Badrinath Temple in Pushkar: अक्षय तृतीया पर खुलेंगे पुष्कर के पौराणिक बद्रीनाथ धाम के कपाट: छह माह बाद होंगे भगवान बद्रीनारायण के दर्शन
अक्षय तृतीया इस बार 30 अप्रैल को है और इस दिन गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुल जाएंगे। हालांकि बद्रीनाथ और केदारनाथ के कपाट अक्षय तृतीया के दिन नहीं खुलेंगे

पुष्कर तीर्थ नगरी पुष्कर में हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया यानी आखा तीज पर भगवान बद्रीनारायण के दर्शन का विशेष धार्मिक महत्व है। कहते है कि इसी दिन पहाड़ी पर स्थित बद्री नाथ धाम में स्थित प्राचीन बद्री विशाल मन्दिर के कपाट छह माह के लम्बे अंतकाल के बाद दर्शनार्थियों के लिए खुलते हैं, इस का कारण जब कपाट बन्द रहते है तब छह महीने देवता पुजा करते है और जब छह महीने कपाट खुलते है, तब छह माह मानव पुजा करते हैं
पुष्कर में भी बद्रीनारायण भगवान के दो प्राचीन मन्दिर है
पहला मन्दिर छोटी बस्ती वराह मन्दिर के पास स्थित है यह मन्दिर करीब 400 वर्ष पुराना है मन्दिर के गर्भ ग्रह में बद्रीनाथ धाम जैसी शालीग राम शिला से बनी श्याम वर्ण की मुर्ति प्रतिष्ठापित है, जो चतुर्भुजी ध्यान मुद्रा में है भगवान के एक हाथ मे शंख व दुसरे हाथ में चक्र धारण किये हुये है व दो हाथ ध्यान मुद्रा में है

भगवान बद्री विशाल गरुड़ आसन व कमल आसन पर विराजित अति प्राचिन मुर्ति है
पुजारी परिवार शिवस्वरूप, विजय स्वरूप, ज्योति स्वरूप महर्षि की चोथी पीढ़ी भगवान बद्री विशाल की नित्य सेवा पुजा करते आ रहे है। पुजारी शिव स्वरूप महर्षि ने बताया कि अक्षया तृतीया पर भगवान बद्री विशाल का विशेष स्नान, अर्चना होती है व प्रातः काल, दोपहर, व संध्या काल में विशेष आरती व भोग प्रसाद ठाकूर जी के अर्पित होता है व प्रसाद भक्तों को वितरीत किया जाता है ।
मंगल वार को सांय काल फूल बंगला सजाया जाएगा व बुद्धवार आखा तीज पर भगवान के दिन में तीन बार विशेष श्रृंगार पुजा आरती दर्शन होगें तथा साथ ही तीनो बार अलग अलग प्रसाद का भोग लगेगा जिसमें प्रातः काल तुलसी चरणामृत व चना दाल, ककड़ी का भोग दोपहर केसर भात का भोग व सांय काल सत्तु का भोग लगाया जाता है व भक्तो को वितरित किया जाता हैं इस भोग का इसी दिन विशेष महत्व रहता है ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर पुष्कर के इस श्याम वर्ण भगवान के दर्शन करने का बद्री नाथ धाम यात्रा के बराबर फल मिलता है व दर्शन के बाद पास ही 50 गज दुरी पर प्राचीन श्री केदार नाथ धाम के दर्शन का लाभ भी श्रृद्धालु लेते हैं ।