Kamb Ramayana Festival 2025: कंब रामायण महोत्सव: गजेंद्र सिंह शेखावत बोले- रामायण ने वैश्विक चेतना में छोड़ी अमिट छाप
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि रामायण ने राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर वैश्विक चेतना में एक स्थायी विरासत छोड़ी है। अच्छाई बनाम बुराई, कर्तव्य व धार्मिकता और बुराई पर पुण्य की जीत जैसे इसके विषय सभी संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होते हैं।

मंगलवार को तमिलनाडु के काट्टळगिय सिंगपेरुमाल मंदिर में कंब रामायण महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि रामायण ने दुनिया भर में कला, साहित्य, संगीत और नृत्य के अनगिनत कार्यों को प्रेरित किया है।
रामायण का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक
शेखावत ने कहा, “रामायण का संदेश प्रकाश और अंधकार, अच्छाई और बुराई के शाश्वत संघर्ष और धार्मिकता के मार्ग का अनुसरण करने के महत्व की बात करता है। इसका वैश्विक प्रभाव रामायण की सार्वभौमिक अपील का प्रमाण है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना कि हजारों साल पहले था।
शेखावत ने श्रीरंगम के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि 20 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में कंब रामायण के छंदों को सुनने के अपने अनुभव को जीवनभर का अनमोल क्षण बताया था। शेखावत ने कहा, “यह वही मंदिर है, जहां महान कंबन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपनी रामायण प्रस्तुत की थी, जिससे यह स्थान और भी उल्लेखनीय बन जाता है।
साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को मिलता है बढ़ावा
शेखावत ने कहा कि कंब रामायण महोत्सव के आयोजन से भारत की साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह परंपरा हमारे युवाओं के जीवन में जीवित, जीवंत और प्रासंगिक बनी रहे।
कंब रामायण महोत्सव क्या है?
कंब रामायणको हिन्दी में अनुवादित किया जा चुका है। कंब रामायण, तमिल भाषा में रचित एक महान काव्य है। इसे तमिल कवि महाकवि कंबन ने लिखा था। कंब रामायण को तमिल में रामावतारम के नाम से भी जाना जाता है।