का राष्ट्रहित में जिम्मेदार आचरण।
उन्होंने विशेष रूप से कहा कि
यदि समाजबंधु शाखा में समय नहीं दे सकते, तो भी इन पंच परिवर्तन के संकल्पों को अपने जीवन में उतारें। यही संघ के 100 वर्ष पूरे होने का सच्चा उत्सव होगा।” यदि समाज इन मूल्यों को आत्मसात करे तो राष्ट्र हर प्रकार की विषमता से मुक्त होकर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होगा।

