Ajmer Dargah Case: अजमेर दरगाह सर्वे विवाद: पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
अजमेर दरगाह के सर्वे को लेकर अब पूर्व नौकरशाहों के एक ग्रुप ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि यह हमारी विरासत पर हमला है। पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों के ग्रुप ने दावा किया कि सिर्फ प्रधानमंत्री ‘सभी अवैध, हानिकारक गतिविधियों’ को रोक सकते हैं।
इस पत्र में कहा गया कि भारत की एकता और अखंडता पर हमला करने वाली ऐसी अवैध और हानिकारक गतिविधियों में हस्तक्षेप करें। यह भारतीय विरासत पर वैचारिक हमला है। पूर्व ब्यूरोक्रेट्स लॉबी ने अपने पत्र में जिक्र करते हुए पीएम मोदी को याद दिलाया कि उर्स के मौके पर उन्होंने भी अजमेर शरीफ में चादर पेश की थी।
उधर मामले को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा की हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि लोग अपनी बात कोर्ट में नहीं रख सकते। सबको अपनी बात रखने का हक है। यदि कोर्ट उचित समझे तो उस पर निर्णय देता है और यदि उचित नहीं समझे तो याचिका को खारिज कर देता है।अदालत ने नोटिस जारी किया।
उन्होंने 29 नवंबर को प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा कि कुछ अज्ञात समूह हिंदू हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे हैं। और यह साबित करने के लिए मध्ययुगीन मस्जिदों तथा दरगाहों के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग कर रहे हैं। कि इन स्थलों पर पहले मंदिर हुआ करते थे। समूह ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद अदालतें भी ऐसी मांगों पर अनुचित तत्परता और जल्दबाजी के साथ प्रतिक्रिया देती नजर आती हैं।
पूर्व नौकरशाहों को इस ग्रुप में कौन-कौन?
समूह में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त शिव मुखर्जी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, सेना के पूर्व उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर रवि वीरा गुप्ता शामिल हैं।
पूजा स्थल अधिनियम का उल्लेख
पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के प्रावधानों के बावजूद अदालतें ऐसी मांगों पर “अनावश्यक तत्परता” दिखा रही हैं। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह की गतिविधियां भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचा सकती हैं।
बता दें कि 27 नवंबर को अजमेर की एक सिविल अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया। यह नोटिस हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका पर जारी किया गया। याचिका में दावा किया गया था कि दरगाह मूलरूप से एक शिव मंदिर था।