Yasin Malik: कौन है यासीन मलिक? हथियार छोड़ गांधीवादी बन गया हूं: तिहाड़ में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक का हलफनामा
यासीन ने 1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ-वाई बनाया था। यासीन ने इस संगठन के अपने आतंकवादियों के साथ मिलकर 1990 में श्रीनगर के रावलपुरा में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की सनसनीखेज हत्या की थी।
टेरर फिलिडिंग के मामले में दिल्ली तिहाड़ जेल में सजा काट रहे जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने खुद को गांधीवादी बताया है. मलिन ने अपने संगठन जेकेएलएफ-वाई पर प्रतिबंध की समीक्षा करने वाले यूएपीए न्यायाधिकरण से कहा है कि अब वो गांधीवादी है. उसने 1994 से ही हथियार और हिंसा छोड़ दी है।
कौन है यासीन मलिक?
यासीन मलिक एक कश्मीरी आतंकी और अलगाववादी नेता है। वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़ा है। वह कश्मीर की राजनीति मेंयासीन मलिक (जन्म: 1963) जम्मू और कश्मीरवह[1] मार्च 2020 में, मलिक पर 1990 में एक हमले के दौरान भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या की ।उसे रूबिया सईद के अपहरण के मुकदमे का भी सामना करना पड़ रहा है। वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। मई 2022 में, मलिक ने आपराधिक साजिश और राज्य के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियो के आरोप में दोषी ठहराया, और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
न्यायाधिकरण को दिए अपने हलफनामे में मलिक ने दावा किया कि उन्होंने 1994 में “संयुक्त स्वतंत्र कश्मीर” की स्थापना पाने के लक्ष्य पाने के मकसद से जेकेएलएफ-वाई के जरिए सशस्त्र संघर्ष की राह छोड़ दी थी. अब अपने विरोध और प्रतिरोध के लिए उसने गांधीवादी तौर तरीका अपना रखा है।
90 के शक में की थी वायु सेना के कर्मियों की हत्या
यासीन पर यूएपीए न्यायाधिकरण का आदेश राजपत्र में प्रकाशित हुआ है. उसमें जेकेएलएफ-वाई को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत अगले पांच वर्षों के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है. इसमें संदिग्ध और तथ्यात्मक दावों के माध्यम यह बता गया की किस तरह केंद्र में शीर्ष राजनीतिक और सरकारी पदाधिकारी 1994 से इस संगठन के साथ जुड़े हुए है।
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यासीन ने 1988 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ-वाई बनाया था. यासीन ने इस संगठन के अपने आतंकवादियों के साथ मिलकर 1990 में श्रीनगर रावलपुरा में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की सनसनीखेज हत्या की थी. यासीन ही इस कांड का मुख्य आरोपी है. इस सामूहिक हत्याकांड के गवाहों ने अदालत में यासीन मलिक को मुख्य शूटर के रूप में पहचान लिया था।
एनआईए की जांच में यासीन पर आतंकवाद के वित्तपोषण यानी टेरर फंडिंग के आरोप भी कोर्ट में सिद्ध हो गया. इसके बाद अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में मई 2022 मे उसे आजीवन कारवाश की सजा भी सुनाई थी।
आतंकवादियों से मिलना चाहते थे मनमोहन: यासिन मलिक
अलगाववादी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासिन मलिक का कहना है कि देश के पूर्व प्रधानंत्री मनमोहन सिंह आतंकवादियों से मिलना चाहते थेऔर इसके लिए उन्होंने उनसे मदद मांगी थी।
यासिन मलिक ने एक टीवी शो में कहा कि मनमोहन सिंह ने वर्ष 2006 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों से संपर्क के लिए उनसे मदद मांगी थी। मालिक के मुताबिक भारत और पाकिस्तान की शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के मद्देनजर मनमोहन आतंकवादी नेतृत्व से संपर्क के इच्छुक थे।
मालिक ने कहा की 2006 में मेरी मनमोहन से मुलाकात हुई थी इस दौरान मैंने उनसे शांति प्रक्रिया में आतंकवादियों को भी शामिल करने के लिए कहा था. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा था उन्हें इस संबंध में हमारी मदद की जरुरत है। हालांकि जेकेएलएफ नेता ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि मनमोहन सिंह की कथित इच्छा के मद्देनजर उन्होंने आतंकवादियों से संपर्क साधा या नहीं. जम्मू-कश्मीर पर जेकेएलएफ की नीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘कश्मीर को भारत अपना अभिन्न हिस्सा और सिर का ताज मानता है, जबकि पाकिस्तान इसे कंठ की नस मानता है।
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी की यही राय है कि इसका भविष्य कश्मीरी नागरिक लोकतांत्रिक तरीके से तय करें. हमारी राजनीतिक भावना यही है कि हम आजादी चाहते है।
केस की सुनवाई कर रहे एक जज ने खुद को सुनवाई से किया अलग
टेरर फंडिंग केस में दोषी ठहराए जाने के बाद से यासीन तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। यासीन को 21 जुलाई को जम्मू कोर्ट के आदेश के खिलाफ CBI की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था।
यासीन के केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इस केस से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस दत्ता ने कहा कि इस केस की सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी। इसकी सुनवाई दूसरी बेंच करेगी, जस्टिस दत्ता उसके सदस्य नहीं होंगे। उन्होंने कहा- अगर यासीन को अपनी कोई बात रखनी होगी तो वो वर्चुअली जुड़ेगा। उसे कोर्ट में पेश नहीं किया जाएगा।