Persecution of Hindus in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: आरएसएस ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग उठाई
बेंगलुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने आज अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव पर मीडिया को जानकारी दी।

उनके साथ मंच पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर भी उपस्थित रहे। ब्रीफिंग के दौरान कर्नाटक उत्तर और दक्षिण प्रचार प्रमुख अरुण कुमार, क्षेत्र प्रचार प्रमुख आयुष नादिमपल्ली, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी और नरेंद्र कुमार मौजूद रहे।
संगठनात्मक कार्यों का विश्लेषण और विस्तार पर चर्चा
अरुण कुमार ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में संगठनात्मक कार्यों का विश्लेषण, विकास, प्रभाव और समाज परिवर्तन पर व्यापक चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि संघ ने गत 100 वर्षों में अपने कार्यों के विस्तार और सुदृढ़ीकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने संघ की यात्रा की जानकारी देते हुए बताया कि एक शाखा से लेकर पूरे देश में संघ का व्यापक विस्तार हुआ है। संघ का लक्ष्य ‘सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी’ होना है, जो समाज और राष्ट्र के सभी पहलुओं को छू सके।
उन्होंने बताया कि संघ आज देश के 134 प्रमुख संस्थानों (Premiere Institutions) में उपस्थिति दर्ज करा चुका है और आने वाले वर्षों में सभी संस्थानों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। संघ सुदूर और जनजातीय क्षेत्रों में भी सक्रिय है। उदाहरण के लिए, ओडिशा के कोरापुट और बोलनगीर जैसे जनजातीय क्षेत्रों में संघ की 1031 शाखाएं संचालित हो रही हैं, जिनमें स्थानीय समुदायों के स्वयंसेवक कार्यरत हैं।
समाज में संपर्क और महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने पर जोर
गत वर्ष संघ ने संपर्क अभियान के तहत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले लगभग 1.5 लाख पुरुषों और महिलाओं से संपर्क किया और उनके साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की। लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर 22,000 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें समाज के सभी वर्गों ने भाग लिया। महिलाओं की भागीदारी और समाज में उनके योगदान को बढ़ावा देने के लिए वर्षभर में 472 महिला-केंद्रित सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें 5.75 लाख महिलाओं ने सहभागिता की।
दिव्यांग बच्चों को सम्मानजनक जीवन की दिशा में प्रयास
अरुण कुमार ने कहा कि संघ जहां भी कोई समस्या देखता है, उसका समाधान खोजने में जुट जाता है। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में दिव्यांग बच्चों की उपेक्षा की स्थिति को देखकर संघ ने उनकी पहचान कर उन्हें न केवल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई, बल्कि आजीविका के विभिन्न साधन भी प्रदान किए, जिससे वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।
बांग्लादेश में हिंदुओं के समर्थन में प्रस्ताव पारित
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने ‘बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता’ शीर्षक से एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि संघ बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हो रही हिंसा, उत्पीड़न और लक्षित हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त करता है।
प्रस्ताव में धार्मिक संस्थानों पर हमलों, क्रूर हत्याओं, जबरन कन्वर्जन और हिंदुओं की संपत्तियों को नष्ट करने की घटनाओं की कड़ी निंदा की गई है। वैश्विक समुदाय से इन अत्याचारों पर निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।
हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता
अरुण कुमार ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या में लगातार गिरावट हो रही है। 1951 में हिंदू जनसंख्या 22 प्रतिशत थी, जो अब घटकर मात्र 7.95 प्रतिशत रह गई है। यह आंकड़ा वहां हिंदू समाज के अस्तित्व पर गंभीर संकट को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मठों, मंदिरों पर हमले, देवी-देवताओं की अपवित्रता, संपत्तियों की लूट और जबरन कन्वर्जन जैसी घटनाएं निंदनीय हैं, लेकिन संस्थागत उदासीनता और सरकारी निष्क्रियता के कारण अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बढ़ता खतरा
प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में भारत-विरोधी बयानबाजी पर भी चिंता जताई। प्रस्ताव में कहा गया कि पाकिस्तान और डीप स्टेट जैसे अंतरराष्ट्रीय तत्व सांप्रदायिक तनाव और अविश्वास को बढ़ावा देकर क्षेत्र को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। भारत और उसके पड़ोसी देशों के साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को खतरे में डालने वाली यह गतिविधियां पूरे क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
हिंदू समाज का सराहनीय प्रतिरोध और वैश्विक समर्थन
अरुण कुमार ने कहा कि अत्याचारों के बावजूद बांग्लादेश के हिंदुओं ने न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रतिरोध का उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। भारत और विश्वभर के हिंदुओं ने इस संघर्ष को नैतिक और मनोवैज्ञानिक समर्थन दिया है। भारत सरकार ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के समर्थन की प्रतिबद्धता दोहराई है और कूटनीतिक माध्यमों से यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है।
संघ का वैश्विक समुदाय से आह्वान
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक समुदाय से अपील की है कि वे बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाएं।
सभी भाषाओं का सम्मान, विभाजन की राजनीति का विरोध
भाषाओं से जुड़े विवादों पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में अरुण कुमार ने कहा कि “सभी भाषाएं समान हैं। भाषा, क्षेत्र और भोजन को विभाजन का हथियार नहीं बनाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत एक राष्ट्र है और विविधता में एकता इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने दोहराया कि संघ का उद्देश्य समाज को जोड़ना है, न कि बांटना।