Government Will Hire Buses For Cities On Maharashtra Model: जयपुर सहित बड़े शहरों में अब किराए पर मिलेंगी इलेक्ट्रिक और CNG बसें: सरकार ने अपनाया महाराष्ट्र मॉडल
जयपुर सहित बड़े शहरों के लिए अब महाराष्ट्र मॉडल पर इलेक्ट्रिक और CNG बसें किराए पर ली जाएंगी। सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए बसें खरीदने की जगह किराए पर लेने का मॉडल अपनाया जाएगा।

बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ के सवाल के जवाब में UDH मंत्री झाबर सिंह खरा ने विधानसभा में इसकी घोषणा की। यूडीएच मंत्री ने कहा- अभी एक नई प्रक्रिया के तहत बसें खरीदने के मॉडल पर हमारी कुछ कंपनियों से बातचीत चल रही है।
जिस तरह महाराष्ट्र में इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसें लेते हैं। उन्होंने विभिन्न नगर निकायों को बसों को किराए पर दे रखा है। उसमें प्रतिदिन के हिसाब से किराया देना पड़ता है। हमारा काम केवल कंडक्टर रखकर जनता को सेवा देना रहेगा। इससे जो घाटा होगा तो सरकार वहन करेगी।
बता दे की भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने जयपुर में बढ़ती जाम की समस्या पर सरकार से सवाल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार परिवहन के साधनों को निजी हाथों में सौंप रही है और पूछा कि क्या पूरे परिवहन तंत्र का निजीकरण कर दिया जाएगा? सराफ ने कहा कि मंत्री ने 43 मार्गों पर 2,424 नई बसों के परमिट जारी किए हैं। इसके अलावा, 41,913 ऑटो रिक्शा और करीब 45,500 ई-रिक्शा को परमिट दिए गए हैं। जिससे राजधानी जयपुर में ट्रैफिक जाम की समस्या और गंभीर होती जा रही है।
150 ई-बसें और 300 CNG बसें खरीदने की प्रक्रिया जारी इसके जवाब में खर्रा ने कहा- जयपुर शहर के लिए बसों की कमी को दूर करने के लिए नई पीएम ई बस योजना में 150 इलेक्ट्रिक बसों के लिए भारत सरकार के स्तर पर 2 जनवरी 2025 को निविदा खोली जा चुकी है। उस निविदा के परीक्षण की कार्रवाई प्रक्रिया में है। राज्य सरकार वीके स्तर से 300 सीएनजी से चलने वाली AC मिडी बसों की निविदा भी प्रक्रियाधीन है। इसकी तकनीकी बिड 6 फरवरी को खोली जाएगी।
क्या सफल होगा महाराष्ट्र मॉडल?
अब देखना होगा कि महाराष्ट्र मॉडल राजस्थान में कितना सफल होता है और क्या यह यातायात की समस्याओं को दूर कर पाएगा। विपक्ष इस फैसले को निजीकरण का बड़ा कदम बता रहा है। जबकि सरकार इसे आर्थिक रूप से लाभदायक और व्यवहारिक नीति बता रही है। राजस्थान में इस नए परिवहन मॉडल के क्रियान्वयन पर सभी की नजरें टिकी हैं।