Rajasthan News: राजस्थान के 4 जिलों में पेयजल संकट का स्थायी समाधान: माही-जवाई लिंक प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी
जोराराम कुमावत ने बताया कि 7 हजार करोड़ रुपए के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के पूरा होने पर उदयपुर, सिरोही, पाली एवं जोधपुर जिले में पेयजल संबंधी समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा।

राजस्थान में पेयजल की समस्या काफी पुरानी समस्या है, जिसे यहां लोग दशकों से झेल रहे हैं। राजस्थान में इस साल कई जिलों में बारिश हुई है, लेकिन पश्चिमी इलाका अब भी पानी की खोज कर रहा है। ऐसे में पाली, जालोर, सिरोही और बाड़मेर में पेयजल समस्या के स्थायी निदान को लेकर प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए अब माही डैम को जवाई बांध से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को मूर्त रूप दिया जाएगा. इसे लेकर बुधवार (6 अगस्त) को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ सुमेरपुर विधायक तथा पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत की एक अहम बैठक हुई।
7 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट
बैठक में 7 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने के संबंध में चर्चा हुई। बैठक के बाद जोराराम कुमावत ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने माही एवं सोम नदी के मानसून अवधि का अधिशेष जल, जयसमंद बांध सहित अन्य बांधों को भरते हुए जवाई बांध तक लाने संबंधी कार्य की बजट वर्ष-2024-25 में घोषणा की थी। इस बजट घोषणा को धरातल पर उतारने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से विस्तृत चर्चा हुई।
एक तरफ स्थानीय विरोध, दूसरी तरफ चार जिलों की उम्मीदें माही बांध का पानी एक लंबे रूट से होकर लक्षित क्षेत्रों तक पहुंचेगा। यह जल प्रवाह जयसमंद, चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया सहित अन्य बांध और भीलवाड़ा के मेजा बांध होते हुए जवाई बांध तक जाएगा। इसके बाद यहां से पाली, जालौर, सिरोही और बाड़मेर को जल आपूर्ति की जाएगी। हालांकि, बांसवाड़ा और डूंगरपुर के कुछ लोग इस योजना का विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि उनके क्षेत्र में अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंच पाया है और माही बांध के पानी पर पहला अधिकार इन्हीं जिलों का है।
लोकसभा में उठाया था मामला जालोर सांसद लुंबाराम चौधरी ने भी लोक सभा में यह मामला उठाया था। उन्होंने पूर्व में हुए समझौते का हवाला देते हुए कहा था कि कडाणा और माही बांध का पानी जालोर और सिरोही को मिलना चाहिए था, लेकिन यह वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

