Miracle or Science in Maharashtra?:मौत को मात: हार्ट अटैक के बाद मृत घोषित बुजुर्ग ने अंतिम संस्कार से पहले लौटी सांसे !
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के एक गांव में 75 वर्षीय बुजुर्ग के साथ ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने लोगों को हैरानी में डाल दिया। उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, लेकिन कुछ घंटों बाद वे दोबारा जीवित हो गए। यह घटना सिर्फ एक किस्सा नहीं है, बल्कि ऐसा कहा जा रहा है कि अब तक देश में ऐसे 80 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
मृत घोषित के बाद भी ज़िंदा
बुजुर्ग को हार्ट अटैक के बाद अस्पताल लाया गया। जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अंतिम संस्कार की तैयारियां हो रही थीं तभी बुजुर्ग मृत की हलचल देखी गई । रास्ते में एंबुलेंस के स्पीड ब्रेकर पर झटके से पांडुरंग की सांसें लौट आईं। रिश्तेदारों ने तुरंत देखा कि उनकी उंगलियां और हाथ हिल रहे थे। बिना समय गंवाए, उन्हें नजदीकी बड़े अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने दोबारा इलाज शुरू किया। 15 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद पांडुरंग पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर लौट आए।
डॉक्टरों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह “लाजारस सिंड्रोम” हो सकता है। इस स्थिति में, हार्ट रुकने के बाद भी शरीर में हल्की गतिविधियां बनी रहती हैं, और सही समय पर शरीर पुनः सक्रिय हो सकता है।
क्या है लाजारस सिंड्रोम?
यह एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति है जिसमें हृदयगति और श्वसन बंद होने के बावजूद कुछ समय बाद व्यक्ति में जीवन के लक्षण वापस आ सकते हैं। यह स्थिति तब हो सकती है जब कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) बंद कर दी जाती है और शरीर का शेष ऑक्सीजन हृदय को पुनः सक्रिय कर देता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिया
कई लोग इसे चमत्कार मानते हैं। खासकर भारत में जहाँ धर्म और आस्था का गहरा प्रभाव है। इस तरह की घटनाओं को दिव्य हस्तक्षेप से जोड़ा जाता है।
चमत्कार या साइंस ?
वैज्ञानिक इसे स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि यह केवल मेडिकल फेनोमेनन है जबकि धार्मिक लोग इसे अदृश्य शक्तियों से जोड़ते हैं। ऐसे कितने मामले हुए हैं? दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाजारस सिंड्रोम के 80 दस्तावेजी मामले दर्ज किए गए हैं। भारत में इस तरह का कोई डाटा नहीं है। क्या इसे रोकने का कोई उपाय है ? इस स्थिति को रोकने के बजाय इसे समझने और मरीजों के उपचार के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है। डॉक्टरों को CPR रोकने के बाद भी कुछ समय तक व्यक्ति की निगरानी करनी चाहिए। इस घटना से पता चलता है की विज्ञान और धर्म के बीच की खाई कितनी गहरी है। हालांकि इसे सिर्फ चमत्कार मान लेना आसान है लेकिन इसकी गहराई में जाना जरूरी है ताकि हम इसे बेहतर समझ सकें। क्या आप इसे विज्ञान मानते हैं या चमत्कार?