National Sports Governance Bill Update: अब BCCI भी आएगा खेल मंत्रालय के नियमों के दायरे में: संसद में पेश होगा नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अब नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल के दायरे में आएगा। यह बिल बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा।

न्यूज एजेंसी PTI ने खेल मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से लिखा- ‘जब यह बिल कानून बन जाएगा तब BCCI को वैसे ही इसका पालन करना पड़ेगा, जैसे बाकी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF) देश के कानूनों का पालन करते हैं।
दरअसल, युवा मामलों और खेल मंत्रालय द्वारा मंगलवार को ड्राफ्ट स्पोर्ट्स बिल पेश किया गया. इस बिल का उद्देश्य भारत में खेलों की व्यवस्था को सुधारना है. खेल विधेयक लागू होने के साथ, बीसीसीआई को एक राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) माना जाएगा और यह सभी खेल मंत्रालय के नियमों और दिशानिर्देशों के अधीन आएगा
2019 तक बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं थी। 2020 में यह सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) के दायरे में आया। नए खेल विधेयक के तहत बीसीसीआई अपने आप एक एनएसएफ माना जाएगा। जिससे यह सभी मंत्रालयीय नियमों के अधीन होगा। यह देखना बाकी है कि क्या लोढ़ा समिति की सिफारिशें जिनमें आयु सीमा और हितों के टकराव से जुड़े प्रावधान शामिल हैं प्रभावी बनी रहेंगी।
ओलंपिक मूवमेंट का हिस्सा बना BCCI 2028 लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में क्रिकेट के शामिल होने के बाद BCCI अब आधिकारिक रूप से ओलंपिक मूवमेंट का हिस्सा बन चुका है। इसी कड़ी में सरकार ने खेल संगठनों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल लाने की तैयारी की है। इस बिल का उद्देश्य समय पर चुनाव कराना, प्रशासनिक जवाबदेही तय करना और खिलाड़ियों की भलाई के लिए एक सशक्त ढांचा तैयार करना है। इससे खेल संघों में मनमानी और अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
इस बिल की जरूरत क्यों पड़ी?
BCCI एक स्वायत्त संस्था है और अब तक सरकार से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं लेती। इसलिए उस पर सरकारी नियंत्रण नहीं रहा है। बता दें पारदर्शिता की कमी, आंतरिक राजनीति और जवाबदेही की जरूरतों को देखते हुए सरकार अब BCCI को भी बाकी खेल महासंघों की तरह एक तय ढांचे में लाना चाहती है। साथ ही, क्रिकेट के 2028 लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में शामिल होने के बाद BCCI भी ओलंपिक मूवमेंट का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में चुनाव प्रक्रिया, पदाधिकारियों की जवाबदेही और खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह बिल जरूरी माना जा रहा है।
राष्ट्रीय खेल विधेयक क्या है?
युवा मामलों और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025 (Draft National Sports Governance Bill, 2025) जारी किया है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) और अन्य खेल निकायों के कार्य संचालन को पूरी तरह बदलना है. प्रस्तावित कानून देश के खेल प्रशासन ढांचे में पारदर्शिता, खिलाड़ी-केंद्रित सुधार और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएं लाने की कोशिश करता है।
यह ड्राफ्ट विधेयक वर्षों से असफल सुधार प्रयासों के बाद आया है और इसका उद्देश्य नैतिक आचरण सुनिश्चित करना, खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करना और खेलों के पूरे तंत्र में पेशेवर और विवाद-मुक्त वातावरण बनाना है। यह विधेयक ओलंपिक और पैरालंपिक चार्टर्स के साथ भारत के खेल शासन ढांचे को मेल कराने की भी कोशिश करता है। जिससे भारत की 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की संभावन भी मजबूत हों।
विधेयक खेल महासंघों को कैसे प्रभावित करेगा?
हालांकि प्रस्तावित खेल शासन विधेयक में “नियामक” शब्द को हटा दिया गया है, फिर भी यह भारतीय खेल क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने जा रहा है. इसका उद्देश्य एक सशक्त राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) का गठन करना है। जिसे किसी भी खेल महासंघ को शिकायत के आधार पर या अपने विवेक से निलंबित करने का अधिकार होगा। यह प्रस्तावित संस्था पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त की जाएगी और इसमें कई अहम अधिकार होंगे। जैसे खराबचुनाव प्रक्रिया या वित्तीय अनियमितता के मामलों पर कार्रवाई।

