JLF2025: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में विचारकों और लेखकों ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर की चर्चा
जयपुर वेदांता की प्रस्तुति और मारुति सुजुकी के सहयोग से आयोजित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के तीसरे दिन प्रमुख विचारकों, वक्ताओं और लेखकों ने समसामयिक मुद्दों पर चर्चाएँ कीं। जयपुर म्यूजिक स्टेज पर आयोजित शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। वहीं जयपुर बुक मार्क में प्रकाशन जगत से जुड़े लोग अपने विचारों का आदान-प्रदान करते रहे।

31 जनवरी को आखिरी सत्र में हॉलीवुड अभिनेता काल पेन ने भारतीय-अमेरिकी होने के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने अपने जीवन के रोचक किस्से सुनाए, जैसे कि ‘वैन वाइल्डर’ के ऑडिशन में उन्हें एक श्वेत अभिनेता से मुकाबला करना पड़ा, जिसने ब्राउनफेस मेकअप किया था। पेन ने यह बताया कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि लोग केवल अच्छी कहानियां देखना पसंद करते हैं, चाहे कलाकार का रंग कुछ भी हो।
तीसरे दिन की शुरुआत नीलॉय अहसान के ध्रुपद गायन से हुई। जिसमें उस्ताद इमामुद्दीन खान का साथ था। यह प्रस्तुति 15वीं शताब्दी के संत स्वामी हरिदास की परंपरा पर आधारित थी। जिसमें ध्रुपद को आत्मचेतना की आध्यात्मिक यात्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया।
सुधा मूर्ति और उनकी बेटी अक्षता मूर्ति के बीच एक दिलचस्प सत्र हुआ। जहां अक्षता ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल को “लिटरेचर फेस्टिवल्स की रानी” कहा। इस सत्र में किताबों के प्रति उनके प्रेम और परिवार में कर्तव्य की भावना पर भी चर्चा हुई।
नोबेल पुरस्कार विजेता वेंकी रामकृष्णन ने मृत्यु और जीवन के बारे में दिलचस्प विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि मृत्यु जीवन चक्र का अनिवार्य हिस्सा है और इसे स्वीकार करना जरूरी है। उनका कहना था कि जब हम जीवित होते हैं। तब भी हमारे शरीर की लाखों कोशिकाएं मर रही होती हैं। जो हमारे विकास के लिए आवश्यक हैं।
स्टीफन ग्रीनब्लाट ने ‘The Swerve Revisited: How the World Became Modern’ सत्र में साहित्य, विज्ञान और पुनर्जागरण पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि कैसे प्राचीन ग्रंथों में साहित्य और विज्ञान एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, और आज हमें इन्हें फिर से एक साथ मिलाकर आधुनिक दुनिया को आकार देना चाहिए।
‘फ्रंटलाइन’ सत्र में युद्ध संवाददाताओं ने अपने अनुभव साझा किए। लिंडसे हिल्सम, ग़ैथ अब्दुल-अहद और यारोस्लाव ट्रोफिमोव ने रवांडा, इराक और यूक्रेन में युद्धों का सामना किया, जबकि विष्णु सोम ने कारगिल युद्ध के दौरान अपने खतरनाक अनुभवों को साझा किया।
चार्लोट वुड ने अपनी पुस्तक Stone Yard Devotional पर चर्चा की, जिसमें एक महिला की आंतरिक यात्रा को दर्शाया गया है। वुड ने बताया कि यह किताब जलवायु संकट और महामारी जैसे मुद्दों पर लिखी गई है। और यह उन लोगों के लिए है जो दुनिया के हालात से झकझोर गए हैं।
कन्हैया लाल सेठिया पुरस्कार 2025 का प्रतिष्ठित सम्मान हिंदी के कवि बद्री नारायण को प्रदान किया गया। बद्री नारायण ने अपनी भावनाओं को इस शब्दों में व्यक्त किया: “यह पुरस्कार केवल एक पुरस्कार नहीं है। यह एक मिशन है और मैं इस मिशन का हिस्सा बनकर खुश हूं।
आज फेस्टिवल का चौथा दिन होगा, जिसमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में अमोल पालेकर, शशि थरूर, जॉन वैलियंट, मैट प्रेस्टन, अमिताभ कांत, हुमा कुरैशी, डेविड हेयर और एंड्रयू ओ’हेगन सहित कई प्रमुख व्यक्ति शामिल होंगे। फेस्टिवल के मंच पर इस तरह की चर्चाएँ और प्रस्तुतियाँ न केवल साहित्य की दुनिया को बढ़ावा देती हैं। बल्कि समाज में परिवर्तन के लिए विचारों को प्रोत्साहित भी करती हैं।
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