Explanation of Rajasthan Anti-Conversion Bill: राजस्थान में 16 साल बाद धर्मांतरण विरोधी बिल पेश: लव जिहाद पर सख्त प्रावधान
राजस्थान में 16 साल बाद एक बार फिर धर्मांतरण विरोधी बिल पेश किया गया है। वसुंधरा राजे सरकार की 2 नाकाम कोशिशों के बाद अब भजनलाल सरकार ने ‘लव जिहाद’ पर अपनी नजरें टेढ़ी की हैं। हालांकि पूरे बिल में कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं है। लेकिन एक्सपट्र्स की मानें तो बिल का भाव यही है।

भजनलाल सरकार ने लव जिहाद बिल पास किया है इस बिल का नाम ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेद विधेयक 2025 है। इस बिल के जरिए राज्य सरकार की एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन परिवर्तन करवाने वालों पर लगाम कसने की मंशा है। इस बिल में जबरन, धमकाकर, बहला-फुसलाकर, धोखे या अन्य किसी तरह का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवानों के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं। यह गैर जमानती अपराध माना जाएगा।
खास बात यह है कि इस विधेयक के तहत कोई व्यक्ति अगर धर्म परिवर्तन कराएगा या विवाह करता है तो न्यायालय सुनवाई के बाद उसे अमान्य घोषित कर सकता है। इस बिल में प्रावधानों के जरिए केवल ‘लव जेहाद’ पर ही निशाना नहीं साधा है। बल्कि अनूसूचित जाति या आदिवासी व्यक्ति का भी धर्म परिवर्तन करवाने के मामले में 10 साल तक की सजा और 2 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है। नाबालिग के मामले में भी यही प्रावधान है।
यदि धर्म परिवर्तन का पीड़ित कोई बालिग व्यक्ति तो सजा आधी यानी 5 साल तक की हो सकती है, वहीं जुर्माना 1 लाख रुपए तक का हो सकता है। पहले धर्म परिवर्तन के खिलाफ परिजन ही FIR करा सकते थे। अब इस बिल में दायरा बढ़ा दिया है। अब रिश्तेदार भी संबंधित के खिलाफ मामला दर्ज करवा सकते हैं। इसके तहत पीड़ित के चाचा-चाची, मामा-मामी, बुआ-फूफा जैसे रिश्तेदार भी FIR दर्ज करवा सकेंगे।
बता दे की वसुंधरा राजे सरकार ने 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य बिल के नाम से ऐसा ही बिल पेश किया था। सदन में पास भी हो गया था। उस समय केंद्र में यूपीए सरकार होने के कारण ये बिल कानूनी रूप नहीं ले पाया। 2006 में वसुंधरा राजे सरकार के इस बिल को सदन ने पास कर दिया था। तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने आपत्तियां जता कर लौटा दिया था। वहीं, 2008 में फिर ये बिल सदन में पास हुआ। राज्यपाल ने जब राष्ट्रपति को भेज दिया गया। फिर गृह मंत्रालय में अटक गया।
किन-किन राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून हैं?
अभी गुजरात, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसके लिए कानून हैं। पहले तमिलनाडु में भी था। लेकिन 2003 में इसे निरस्त कर दिया गय। हिमाचल और उत्तराखंड में 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। SC-ST और नाबालिग के मामले में ये सजा 7 साल की है।
उत्तर प्रदेश में भी इसके लिए कानून बन चुका है। इसका अध्यादेश पिछले महीने ही कैबिनेट में पास हुआ है। इस कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।