Ayodhya Ram Mandir Pujari Satyendra Das Maharaj Death Update: राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन: एसजीपीजीआई लखनऊ में ली अंतिम सांस
अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास आज सुबह सात बजे बृह्मलीन हो गए। 2 फरवरी को सत्येंद्र दास को अयोध्या के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से बेहतर इलाज के लिए उन्हें पहले ट्रामा सेंटर और फिर लखनऊ एसजीपीजीआई रेफर किया गया था।

आचार्य सत्येंद्र दास ने 85 वर्ष की आयु में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) लखनऊ में अंतिम सांस ली। एसजीपीजीआई के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य सत्येंद्र दास के बृह्मलीन होने पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है।
एसजीपीजीआई प्रवक्ता के अनुसार, उन्हें तीन फरवरी को एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था। स्ट्रोक के बाद वह न्यूरोलॉजी वार्ड एचडीयू में थे। एसजीपीजीआई से उनकी पार्थिव देह को अयोध्या ले जाया जाएगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने इसकी घोषणा की है।
संत कबीरनगर में जन्मे, अयोध्या में बीता जीवन
सत्येंद्र दास का जन्म संतकबीरनगर जिले में 20 मई, 1945 को हुआ था। जो अयोध्या से 98 किमी दूर स्थित है। वे बचपन से ही भक्ति भाव में रहते थे। और उनके पिता अक्सर अयोध्या जाया करते थे। सत्येंद्र दास भी अपने पिता के साथ अयोध्या भ्रमण पर जाते थे।
अयोध्या में उनके पिता अभिराम दास जी के आश्रम में जाते थे। सत्येंद्र दास भी इस आश्रम में आने लगे। अभिराम दास वही थे, जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 को गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था। ये मूर्तियां बाद में राम मंदिर आंदोलन का आधार बनीं।
इन मूर्तियों के प्रकट होने और अभिराम दास जी की रामलला के प्रति सेवा को देखकर सत्येंद्र दास बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने संन्यास लेने का निर्णय लिया और 1958 में घर छोड़ दिया। उनके परिवार में दो भाई और एक बहन थीं। जिनमें से बहन का निधन हो चुका है।
जब सत्येंद्र दास ने अपने पिता को संन्यास लेने का निर्णय सुनाया, तो उनके पिता ने कोई आश्चर्य नहीं जताया और आशीर्वाद देते हुए कहा, “मेरा एक बेटा घर संभालेगा और दूसरा रामलला की सेवा करेगा।
कैसे राम मंदिर से जुड़े
1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे। उस समय रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर जज पर हुआ करती थी। उस समय जज जेपी सिंह बतौर रिसीवर नियुक्त हुए थे। फरवरी 1992 में जेपी सिंह का निधन हो गया तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया। तब पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई।
उस समय तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार विहिप के नेताओं और कई संत जो विहिप नेताओं के संपर्क में थे। उनसे सत्येंद्र दास के घनिष्ठ संबंध थे। इसके बाद 1 मार्च 1992 को सत्येंद्र दास की नियुक्ति हो गई। उन्हें अधिकार मिला था कि वो 4 सहायक पुजारी भी रख सकते हैं। तब उन्होंने 4 सहायक पुजारियों को रखा था। उनमें संतोष तिवारी भी शामिल थे।