संयुक्त अभिभावक संघ ने स्कूल मानक प्राधिकरण में प्रतिनिधित्व न होने पर गंभीर सवाल उठाए

संयुक्त अभिभावक संघ ने आरएसएसएसए में अभिभावक प्रतिनिधित्व की कमी और नीरजा मोदी स्कूल प्रकरण में शिक्षा विभाग की देरी पर कड़े सवाल उठाए।
स्कूल स्टैंडर्ड अथॉरिटी में अभिभावक प्रतिनिधित्व क्यों नहीं? – संयुक्त अभिभावक संघ ने उठाए गंभीर सवाल
जयपुर। राजस्थान के शिक्षा ढांचे और स्कूल जवाबदेही को लेकर राज्य में एक बार फिर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के हालिया निर्णयों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि स्कूलों की सुरक्षा, जवाबदेही और पारदर्शिता से जुड़े फैसलों में अभिभावकों को बाहर रखना बेहद चिंताजनक है।
संघ का आरोप है कि सरकार ऐसे महत्वपूर्ण निकायों का गठन कर रही है, जिनकी निगरानी का सीधा संबंध बच्चों और अभिभावकों से है, फिर भी उनमें अभिभावक प्रतिनिधि शामिल नहीं किए जा रहे।
1 लाख स्कूलों की निगरानी करने वाले प्राधिकरण में अभिभावक प्रतिनिधि क्यों नहीं?
राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण (RSSSA) के गठन की प्रक्रिया शुरू की है। संयुक्त अभिभावक संघ ने इसका स्वागत तो किया, पर 27-सदस्यीय समिति में एक भी अभिभावक प्रतिनिधि शामिल न किए जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की।
संघ ने कहा कि—
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समस्याएँ बच्चों और अभिभावकों को झेलनी पड़ रही हैं
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शिकायतें अभिभावक कर रहे हैं
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स्कूलों की मनमानी से परिवार प्रभावित हो रहे हैं
ऐसे में बिना अभिभावक सहभागिता के ऐसा प्राधिकरण “अविश्वसनीय, अपारदर्शी और औपचारिकता मात्र” रह जाएगा।
संयुक्त अभिभावक संघ की मुख्य मांगें
1. प्राधिकरण में कम से कम पाँच अभिभावक प्रतिनिधि शामिल हों
संघ का कहना है कि ये प्रतिनिधि
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रजिस्टर्ड अभिभावक संस्थाओं से हों
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विभागीय नामांकन से नहीं, बल्कि सार्वजनिक, पारदर्शी प्रक्रिया से चुने जाएँ
2. बच्चों की सुरक्षा से जुड़े हर निर्णय में अभिभावक अनिवार्य रूप से शामिल हों
सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, मानसिक स्वास्थ्य, एंटी-बुलींग पॉलिसी जैसे संवेदनशील विषयों में अभिभावकों की सक्रिय भूमिका अत्यंत जरूरी है।
संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा—
“बिना अभिभावक प्रतिनिधियों के यह प्राधिकरण केवल सरकारी औपचारिकता बनकर रह जाएगा। यदि सरकार शिक्षा माफियाओं के दबाव में पक्षपाती निकाय बनाएगी, तो बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?”
नीरजा मोदी स्कूल प्रकरण: शिक्षा विभाग की ‘नोटिस राजनीति’ पर संघ ने उठाए सवाल
संघ ने नीरजा मोदी स्कूल केस को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि—
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मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि शिक्षा विभाग स्कूल को नोटिस देगा
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लेकिन अमायरा के माता-पिता और संयुक्त अभिभावक संघ लगातार विभागीय “चुप्पी, उदासीनता और टालमटोल” का सामना कर रहे हैं
संघ का सवाल है कि जब—
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जांच टीम रिपोर्ट जमा करा चुकी है
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जांच अधिकारी रामनिवास शर्मा का प्रमोशन भी हो चुका
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उन्हें रिलीव भी कर दिया गया
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और वे मीडिया में कथित रूप से “स्कूल के पक्ष में” बयान दे चुके
तो फिर कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई?
संघ का हमला बेहद सीधा था—
“27 दिन बाद नोटिस भेजना क्या सिर्फ जनता को गुमराह करने की नौटंकी है?”
अमायरा की मौत लापरवाही का स्पष्ट मामला, फिर भी कार्रवाई क्यों नहीं?

संघ ने याद दिलाया कि—
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अमायरा की मौत में स्कूल की गंभीर लापरवाही के स्पष्ट संकेत हैं
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CBSE की रिपोर्ट और नोटिस सार्वजनिक हैं
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अभिभावक लगातार सड़कों पर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं
इसके बावजूद शिक्षा विभाग “सिर्फ बैठकें कर रहा है, कार्रवाई नहीं।”
अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा—
“नोटिस पर नोटिस जारी करके सरकार क्या समय निकाल रही है? क्या विभाग स्कूल की जिम्मेदारी से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है? न्याय में देरी सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।”
सुरक्षा गाइडलाइन कौन लागू कराएगा? अभिभावक प्रतिनिधि नहीं तो निगरानी कैसे होगी?
बैठक में सुरक्षा गाइडलाइन और जागरूकता कार्यक्रमों की बात हुई, पर संघ ने कहा कि ये सब तभी प्रभावी होगा जब निगरानी में अभिभावक शामिल होंगे।
संघ ने स्पष्ट कहा—
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स्कूल यदि अपनी सुरक्षा रिपोर्ट खुद तैयार करेंगे, तो यह “आत्म-प्रमाणन और ढोंग” बन जाएगा
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वास्तविक निगरानी तभी संभव है जब संरक्षक अभिभावक समिति को अधिकार दिए जाएँ
संयुक्त अभिभावक संघ की प्रमुख मांगें (प्वाइंट-वाइज)
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RSSSA में अभिभावक प्रतिनिधियों की अनिवार्य भागीदारी हो
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नीरजा मोदी स्कूल पर तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए — सिर्फ नोटिस नहीं
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सभी स्कूलों का सुरक्षा ऑडिट अभिभावक समिति की निगरानी में कराया जाए
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बुलींग और मानसिक स्वास्थ्य पर शून्य-सहनशीलता नीति लागू की जाए
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सभी स्कूलों की मॉनिटरिंग रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन होगा—संघ ने दी चेतावनी
संयुक्त अभिभावक संघ ने स्पष्ट कर दिया कि बच्चों की सुरक्षा, पारदर्शिता और न्याय किसी सौदेबाज़ी का विषय नहीं है।
संघ ने घोषणा की है कि यदि सरकार और विभाग तत्काल कार्रवाई नहीं करते, तो यह आंदोलन आगामी दिनों में राज्यव्यापी संघर्ष का रूप लेगा।
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