Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि पहला दिन आज से शुरू: जानें कलश स्थापना और पूजा विधि
30 मार्च 2025 को चैत्र नवरात्रि का महापर्व शुरू हो रहा है। जो रामनवमी तक चलेगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। और इसे खासतौर पर कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा से शुरू किया जाता है।

इस समय पूजा, जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इस पर्व में मां का पृथ्वी पर आगमन होता है। और विशेष मुहूर्त पर पूजा विधि का पालन किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व: चैत्र नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा और उनके नौ दिव्य अवतारों की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्रि का पहला दिन (Chaitra Navratri 2025 1st Day) मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित है। इसके साथ ही इसी दिन घटस्थापना भी किया जाता है। कहा जाता है कि मां दुर्गा की उपासना सच्ची भक्ति के साथ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन में खुशहाली आती है। इस दिन की पूजा में किसी भी तरह की बाधा न आए, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभ मुहूर्त: वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च, 2025 को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो चुकी है। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च 2025 से हो रही है। इसके साथ ही, पहला कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। दूसरा कलश स्थापना का समय अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस समय आप अपनी पूजा-पाठ और घट स्थापना कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्र पूजन विधि: कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। फिर मंदिर की सफाई करें और सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें और उस पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इस पर कलावा बांधें। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उसे चुनरी से लपेटकर कलावा से बांधें। नारियल को कलश के ऊपर रखकर देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।

नवरात्र घटस्थापना सामग्री
हल्दी, कुमकुम, कपूर, जनेऊ, धूपबत्ती, निरांजन, आम के पत्ते, पूजा के पान, हार-फूल, पंचामृत, गुड़ खोपरा, खारीक, बादाम, सुपारी, सिक्के, नारियल, पांच प्रकार के फल, चौकी पाट, कुश का आसन, नैवेद्य आदि………..
घट स्थापना की विधि
नवरात्र के दिन पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें। एक लकड़ी का पटरा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। मिट्टी के पात्र में जौ बो लें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में सुपारी, दूर्वा, फूल व थोड़ा सा इत्र डाल दें। कलश में पंच रत्न और कुछ सिक्के भी डालें। इस पर अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। साथ ही कलश के ऊपर नारियल लाल कपड़ा लपेटकर रख लें। आखिर में रोली, चंदन, चावल, जनेऊ, इत्र, और फूल माला चढ़ाएं। साथ ही मीठे का भोग लगाएं। दीपक जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ व मंत्रों का जप आदि करना चाहिए।
मां दुर्गा पूजा मंत्र : सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।। या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।