Make in India Dream Project PM Modi : भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से दुनिया को क्या-क्या दिया, कैसे रचा इतिहास? दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता भारत :ऑटोमोबाइल का बड़ा बाजार बना
Make in India turns 10: भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान ने 10 साल पूरे कर लिए हैं. इस अभियान के जरिए भारत ने दुनियाभर में अपनी धाक जमाई. डिफेंस सेक्टर से वैक्सीन प्रोडक्शन तक रिकॉर्ड बनाए. मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में इतिहास रचने की तरफ आगे बढ़ा. जानिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के जरिए भारत दुनिया को क्या-क्या देता है, कैसे भारत ने अपनी छवि बदल दी?
भारत ने मेक इन इंडिया अभियान के 10 साल पूरे कर लिए हैं. 25 सितंबर 2014 को शुरू हुए इस अभियान के जरिए भारत आज कई क्षेत्रों में दुनिया भर में अपनी धाक जमा चुका है. जबरदस्त विदेशी निवेश इसे प्राप्त हुआ है. कभी कमतर समझा जाने वाला भारत आज विश्व स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग हब बन चुका है.
आइये जानते है कुछ खास
आइए जान लेते हैं कि आज इस अभियान के तहत भारत दुनिया को क्या-क्या निर्यात करता है? भारत ने कौन से रिकॉर्ड बनाए और कैसे दुनिया भर में अपनी छवि मजबूत की.
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बना भारत
देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए शुरू किए गए मेक इन इंडिया अभियान का ही नतीजा है कि आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका था. साल 2014 में इसकी शुरुआत के वक्त देश में केवल दो फैक्टरियां मोबाइल बनाती थीं. अब 200 से ज्यादा फैक्टरियां मोबाइल बना रही हैं. इनमें एप्पल जैसी कंपनी भी शामिल है. इसके कारण दुनिया को भारत से मोबाइल निर्यात में 7500 फीसदी की तेजी आई है. साल 2014 में भारत 1556 करोड़ रुपए कीमत के मोबाइल निर्यात करता था, जो अब बढ़ कर 1.2 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. भारत में इस्तेमाल होने वाले 99 फीसदी मोबाइल अब देश में ही बने होते हैं
ऑटोमोबाइल का बड़ा बाजार बना
आज दुनिया भर में भारत चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया है और दुनिया भर की तमाम ऑटोमोबाइल कंपनियां यहां अपने प्लांट लगा रही हैं. यह दुनिया में चौथा सबसे बड़ा रीन्यूएवल एनर्जी उत्पाद देश बन चुका है और इसकी उत्पादन क्षमता 400 फीसद तक बन चुका है. पीवी सोलर मॉड्यूल्स में भी भारत ने 30,370 करोड़ का निवेश हासिल करने में सफलता पाई है.
50 फीसदी वैक्सीन सप्लाई करता है भारत
आज दुनिया को 50 फीसदी की वैक्सीन भारत ही देता है, जबकि पहले ज्यादातर वैक्सीन का आयात करता था. फार्मास्यूटिकल ड्रग्स के क्षेत्र में भारत ने 29482 करोड़ रुपए का निवेश हासिल किया है जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. यही नहीं, भारत आज दुनिया भर के बच्चों के लिए खिलौना निर्यात करता है. साल 2014-15 में खिलौना निर्यात 9.62 करोड़ डॉलर का था जो आज 239% बढ़कर 2023-24 में 32.57 करोड़ डॉलर पर पहुंच चुका है. सबसे अहम बात यह है कि साल 2020 में नेशनल एक्शन प्लान फॉर टॉयज लागू किया गया था, जिससे खिलौनों के निर्यात में इतनी वृद्धि दर्ज की गई है.
डिफेंस सेक्टर में नई ऊंचाइयां छुई
मेक इन इंडिया के सबसे ज्यादा असर जिस क्षेत्र में दिख रहा है, वह है डिफेंस. इस अभियान की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. यह मेक इन इंडिया की शुरुआत के वक्त यानी दस साल पहले सिर्फ 500-600 करोड़ रुपए था. यानी आज भारत दुनिया के कई देशों को अपनी रक्षा के लिए हथियार, उपकरण और तकनीक मुहैया करा रहा है.
केवल पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो रक्षा निर्यात 32.5 प्रतिशत अधिक हो गया है. दस साल पहले के स्तर से तो यह 21 गुना ज्यादा है. कुल रक्षा उत्पादन 2014-15 में 46429 करोड़ रुपए से बढ़कर इन 10 सालों में 1,27,264 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. चालू वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक रक्षा उत्पादन को बढ़ाकर 1.75 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में लगा रहा ऊंची छलांग
दुनिया भर में निवेश के लिए अच्छे देश के रूप में अपनी छवि सुधारने के बाद भारत ने सेमीकंडक्टर जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाए हैं. भारत ने इस क्षेत्र में 1.5 लाख रुपए से अधिक का निवेश हासिल किया है. पांच प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिनमें रोज सात करोड़ से ज्यादा चिप बनाए जाएंगे. केंद्र सरकार अब 76000 करोड़ रुपए की सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम डेवलपमेंट जैसी योजना पर आगे बढ़ रही है
स्टार्टअप की संख्या में इतनी बढ़ोतरी
अपेक्षाकृत नए सेक्टर स्टार्टअप में भी भारत को बेहतरीन सफलता मिली है. साल 2014 में जहां इनकी संख्या 350 थी, वहीं अब 1.48 लाख हो गई है. सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, कुल स्टार्टअप में से 45 फीसद छोटे शहरों यानी टियर II और टियर III शहरों से उबरे हैं. 2014 के बाद से अब तक इनको 1 करोड़ से अधिक पेटेंट भी दिए गए हैं.
निर्यात में चार लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की वृद्धि
MSME क्षेत्र में मेक इन इंडिया के जरिए बेहतरीन बदलाव देखने को मिला है. आज उद्यम पोर्टल पर 4.91 करोड़ के करीब एमएसएमई रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 1.85 करोड़ इकाइयों की मालकिन महिलाएं हैं. इन इकाइयों के जरिए 21.17 करोड़ लोगों को नौकरियां मिली हैं. साल 2022-23 में देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का 30.1 फीसद योगदान रहा है.
सरकार के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि साल 2023-24 में खादी की कुल बिक्री 1.55 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. वहीं, पीएलआई योजना के जरिए 1.28 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ है. इससे 8.5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुईं और निर्यात में चार लाख करोड़ रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हुई.