Election 2025: लोकतंत्र की निगरानी में जुटे केंद्रीय पर्यवेक्षक: आयोग की आंख और कान बनेंगे
Election 2025: भारत निर्वाचन आयोग, संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत प्रदत्त व्यापक शक्तियों तथा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20B के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव की प्रक्रिया पर निगरानी रखने हेतु केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है।

पर्यवेक्षक अपनी नियुक्ति से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होने तक आयोग के अधीक्षण, नियंत्रण और अनुशासन में कार्य करते हैं।
पर्यवेक्षकों को Election की निष्पक्षता, तटस्थता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गंभीर जिम्मेदारी सौंपी जाती है, जो अंततः हमारे लोकतांत्रिक तंत्र की आधारशिला है। वे आयोग की “आंख और कान” के रूप में कार्य करते हैं और आयोग को समय-समय पर तथा आवश्यकता अनुसार रिपोर्ट देते रहते हैं।

पर्यवेक्षक न केवल आयोग को स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और समावेशी चुनाव कराने के अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने में सहयोग करते हैं, बल्कि मतदाताओं की जागरूकता और चुनाव में उनकी भागीदारी बढ़ाने में भी योगदान देते हैं।
पर्यवेक्षक का मुख्य उद्देश्य सुधार के क्षेत्रों की पहचान करना और ठोस एवं क्रियाशील सिफारिशें प्रस्तुत करना होता है।
वरिष्ठता और प्रशासनिक सेवाओं में उनके दीर्घ अनुभव के कारण, सामान्य एवं पुलिस पर्यवेक्षक आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में सहयोग करते हैं। वे जमीनी स्तर पर निर्वाचन प्रक्रिया के कुशल एवं प्रभावी प्रबंधन की निगरानी भी करते हैं।

व्यय पर्यवेक्षक उम्मीदवारों द्वारा किए गए चुनावी व्यय का अवलोकन करने के लिए नियुक्त किए जाते हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी बिहार विधान सभा के आम Election और जम्मू एवं कश्मीर (बडगाम एवं नगरोता विधानसभा क्षेत्र), राजस्थान (अंता), झारखंड (घाटशिला), तेलंगाना (जुबली हिल्स), पंजाब (तरण तारण), मिजोरम (डम्पा) तथा ओडिशा (नुआपाड़ा) में होने वाले उपचुनावों के लिए विभिन्न राज्यों में कार्यरत कुल 470 अधिकारियों (320 IAS, 60 IPS तथा 90 IRS/IRAS/ICAS आदि) को केंद्रीय पर्यवेक्षक (सामान्य, पुलिस एवं व्यय) के रूप में तैनात करने का निर्णय लिया है।

