नेहरू पेपर्स 2008 में लौटाए गए थे, अब तक सार्वजनिक अभिलेखागार में नहीं : शेखावत
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि नेहरू पेपर्स 2008 में लौटा दिए गए थे। अब सवाल यह है कि इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में क्यों नहीं रखा गया। उन्होंने जयराम रमेश से आग्रह किया कि लिखित वचन के अनुसार दस्तावेज पीएमएमएल को लौटाए जाएँ।
नेहरू पेपर्स ‘लापता’ नहीं, 2008 में विधिवत लौटाए गए थे, केंद्रीय मंत्री शेखावत का स्पष्ट बयान
नई दिल्ली :
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) से “लापता” नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 में तत्कालीन नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) से जुड़े 51 बक्सों में रखे दस्तावेज गांधी परिवार को विधिवत प्रक्रिया के तहत लौटाए गए थे।
शेखावत ने कहा कि पीएमएमएल के अभिलेखों में इन दस्तावेजों का पूरा रिकॉर्ड और कैटलॉग आज भी सुरक्षित है। असल प्रश्न यह नहीं है कि दस्तावेज कहां हैं, बल्कि यह है कि अब तक इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में वापस क्यों नहीं किया गया, जबकि पीएमएमएल की ओर से कई बार औपचारिक पत्राचार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि जनवरी और जुलाई 2025 में भी इस विषय पर स्मरण पत्र भेजे गए थे।
नेहरू के दस्तावेज राष्ट्रीय धरोहर हैं
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, और उनसे जुड़े दस्तावेज निजी संपत्ति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय धरोहर हैं। ऐसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेखों का स्थान किसी निजी दायरे में नहीं, बल्कि सार्वजनिक अभिलेखागार में होना चाहिए, ताकि विद्वान, शोधकर्ता, विद्यार्थी और आम नागरिक इनके अध्ययन और लाभार्थी बन सकें।
शेखावत ने प्रश्न उठाया कि यदि इतिहास को समझने और निष्पक्ष चर्चा की बात की जाती है, तो ऐसे मूल दस्तावेजों को सार्वजनिक पहुंच से दूर क्यों रखा जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इतिहास को चुनिंदा तरीके से नहीं लिखा जा सकता और लोकतंत्र की बुनियाद पारदर्शिता पर टिकी होती है।
सार्वजनिक करना प्रशासनिक नहीं, नैतिक दायित्व भी
शेखावत ने कहा कि ऐतिहासिक अभिलेखों को सार्वजनिक करना केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि नैतिक दायित्व भी है। उन्होंने अपेक्षा जताई कि संबंधित पक्ष इस विषय में शीघ्र सकारात्मक कदम उठाएगा, ताकि देश की ऐतिहासिक धरोहर जनता और शोध जगत के लिए उपलब्ध हो सके।
2008 में नेहरू पेपर्स का हस्तांतरण
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वर्ष 2008 में नेहरू पेपर्स पीएमएमएल से बाहर ले जाए गए थे। उस समय कांग्रेस सरकार थी और गांधी परिवार के पास दस्तावेज चले गए। शेखावत ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, लेकिन अब सवाल यह है कि इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सार्वजनिक अभिलेखागार में क्यों नहीं रखा गया।
जयराम रमेश को शेखावत का संदेश
शेखावत ने दो टूक कहा कि जयराम रमेश को पता होना चाहिए कि श्रीमती गांधी ने लिखित रूप में स्वीकार किया है कि ये दस्तावेज उनके पास हैं और उन्होंने सहयोग का आश्वासन भी दिया था। शेखावत ने कहा कि तथ्यहीन आरोप लगाने के बजाय बेहतर होगा कि रमेश जी, श्रीमती गांधी से आग्रह करें कि अपने लिखित वचन का पालन करते हुए ये दस्तावेज पीएमएमएल को लौटाएं।
इतिहास के निष्पक्ष अध्ययन के लिए आवश्यक कदम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब नेहरू जी के दौर के मूल दस्तावेज सार्वजनिक अभिलेखागार में होंगे, तभी इतिहास का निष्पक्ष एवं पारदर्शी अध्ययन संभव होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास को किसी राजनीतिक या निजी स्वार्थ के तहत नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
गजेन्द्र सिंह शेखावत के बयान ने स्पष्ट कर दिया कि नेहरू पेपर्स लापता नहीं हुए हैं, लेकिन इनकी सार्वजनिक उपलब्धता में विलंब ने ऐतिहासिक शोध और अध्ययन के रास्ते को बाधित किया है। अब जनता और शोधकर्ताओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेजों को पीएमएमएल में लौटाना आवश्यक है।

