Jaipur Net-Theatre Program: नेट-थियेट पर राजस्थानी लोकगीतों की संगीतमयी संध्या: सांवरमल कथक और खुशी चौहान ने बांधा समां
जयपुर नेट-थियेट कार्यक्रमों की लोकप्रिय श्रृंखला में रविवार को आयोजित राजस्थानी लोकगीतों की एक शानदार संध्या ने श्रोताओं को राजस्थान की संस्कृति और संगीत से जोड़ा। सुप्रसिद्ध लोक गायक सांवरमल कथक (श्री डूंगरगढ़) और उनकी सहयोगी कलाकार खुशी चौहान ने अपनी सुरीली आवाज और मनमोहक प्रस्तुतियों से सर्द मौसम को सांस्कृतिक गर्माहट से भर दिया ।
कार्यक्रम की शुरुआत: लोकगीतों की झंकार
कार्यक्रम की शुरुआत सांवरमल कथक ने सुप्रसिद्ध गीत धन म्हारा देश बीकाणा, घर की लुगायां म्हारे काम करें छे से की। यह प्रस्तुति श्रोताओं को लोकगीतों की गहराई में ले गई। इसके बाद उन्होंने पाळ माथे पिपळी कलालण हिंडो घाल्यो ए गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
युगल गीतों का जादू: सांवरमल और खुशी की जोड़ी
कार्यक्रम में सांवरमल कथक और खुशी चौहान की जोड़ी ने गोरली कर सोलह सिंगार चाली पाणी ने पणीहार और ओलूड़ी घणी आवे म्हारी नाजुड़ी न जैसे युगल गीत प्रस्तुत किए। उनकी प्रस्तुति इतनी प्रभावशाली थी कि दर्शक मंत्रमुग्ध होकर लोक संस्कृति की इस झलक का आनंद लेते रहे।
लोक संस्कृति का उत्सव: रंग रंगीला राजस्थान
कार्यक्रम का समापन बेहद लोकप्रिय गीत म्हारो रंग रंगीलो राजस्थान से हुआ। सांवरमल कथक और खुशी चौहान की इस प्रस्तुति ने राजस्थान की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया। इस गीत के साथ पूरा माहौल लोक संस्कृति के रंगों से सराबोर हो गया।
संगीत संगत और आयोजकीय सहयोग
कार्यक्रम में तबले पर धीरज कथक ने शानदार संगत दी, जिसकी श्रोताओं ने जमकर सराहना की। कैमरा संचालन मनोज स्वामी, संगीत व्यवस्था रेनू सनाढ्य, मंच सज्जा अंकित शर्मा नोनू और जीवितेश शर्मा ने की। संयोजन की जिम्मेदारी नवल डांगी ने निभाई।
कार्यक्रम के अंत में खुशखरीद के देवेंद्र सिंधवी ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस शानदार आयोजन ने नेट-थियेट के दर्शकों को एक यादगार अनुभव दिया और राजस्थानी लोक संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।