NHAI Toll Tax Rates 2025 Update: नेशनल हाईवे पर टोल टैक्स में 50% की कटौती: यात्रियों को बड़ी राहत
सरकार ने नेशनल हाईवे पर टोल टैक्स में 50% तक की कटौती की है। यह कटौती विशेष रूप से उन हाईवे पर हुई है जहां ब्रिज, टनल, फ्लाईओवर या एलिवेटेड स्ट्रेच मौजूद हैं। यहां यात्रा करने के लिए अब कम टोल चुकाना होगा। इससे सफर की लागत घटेगी।

अगर आप रोड ड्रिप के शौकीन हैं या फिर रोजाना नेशनल हाईवे से सफर करते हैं तो यह खबर आपको राहत (Highway travel cost relief) दे सकती है। सरकार ने National Highway पर टोल टैक्स में (Toll Tax Reduced) 50% की भारी कटौती की है। यह कटौती खासतौर पर उन हाईवे पर की गई है, जहां फ्लाईओवर, ब्रिज, टनल और एलिवेडेट स्ट्रेच बने हैं। यानी अब आपके सफर की लागत घट जाएगी। टोल टैक्स (toll reduction) का नया नियम लागू हो चुका है। यात्रियों को जल्द ही इसका फायदा भी मिलना शुरू हो जाएगा।
अभी तक कितना टोल वसूला जाता था?
नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के एक अधिकारी के मुताबिक, पुराने नियमों के चलते हाईवे पर हर किलोमीटर पर कोई ना कोई स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर बना हुआ है, जिसके लिए आपको औसत टोल का 10 गुना चार्ज देना पड़ता था, ताकि उस इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत को वसूला जा सके। लेकिन अब नए नियमों में यह टोल 50% तक कम हो जाएगा।
टोल टैक्स कम करने का फॉर्मूला क्या है?
नए नियम के तहत, टोल की गणना दो तरीकों से होगी और जो कम होगा, वही लागू होगा। अगर राजमार्ग का कोई हिस्सा पुल या सुरंग जैसी संरचना है, तो टोल की गणना के लिए संरचना की लंबाई को 10 गुना करके सामान्य सड़क की लंबाई में जोड़ा जाएगा, या फिर पूरे हिस्से की लंबाई को 5 गुना किया जाएगा। इनमें से जो कम होगा, उसी के आधार पर टोल लिया जाएगा।
क्यों हुआ बदलाव?
सरकार यात्रियों के सफर की लागत को कम करना चाहती है। जिसे ध्यान में रखकर ये बदलाव किया गया है।
किसे होगा फायदा?
सरकार के नए नियम से उन लोगों को ज्यादा फायदा होगा, जो ऐसे हाईवे पर सफर करते हैं, जहां 50% से ज्यादा ढांचे शामिल हैं। यानी उन हाईवे पर 50% से ज्यादा हिस्से पर पुल, सुरंग और फ्लाईओवर बने हैं। उदाहरण में समझें तो दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाले द्वारका एक्सप्रेसवे जैसे हाईवे अभी तक 317 रुपए टोल लगता था, जो कम होकर 153 रुपए हो सकता है।
अभी टैक्स देने का क्या है नियम?
अभी के नियमों के अनुसार, नेशनल हाईवे पर बने हर किलोमीटर के स्ट्रक्चर के लिए यूजर्स को दस गुना ज्यादा टोल देना पड़ता है। यानी, अगर किसी रास्ते पर एक किलोमीटर का पुल है, तो आपको उस एक किलोमीटर के लिए दस किलोमीटर के बराबर टोल देना पड़ता था। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि पहले टोल की गणना का यह तरीका इसलिए था क्योंकि ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने में ज्यादा खर्चा आता था। लेकिन अब सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए टोल की दरों को कम कर दिया है। इससे लोगों को सफर करना सस्ता पड़ेगा।