World Rabies Day: रेबीज मुक्त भारत की ओर एक और कदम: आज मनाया जा रहा है विश्व रेबीज दिवस
देशभर में आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज संक्रमण के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। 2024 में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट केस सामने आए, जिनमें 5.19 लाख से ज्यादा पीड़ित बच्चे थे।

नई दिल्ली/जयपुर। देशभर में आवारा कुत्तों के हमले और रेबीज संक्रमण की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने इस समस्या को जनस्वास्थ्य और बच्चों की सुरक्षा से जोड़ते हुए स्थानीय प्रशासन को कड़े निर्देश दिए हैं।
2024 में पूरे देश में डॉग बाइट के 37 लाख से ज्यादा केस सामने आए, जिनमें 5.19 लाख से अधिक पीड़ित बच्चे (15 साल से कम उम्र) के थे। यह स्थिति आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकती है, यदि इसके लिए उचित कदम नहीं उठाए गए।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का रुख
राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शहरी सड़कों से आवारा कुत्तों और पशुओं को तत्काल हटाया जाए, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि बच्चों को किसी भी कीमत पर रेबीज का शिकार नहीं होने देना चाहिए। कोर्ट ने बाद में संशोधित आदेश में यह भी कहा कि:
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आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और वैक्सीनेशन के बाद उन्हीं क्षेत्रों में वापस छोड़ा जाए।
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सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना न खिलाया जाए, क्योंकि इससे झुंड में आने और हमले की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
किसकी, क्या जिम्मेदारी; स्वायत शासन विभाग
आवारा डॉग को पकड़कर नसबंदी व वैक्सीनेशन करवाना। पालतू जानवरों का पंजीकरण के साथ ही चिकित्सा विभाग की मीटिंग में संबंधित अधिकारियों को शामिल होना।{चिकित्सा विभाग: अस्पतालों में इलाज की सुविधा देना। इसमें एंटी रैबीज वैक्सीन के साथ दवा उपलब्ध कराना।
2030 तक रेबीज मुक्त भारत
केन्द्र सरकार रेबीज की रोकथाम के लिए ‘वन हैल्थ अप्रोच’ को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने 2030 तक ‘रेबीज मुक्त भारत’ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण, नसबंदी व जागरूकता अभियानों पर जोर दे रहे हैं। प्रदेश सरकार ने रेबीज को नोटिफाइड डिजीज घोषित कर दिया है।
घटना पर केस दर्ज करवाएं
अधिवक्ता विकास सोमानी व अभिषेक पाराशर का कहना है कि आवारा या पालतू कुत्ते के काटने पर पीड़ित कुत्ते के मालिक या निकाय के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई व क्षतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं। कुत्ते के काटने की घटना के तुरंत बाद ही पीड़ित को स्थानीय निकाय, पशु नियंत्रण विभाग व पुलिस थाने को सूचित करना चाहिए।
डॉक्टरों के अनुसार रेबीज को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है। बीमारी फैलाने वाले वायरस का नाम ‘लासा वायरस टाइप-वन’ है, जो जानवरों से फैलने वाला वायरल जूनोटिक इंफेक्शन है। इससे इनकेफोलाइटिस जैसा निकलता है, इलाज नहीं कराने पर घातक होता है। प्रमुख कारण किसी पागल कुत्ते का काटना होता है। किसी संक्रमित जानवर के काटने या खुले घाव को चाटने से संक्रमण फैलता है। वायरस शरीर में प्रवेश करते ही विभिन्न अंगों पर आक्रमण करता है।

