Mahakumbh Sadhu Akhada Election Process: वाराणसी में साधु-संतों का कुंभ: अखाड़ों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू, जानिए कैसे चुनी जाती है अखाड़ों की सरकार
प्रयागराज महाकुंभ के तीन अमृत स्नान पूरे होने के बाद सभी अखाड़े वापस वाराणसी पहुंच गए हैं। वाराणसी में होने वाले समागम को साधु-संतों का कुंभ भी कहा जाता है। इसमें आम व्यक्ति की मौजूदगी न के बराबर होती है।

बता दे की ये समागम अखाड़ों के चुनाव के लिए होता है। यहां अखाड़ों की सरकार तय होती है। जो अगले 3 और 6 साल के लिए चुनी जाती है। चुनाव का ये क्रम प्रयागराज में कुंभ से अर्द्धकुंभ और अर्द्धकुंभ से कुंभ, इसी तरह चलता है। अखाड़ों के चुनाव कैसे होते हैं, कौन-कौन वोटिंग करता है। आईये जानते है ……………….
देश में मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े
देश में 13 अखाड़ों को धार्मिक तौर पर मान्यता प्राप्त अखाड़े माना जाता है। इसमें श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा, श्री पंच अग्नि अखाड़ा महाराज, श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण, श्री पंचायती नया निर्वाण उदासीन अखाड़ा और श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा शामिल हैं।
अखाड़ों के पास करोड़ों की संपत्ति, अष्टकौशल करते हैं देख-रेख
इन अखाड़ों के पास पूरे देश में मठ-मंदिर समेत करोड़ों की जमीन और अन्य संपत्ति है। अकेले निरंजनी अखाड़े के पास मठ-मंदिरों और अन्य जमीनों की कुल संपत्ति 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, मिर्जापुर, माउंटआबू, जयपुर, वाराणसी, नोएडा, वडोदरा में निरंजनी अखाड़े के मठ और आश्रम हैं।
इसी तरह निर्वाणी अखाड़े के पास फैजाबाद, गोंडा, बस्ती, प्रतापगढ़ में काफी जमीनें हैं। निर्मोही अखाड़े की बस्ती, मानकपुर आदि शहरों में काफी जमीन है। जूना अखाड़े के देशभर में 50 हजार मठ-मंदिर हैं। सभी 13 अखाड़ों के पास करोड़ों रुपए की संपत्तियां हैं। इनकी देख-रेख के लिए अखाड़े में 8 श्रीमहंतों के समूह अष्टकौशल होते हैं। अलग-अलग अखाड़ों में इनका कार्यकाल 3 से लेकर 6 साल रहता है।
प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 को महाकुंभ शुरू होने के साथ ही अष्टकौशल भंग हो गया था। अब नए सिरे से इनका चुनाव कराया जाएगा। इस चुनाव में अखाड़ों के सदस्य वोटिंग करते हैं। इनमें पुजारी और नागा साधु भी शामिल हैं। चुनाव की नौबत कम ही आती है। ज्यादातर बार आम सहमति से पदाधिकारी चुन लिए जाते हैं।
ऐसे होता है अखाड़ा परिषद का चुनाव
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों का चुनाव आपसी सहमति या मतदान के माध्यम से किया जाता है। इस परिषद में देश के 13 मान्यता प्राप्त अखाड़े शामिल होते हैं।
अखाड़ा परिषद में चार प्रमुख पद होते हैं:
- अध्यक्ष
- महामंत्री
- उपाध्यक्ष
- कोषाध्यक्ष
इन पदों का चुनाव अखाड़ों के वरिष्ठ संतों द्वारा किया जाता है। प्रत्येक अखाड़े के श्रीमहंत परिषद का हिस्सा होते हैं, और उन्हीं में से किसी एक को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना जाता है। आमतौर पर यह चुनाव आपसी सहमति से होता है, लेकिन अगर मतभेद होते हैं। तो वोटिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है।