Madan Dilawar News Update: संस्कृत शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने किया संस्कृत महाविद्यालय के नवीन भवन का भूमि पूजन: 2 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से बनेगा नया भवन
जयपुर शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री श्री मदन दिलावर ने आज यहां चेचट में संचालित राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय के नवीन भवन निर्माण के लिए पूजन किया।

2 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से बनने वाले इस नवीन भवन की नींव रखने से पूर्व शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने महाविद्यालय परिसर में स्थापित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।इसके बाद मंत्री ने पारंपरिक विधिविधान से भूमि पूजन कर गैंती,फावड़े और तगारी तथा निर्माण कार्य करने वाले कारीगर को भी तिलक रोली और कलावा बांध कर पूजन किया। इसके बाद मंत्री ने शिलापट्ट का अनावरण किया।
इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मंत्री श्री दिलावर ने कहा कि संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। संस्कृत में अथाह ज्ञान छुपा है। अभी तक जितने भी शोध हुए है सभी में संस्कृत का योगदान है। आज भी पूरी दुनिया नए नए आविष्कार करने के लिए संस्कृत में रचित हमारे प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कर रही है।
संस्कृत को समाप्त करने की कालांतर में कोशिश की गई। हमारे ज्ञान के प्रमुख केंद्र तक्षशिला और नालंदा को जलाया गया। ताकि हमारी पुस्तके और शोध समाप्त हो जाए। परंतु ऐसा हुआ नहीं। हमारा ज्ञान और हमारी समृद्ध परंपरा आज भी पूरी दुनिया को मार्ग दिखा रही है।

श्री दिलावर ने कहा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा निरंतर प्रयास कर रहे है कि संस्कृत का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार हो और लोग संस्कृत को पढ़े। हमने इसीलिए चेचट में आदर्श वेद विद्यालय खोलने का आग्रह किया मुख्यमंत्री जी से किया। उन्होंने हमारा आग्रह मानकर यह विद्यालय खोलने की स्वीकृति दे दी है। 15 बीघा जमीन का आवंटन भी हो गया है बहुत जल्दी भवन निर्माण का कार्य भी शुरू किया जाएगा। प्रदेश के 100 बजे यहां चेचट में रहकर वेद का अध्ययन करेंगे। रामगंजमंडी के वातावरण में वेद की ऋचाएं गूंजेगी।
बच्चियों ने मुझे सर बोला तो पीड़ा हुई: संस्कृत शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने आज यहां राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय के नवीन भवन के भूमि पूजन के अवसर पर आयोजित सभा में कहा कि आज मुझे यहां आकर नवीन भवन के भूमि पूजन की खुशी भी हुई और दुख भी हुआ। दुख की बात ये है कि संस्कृत महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने मुझे सर कहकर संबोधित किया। संस्कृत के विद्यार्थी अंग्रेजी भी बोले अच्छी बात है। पर कम से कम महाविद्यालय जहां वो पढ़ते है वहां तो संस्कृत के बोलने का अभ्यास करे। उन्होंने शिक्षकों को नसीहत दी कि विद्यार्थियों में संस्कृत भाषा के प्रति लगाव पैदा करे।