Jaipur News : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आयोजित मेंटल हेल्थ फेस्टिवल में डॉ. हर्षिका पारीक की पुस्तक का विमोचन

युवा पीढ़ी में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इस विषय पर खुले व निष्कपट संवाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जयपुर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर शहर का सबसे बड़ा मेंटल हेल्थ फेस्टिवल आयोजित किया गया। द काउंसलर्स चेयर द्वारा जयपुर क्लब में आयोजित इस एक दिवसीय उत्सव में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रतिभागियों ने भावनात्मक सुख-समृद्धि, आत्म-संबंध और सामुदायिक सहयोग को समर्पित दिन बिताया।
जयपुर में सबसे बड़ा मेंटल हेल्थ फेस्टिवल
जयपुर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर शहर का सबसे बड़ा मेंटल हेल्थ फेस्टिवल आयोजित किया गया। द काउंसलर्स चेयर द्वारा जयपुर क्लब में आयोजित इस एक दिवसीय उत्सव में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रतिभागियों ने भावनात्मक सुख-समृद्धि, आत्म-संबंध और सामुदायिक सहयोग को समर्पित दिन बिताया।

इस फेस्टिवल में चर्चा सत्रों, खेलों और अनुभवात्मक थेरेपी की एक श्रृंखला आयोजित की गई। गतिविधियों में इकस्टैटिक डांस, सेल्फ एनालिसिस, रिवाइविंग द इनर चाइल्ड, लेटर टू अ लव्ड वन, वर्ड फॉर सोल, जिगसॉ पज़ल मेकिंग, क्रिएटिंग अ बैग ऑफ कैल्म और पर्सनलाइज्ड सॉन्ग क्रिएशन जैसी कार्यशालाएं शामिल थीं। इन गतिविधियों का उद्देश्य प्रतिभागियों को खुशी, आत्म-जागरूकता और आत्म-देखभाल के महत्व को समझाना था।
कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण रहा मनोवैज्ञानिक डॉ. हर्षिका पारीक की नई पुस्तक ‘बियॉन्ड द फ़र्स्ट सेशन: काउंसलर’स टूलकिट’ का विमोचन। यह पुस्तक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है, जो सैद्धांतिक ज्ञान और वास्तविक थेरेपी अनुभव के बीच की खाई को पाटती है। पुस्तक में अनुभवजन्य अंतर्दृष्टियां, व्यवहारिक वर्कशीट्स और फील्ड-टेस्टेड तकनीकें शामिल हैं, जो इसे काउंसलर्स, शिक्षकों और मनोवैज्ञानिक पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बनाती हैं।
इस अवसर पर मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को सम्मानित भी किया गया। डॉ. सुषिला पारीक, पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय को ‘पायनियर ऑफ मेंटल हेल्थ / बीकन ऑफ गाइडेंस’ सम्मान से नवाज़ा गया। उनके आजीवन मनोवैज्ञानिक शिक्षा और अभ्यास में योगदान को विशेष रूप से सराहा गया। इसके साथ ही ‘कम्पैशन इन एक्शन’ और ‘वॉइसेज़ ऑफ चेंज’ श्रेणियों में उन व्यक्तियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने सहानुभूति, नवाचार और मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सक्रिय पहल दिखाई।

अनुभवात्मक गतिविधियां और सत्र
फेस्टिवल में चर्चा सत्रों, खेलों और अनुभवात्मक थेरेपी की श्रृंखला आयोजित की गई। प्रमुख गतिविधियों में शामिल थीं:
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इकस्टैटिक डांस
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सेल्फ एनालिसिस
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रिवाइविंग द इनर चाइल्ड
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लेटर टू अ लव्ड वन
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वर्ड फॉर सोल
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जिगसॉ पज़ल मेकिंग
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क्रिएटिंग अ बैग ऑफ कैल्म
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पर्सनलाइज्ड सॉन्ग क्रिएशन
इन गतिविधियों का उद्देश्य प्रतिभागियों को खुशी, आत्म-जागरूकता और आत्म-देखभाल के महत्व को समझाना था।
कार्यक्रम की आयोजक डॉ. हर्षिका पारीक ने कहा कि यह उत्सव आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक रहा। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य पर लोग अब बातचीत करने लगे हैं, लेकिन फिर भी समाज में इसके प्रति झिझक और कलंक मौजूद है। उनका कहना था कि इस आयोजन के माध्यम से उनका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को मज़ेदार, सहभागितापूर्ण और अनुभवात्मक प्रक्रिया बनाना था। उन्होंने कहा कि यह फेस्टिवल लोगों को न केवल भावनात्मक कल्याण के बारे में जागरूक बनाता है बल्कि उन्हें आत्म-देखभाल के व्यावहारिक तरीकों को अपनाने का अवसर भी प्रदान करता है।
फेस्टिवल ने युवा प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत किया और यह संदेश दिया कि भावनात्मक भलाई और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस आयोजन ने जयपुर में मानसिक स्वास्थ्य पर खुले संवाद और सहयोग का एक नया अध्याय लिखा।
इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि मनोवैज्ञानिक शिक्षा और अनुभवात्मक थेरपी के संयोजन से मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता को न केवल बढ़ाया जा सकता है बल्कि इसे समाज के हर वर्ग तक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जा सकता है। फेस्टिवल में शामिल सभी प्रतिभागियों ने इस अनुभव को प्रेरणादायक और उत्साहजनक बताया।
डॉ. हर्षिका पारीक की नई पुस्तक का विमोचन

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही डॉ. हर्षिका पारीक की पुस्तक ‘बियॉन्ड द फ़र्स्ट सेशन: काउंसलर’स टूलकिट’। यह पुस्तक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शिका है, जो सैद्धांतिक ज्ञान और वास्तविक थेरेपी अनुभव के बीच की खाई को पाटती है।
पुस्तक में शामिल हैं:
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अनुभवजन्य अंतर्दृष्टियां
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व्यवहारिक वर्कशीट्स
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फील्ड-टेस्टेड तकनीकें
यह पुस्तक काउंसलर्स, शिक्षकों और मनोवैज्ञानिक पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होती है।
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