Mother’s Day 2025: इस बार 11 मई को मनाया जाएगा मां के प्रेम: त्याग और ममता का उत्सव
मदर्स डे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस बार यह खास दिन 11 मई को मनाया जाएगा। वैसे तो मां को खास महसूस कराने के लिए किसी एक दिन की जरूरत नहीं होती।

लेकिन मदर्स डे पर उन्हें स्पेशल फील कराना एक खूबसूरत मौका बन जाता है। अगर आपने अब तक अपनी मां, दादी या नानी को विश करने का तरीका नहीं सोचा है, तो इस लेख में हम आपको कुछ बेहतरीन संदेश और इस दिन की खास बातें बता रहे हैं।
क्यों मनाया जाता है मदर्स डे?
मदर्स डे हर साल मां के निस्वार्थ प्रेम, त्याग और जीवन भर की मेहनत के सम्मान में मनाया जाता है। यह दिन उन्हें ‘थैंक यू’ कहने का एक खास अवसर देता है, क्योंकि मां बिना किसी स्वार्थ के हमेशा हमारे लिए अपना सब कुछ देती हैं। यह दिन हमें मां की अहमियत याद दिलाता है और इस बात पर जोर देता है कि हमें उनके लिए समय निकालना कितना ज़रूरी है। आमतौर पर लोग इस दिन मां को तोहफे, कार्ड्स और सरप्राइज देकर उनका दिन खास बनाते हैं।
कैसे हुई मदर्स डे की शुरुआत?
मदर्स डे की शुरुआत अन्ना जार्विस (Anna Jarvis) ने की थी। 1905 में अपनी मां ऐन रिव्स जार्विस (Ann Reeves Jarvis) के निधन के बाद, उन्होंने 1907 में वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन स्थित एंड्रयूज मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च में एक स्मारक सेवा आयोजित की। इसके बाद 1908 में उसी चर्च में पहली बार आधिकारिक मदर्स डे समारोह हुआ। अन्ना की मेहनत और संकल्प के परिणामस्वरूप, 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ के रूप में घोषित किया।
मां, मदर, मातृ, मुटर, अम्मा…दुनिया की अलग-अलग भाषाओं में ‘मां’ के लिए कई सारे शब्द हैं। यहां भी ज्यादातर भाषाओं में इस रिश्ते के संबोधन में ‘म’ और ‘अ’ का साउंड कॉमन है। ‘मां’ का मतलब समझाने के लिए तो शायद शब्द कम पड़ जाएं, लेकिन ‘मां’ शब्द के पीछे का साइंस समझा जा सकता है।
2012 में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की एक स्टडी में पता लगा कि बच्चा जब ‘मामा’ और ‘दादा’ जैसे साउंड सुनता है तो उसके ब्रेन की एक्टिविटी बढ़ जाती है। इससे पता चलता है कि बच्चे अन्य शब्दों की तुलना में एक ही शब्द को दोहराने से, इसे ज्यादा तेजी से पहचान जाते हैं। ‘म’ के मामा बन जाने के पीछे का साइंस यही है।
‘म’ साउंड बच्चों के बोलने की वजह से भाषाओं में कॉमन
भाषावैज्ञानिक जॉन मैकवॉर्टर ने अपनी किताब ‘The Power of Babel: A Natural History of Language’ (2001) में बताया कि मां के लिए ‘म’ साउंड का हर जगह होना कोई संयोग नहीं है।
वो कहते हैं कि ‘म’ बोलना इतना आसान है कि बच्चे इसे बिना सिखाए बोलने लगते हैं। यही वजह है कि अलग-अलग भाषा परिवार जैसे सिनो-तिब्बतन, सेमेटिक या बांटू बिना एक-दूसरे से प्रभावित हुए इसे मां से जोड़ देते हैं।
दुनिया में लिखी जाने वाली सबसे प्राचीन भाषा सुमेरियन, 5100 साल पुरानी मानी जाती है। लेकिन भाषाविद् मानते हैं कि मां के लिए संबोधन इससे भी कई हजार साल पुराना है। जब दुनिया में भाषाएं लिखी नहीं, सिर्फ बोली जाती थीं, उस समय भी मां और बच्चे के रिश्ते के लिए शब्द जरूर रहे होंगे।