Jaipur News: पश्चिमी राजस्थान लोकसंस्कृति और पर्यटन का स्वर्णिम संसार: सुरक्षा और सजगता: सीमावर्ती पर्यटन की अनूठी विशेषता
भारत के मानचित्र में यदि रंग-बिरंगे लोकजीवन, समृद्ध परंपराओं और मरुस्थलीय सौंदर्य का कोई प्रतीक तलाशा जाए, तो पश्चिमी राजस्थान निस्संदेह उस चित्र को सजीव करता है।

जैसलमेर की सुनहरी रेत से लेकर बीकानेर की कलात्मक हवेलियों तक जोधपुर के नीले शहर से लेकर बाड़मेर की लोकधुनों तक—यह इलाका केवल भूगोल नहीं, बल्कि जीवंत संस्कृति और अपार पर्यटन संभावनाओं का केन्द्र है।
सदियों से विदेशी सैलानियों और देशी यात्रियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा यह सीमावर्ती क्षेत्र अब सांस्कृतिक पर्यटन के क्षेत्र में नया इतिहास रच रहा है। यहां सुरक्षा, सजगता और लोकजीवन की सच्ची छवि के साथ एक ऐसा अनुभव है। जो किसी भी पर्यटक के हृदय में राजस्थान की अमिट छाप छोड़ जाता है।
संस्कृति और सौंदर्य का संगम: सीमावर्ती जिले पर्यटन की धुरी
पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक दलीप सिंह राठौड़ बताते हैं कि पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख जिले—जैसे जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर—राज्य की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन की आत्मा हैं। जोधपुर जिले के सालावास, चौपासनी और फलौदी; बाड़मेर के बरनवा जागीर, पाटौदी और शिव; जैसलमेर के जारना बारना और पोखरण; तथा बीकानेर जिले के ग्रामीण क्षेत्र—ये सभी मिलकर इस क्षेत्र को राजस्थान के सांस्कृतिक पर्यटन का कोहिनूर बना देते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक संपन्नता और पर्यटन ढांचा राज्य की वैश्विक पहचान को मजबूत करते हैं।

आंकड़े बताते हैं पश्चिमी राजस्थान की लोकप्रियता
वर्ष 2024 में इन चार जिलों में देशी और विदेशी पर्यटकों की भारी आमद रही:
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जोधपुर (ग्रामीण): 4,76,150 देशी व 3,545 विदेशी पर्यटक
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जोधपुर (शहर): 25,06,560 देशी व 2,03,945 विदेशी पर्यटक
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जैसलमेर: 2,24,16,810 देशी व 1,61,884 विदेशी पर्यटक
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बाड़मेर: 34,65,028 देशी व 249 विदेशी पर्यटक
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बीकानेर: 63,54,899 देशी व 71,079 विदेशी पर्यटक
ये आंकड़े इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं को दर्शाते हैं और यह साबित करते हैं कि यह क्षेत्र न केवल लोकप्रिय है, बल्कि देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए अत्यंत आकर्षक भी है।
सुरक्षा और सजगता: सीमावर्ती पर्यटन की अनूठी विशेषता
दलीप सिंह राठौड़ बताते हैं कि राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए जिस प्रकार की सुरक्षा और भरोसे की आवश्यकता होती है, वह यहां उपलब्ध है। देश में विषम परिस्थितियों में आईपीएल जैसे बड़े आयोजन स्थगित हुए थे, लेकिन जैसे ही हालात सुधरे, राजस्थान को तीन आईपीएल मैचों की मेजबानी दी गई। यह सुरक्षा की गारंटी है जो पर्यटकों के लिए एक बड़ी प्राथमिकता है। सीमावर्ती होने के कारण यहां की जनता, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और सशस्त्र बल विशेष सजग और जिम्मेदार हैं। यह सजगता पर्यटकों के प्रति सेवा और व्यवहार में भी दिखती है।
रेत, रंग और राग: यहां की सांस्कृतिक आत्मा
थार रेगिस्तान का यह इलाका लंगा, मांगणियार और मीर जैसे पारंपरिक लोकगायक समुदायों का घर है। उनकी सुर-लहरियां, कालबेलिया नृत्य, कठपुतली कला, दरी बुनाई, मिट्टी के बर्तनों का निर्माण, एप्लिक कार्य, चमड़े की कारीगरी, उस्ता कला और मिनिएचर पेंटिंग—इन सबका संगम इस क्षेत्र को एक जीवंत सांस्कृतिक संग्रहालय बनाता है। कालबेलिया लोकनृत्य, जिसे यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया है, यहां की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है।

राज्य सरकार की पहल: सांस्कृतिक पर्यटन को नई पहचान
राजस्थान सरकार ने पश्चिमी राजस्थान में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) किया है। इस पहल के तहत जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर जिलों के 10 ग्रामीण पर्यटन स्थलों को विशेष रूप से विकसित किया जा रहा है।
इस योजना में लगभग 1500 पारंपरिक कलाकार जुड़े हैं। इनके संगीत, शिल्प और कला के माध्यम से सीमावर्ती पर्यटन को मजबूत किया जा रहा है। इससे न केवल स्थानीय कारीगरों को आजीविका मिलेगी, बल्कि पर्यटक भी राजस्थान की असली आत्मा से परिचित होंगे।

38 मेले, 38 अवसर: हर मौसम में महकता राजस्थान
राजस्थान सरकार पूरे वर्ष लगभग 38 पारंपरिक मेले और त्योहार आयोजित करती है, जिनमें पशु मेले, संगीत और नृत्य महोत्सव, हेरिटेज वॉक और खानपान महोत्सव शामिल हैं। ये आयोजन न केवल सांस्कृतिक संरक्षण करते हैं, बल्कि पर्यटकों को भी बेमिसाल अनुभव देते हैं।
सीमाओं से आगे बढ़ती विरासत
पश्चिमी राजस्थान केवल सीमाओं का प्रहरी नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का वाहक है। यहां की मिट्टी में संगीत है, हवाओं में रंग है, और जनजीवन में वह गर्मजोशी है। जो हर सैलानी को अपना बना लेती है। राज्य सरकार की योजनाएं, स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी, पारंपरिक कलाकारों की जीवंतता और वैश्विक मंचों से जुड़ाव—इन सभी प्रयासों ने इस क्षेत्र को पर्यटन के मानचित्र पर चमकता सितारा बना दिया है।