The Liquor Mart News Jaipur: जयपुर में आबकारी विभाग का बड़ा अभियान: नकली और प्रतिबंधित शराब के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
प्रदेशभर में चल रहे शराब विरोधी अभियान के तहत भाजपा सरकार के अधीन आबकारी विभाग ने अब तक कई बड़ी कार्रवाई की है। प्रदेश में अन्य राज्यों की प्रतिबंधित और नकली शराब की बिक्री की लगातार मिल रही शिकायतों पर आयुक्त शिव प्रकाश नकाते के नेतृत्व में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
राजस्थान में चल रहे शराब विरोधी अभियान के तहत भाजपा सरकार के अधीन आबकारी विभाग ने हाल ही में कई बड़ी कार्रवाई की हैं। प्रदेशभर में अन्य राज्यों से प्रतिबंधित और नकली शराब की बिक्री को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। और इस पर आयुक्त शिव प्रकाश नकाते के नेतृत्व में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
हाल ही में जयपुर के सीबीआई फाटक स्थित एक शराब की दुकान पर आबकारी विभाग ने छापेमारी करते हुए भारी मात्रा में नकली हेलोग्राम वाली मदिरा बरामद की। इस कार्रवाई के बाद विभाग ने दुकान के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और दुकान को सील कर दिया। यह कार्रवाई विभाग को मिली एक शिकायत के बाद की गई थी। जो यह दर्शाता है कि विभाग इस मामले को लेकर गंभीर है और सख्त कदम उठा रहा है।
वहीं 30 अक्टूबर को दुर्गापुरा स्थित लिंक रोड पर “The Liquor Mart” नामक दुकान पर भी बड़ी कार्रवाई की गई। यहां पर प्रतिबंधित और महंगी ब्रांडेड शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई। आबकारी विभाग ने दुकान को चार दिन के लिए निलंबित कर दिया और सील कर दिया। हालांकि इस कार्रवाई में एक अहम असमानता देखने को मिली। क्योंकि जिस दुकान पर कार्रवाई की गई थी। वह कथित रूप से एक पूर्व महिला IAS अधिकारी के चचेरे भाई की है। सूत्रों के अनुसार इस व्यक्ति के प्रभावी संबंधों के कारण ही विभाग ने दुकान को केवल चार दिन के लिए सील किया। जबकि सीबीआई फाटक स्थित शराब की दुकान को हमेशा के लिए सील कर दिया गया।
इस असमानता को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। दोनों दुकानों से नकली शराब बरामद की गई थी। जो न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। बल्कि यह एक गंभीर अपराध भी है। ऐसे में दोनों दुकानों के साथ समान सख्ती से निपटना चाहिए था। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत और संदिग्ध रिश्तों के कारण कार्रवाई में भेदभाव साफ तौर पर देखने को मिला है।
दुर्गापुरा स्थित “The Liquor Mart” के मालिक का कथित रूप से प्रभावशाली लोगों के साथ संपर्क होने के कारण यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस प्रभाव के कारण विभाग ने leniency दिखाई है। अधिकारियों की मिलीभगत का यह मामला भ्रष्टाचार के संकेत दे रहा है। जो कभी भी जनता की नजरों से नहीं बच पाता। इस स्थिति से न केवल कानून का उल्लंघन होता है। बल्कि नागरिकों का प्रशासन पर विश्वास भी कमजोर पड़ता है।
यदि इस मामले की उचित जांच नहीं की जाती और सख्त कार्रवाई नहीं की जाती तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। ऐसे मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद महत्वपूर्ण होती है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके और जनता का प्रशासन पर विश्वास कायम रहे।