PM Modi: ज्ञान भारतम् मिशन बनेगा भारतीय संस्कृति: साहित्य और चेतना का उद्घोष: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ज्ञान भारतम् अंतरराष्ट्रीय सेमीनार भारत के स्वर्णिम अतीत के पुनर्जागरण का साक्षी है। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा मजबूत है, क्योंकि यह संरक्षण, नवाचार, संवर्धन और अनुकूलन के स्तंभों पर टिकी हुई है। ज्ञान भारतम् मिशन, भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनने जा रहा है।

शुक्रवार को विज्ञान भवन में ज्ञान भारतम् पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ ही दिन पहले मैंने ज्ञान भारतम् मिशन की घोषणा की थी और इतने कम समय में आज हम ज्ञान भारतम् अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। इससे जुड़ा पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। ये एक सरकारी या एकेडेमिक इवेंट नहीं है। उन्होंने कहा कि हजारों पीढ़ियों का चिंतन मनन, भारत के महान आचार्यों एवं विद्वानों का बोध और शोध, हमारी ज्ञान परम्पराएं, हमारे वैज्ञानिक धरोहरें- ज्ञान भारतम मिशन के जरिए, हम उन्हें डिजिटाइज्ड करने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा मैनुस्क्रिप्ट संग्रह है। करीब एक करोड़ मैनुस्क्रिप्ट हमारे पास हैं। इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों मैनुस्क्रिप्ट जल गईं, लुप्त हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे इसका साक्षी हैं कि ज्ञान और विज्ञान पठन पाठन के लिए हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितनी गहरी और व्यापक थी। प्रधानमंत्री ने ज्ञान परंपरा की नींव के मुख्य पिलर्स के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा आज तक इतनी समृद्ध है, क्योंकि इसकी नींव 4 मुख्य पिलर्स पर आधारित हैं। पहला- संरक्षण, दूसरा- नवाचार, तीसरा- परिवर्धन और चौथा- अनुकूलन। उन्होंने कहा कि भारत स्वयं में एक जीवंत प्रवाह है, जिसका निर्माण उसके विचारों, आदर्शों और मूल्यों से हुआ है। भारत की प्राचीन पांडुलिपियों में हमें भारत के निरंतर प्रवाह की रेखाएं देखने को मिलती हैं। ये पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता का घोषणा पत्र भी हैं।
ज्ञान भारतम् पोर्टल लॉन्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ज्ञान भारतम् पोर्टल का शुभारंभ भी किया, जो प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया एक डिजिटल मंच है। इस पहल का उद्देश्य भारत के प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करना, शोध को प्रोत्साहित करना और दुर्लभ ग्रंथों को विद्वानों व आम जनता के लिए सुलभ बनाना है। पीएम मोदी ने कहा कि यह पोर्टल भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को वैश्विक मंच पर ले जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ सकेगी। उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में निहित वैज्ञानिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक ज्ञान की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
यह एक भावनात्मक अभियान : शेखावत
सम्मेलन में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि ‘ज्ञान भारत मिशन’ केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक भावनात्मक अभियान है, जो हमारी अनमोल पांडुलिपियों के संरक्षण, डिजिटलीकरण और जन-जन तक उनके पुनर्प्रसार को समर्पित है। यह अवसर हम सभी के लिए केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी ज्ञान परंपरा के पुनर्जागरण का पर्व है। प्रधानमंत्री जी का नेतृत्व केवल प्रशासनिक नहीं, अपितु सांस्कृतिक चेतना का भी प्रकाशस्तंभ है। उनके दूरदर्शी मार्गदर्शन और भारत की वैचारिक विरासत के प्रति उनके अद्भुत समर्पण के कारण ही आज भारत अपनी सभ्यता, संस्कृति और शाश्वत ज्ञान परंपरा को नए आत्मबल और विश्वास के साथ पुनः संजो रहा है। शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के दिशा-निर्देशन में यह मिशन ज्ञान के संरक्षण से आगे बढ़कर ज्ञान के पुनरुद्धार का माध्यम बन चुका है। यह एक ऐसी राष्ट्रीय चेतना का रूप ले चुका है, जिसमें विद्वान, शोधकर्ता, छात्र, तकनीकविद, सभी मिलकर भारत की बौद्धिक धरोहर को फिर से जीवंत करने में जुटे हैं, यह तभी संभव हो पाया है, जब देश को एक संस्कृति-प्रेमी और विचारशील नेतृत्व मिला।
250 से अधिक वक्ता, 200 से अधिक शोधपत्र
शेखावत ने बताया कि इस त्रिदिवसीय विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 1100 से अधिक प्रतिभागियों, 1200 से अधिक राष्ट्रीय व 20 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों, 75 आमंत्रित विशेषज्ञों और 250 से अधिक वक्ताओं ने भाग लिया है, जो 200 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। यह भारत के बौद्धिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम भी है।

