134th Birth Anniversary of Dr. Bhimrao Ambedkar: डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती: भारतीय संविधान के जनक का संघर्ष और योगदान
14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। बता दें कि बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में हुआ था।

भारत के इतिहास में जन्मे कई सारे महापुरुषों में से एक बड़ा नाम है बाबा साहब भीमाराव अंबेडकर का, जिन्होंने समाज, शिक्षा, राजनीति और न्याय व्यवस्था की दिशा में कई बदलाव किए। डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर ऐसे ही एक महान विचारक, समाज सुधारक, और संविधान निर्माता थे
अंबेडकर का संपूर्ण जीवन जातीय भेदभाव और असमानता के खिलाफ एक संघर्ष था। उन्होंने दलित समुदाय के लिए समान अधिकार, शिक्षा, और राजनीतिक भागीदारी की मांग की। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से दलितों के लिए पृथक निर्वाचिका की मांग की थी, लेकिन महात्मा गांधी के आमरण अनशन के बाद पूना समझौता कर अपनी मांग वापस ली।
आइए जानते हैं बाबा साहेब के बारे में कुछ खास बातें:
अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, मध्य प्रदेश में हुआ था। वह सेना में सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल की 14वीं और आखिरी संतान थे। उनकी माता का नाम भीमाबाई सकपाल था। अंबेडकर का जन्म एक महार (दलित) जाति में हुआ था जिन्हें अछूत माना जाता था और जिनके साथ सामाजिक-आर्थिक भेदभाव किया जाता था। उनके मराठी ब्राह्मण शिक्षक, कृष्णजी केशव अंबेडकर ने स्कूल के रिकॉर्ड में उनका उपनाम ‘अंबदावेकर’ से बदलकर ‘अंबेडकर’ रख दिया था।
1897 में, अंबेडकर मुंबई के एलफिंस्टन हाई स्कूल में नामांकित एकमात्र अछूत छात्र थे। 1907 में, उन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की और अगले वर्ष उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय के एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया, और ऐसा करने वाले महार जाति के पहले व्यक्ति बन गए। 1912 तक, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में अपनी डिग्री प्राप्त की। उन्होंने जून 1915 में अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और एंथ्रोपोलॉजी में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। अंबेडकर ने 1927 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की डिग्री ली। अक्टूबर 1916 में, उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया और 1921 में मास्टर डिग्री पूरी की।
1906 में जब वे लगभग 15 वर्ष के थे तब उन्होंने नौ वर्षीय लड़की रमाबाई से विवाह किया, जिनका 1935 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 15 अप्रैल 1948 को उन्होंने नई दिल्ली में अपने घर पर शारदा कबीर से शादी की जिन्होंने सविता अंबेडकर नाम अपनाया और जीवनभर उनकी देखभाल की।
डॉ.अम्बेडकर शिक्षा
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के पास 64 विषयों में मास्टर थे और 9 भाषाओं में निपुण थे। उनके नाम कुल 32 डिग्रियां थीं। उन्होंने करीब 21 वर्षों तक विश्व के प्रमुख धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया, जिससे उनका दृष्टिकोण और भी व्यापक व समावेशी बना।
डॉ. आंबेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी कर, “डॉक्टर ऑफ साइंस” की प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त की। वे इस डिग्री को प्राप्त करने वाले न केवल पहले भारतीय थे, बल्कि आज तक के एकमात्र व्यक्ति भी हैं जिन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर की विश्वव्यापी प्रतिष्ठा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में किसी भी नेता की सबसे अधिक मूर्तियां हैं, तो वे डॉ. अंबेडकर की हैं। उनकी पहली मूर्ति 1950 में कोल्हापुर में स्थापित की गई थी। वे अकेले ऐसे भारतीय हैं जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
भारतीय ध्वज में “अशोक चक्र” को स्थान दिलाने का श्रेय भी डॉ. अंबेडकर को ही जाता है। उनकी प्रसिद्ध आत्मकथात्मक पुस्तक “वेटिंग फॉर ए वीज़ा” कोलंबिया विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
6 दिसंबर 1956 को नई दिल्ली में उनका निधन हुआ और उन्हें बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम विदाई दी गई। भारत सरकार ने उन्हें 1990 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया।