केन्द्रीय उत्पाद शुल्क चोरी में दोषी जगदीश सैनी को दो वर्ष कारावास और एक लाख जुर्माना सुनाया गया
अलवर CGST कमिश्नर सुमित यादव ने बताया कि 31.67 लाख रुपये की केन्द्रीय उत्पाद शुल्क चोरी मामले में आरोपी जगदीश सैनी को आर्थिक अपराध न्यायालय जयपुर ने दो वर्ष साधारण कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। वर्ष 2010 के पान मसाला-गुटका निर्माण प्रकरण में फैसला आया।
31.67 लाख रुपये के केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की चोरी
अलवर सीजीएसटी कमिश्नरेट द्वारा उजागर किए गए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अपराध में अभियुक्त जगदीश सैनी पुत्र श्री जमनालाल सैनी को दो वर्ष के साधारण कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह निर्णय माननीय अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध), जयपुर महानगर, द्वितीय द्वारा सुनाया गया।
यह पूरा मामला वर्ष 2010 में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duty) की चोरी से जुड़ा है, जिसमें कुल 31.67 लाख रुपये का राजस्व नुकसान दर्ज किया गया था।
अभियुक्त ने किराए के मकान से बिना पंजीयन के गुटका-पान मसाला बनाया
अलवर सीजीएसटी कमिश्नर श्री सुमित यादव ने जानकारी दी कि वर्ष 2010 में अभियुक्त जगदीश सैनी ने किराए पर मकान लेकर बिना किसी वैध पंजीयन के पान मसाला और गुटका निर्माण का अवैध कारोबार शुरू किया।
उसने पान मसाला-गुटका बनाने की मशीनें लगाकर, दीपक और मामा ब्रांड नाम से उत्पाद तैयार किए और उनकी पाउच पैकिंग कर बाजार में बेचा।
क्योंकि यह संपूर्ण गतिविधि बिना पंजीयन और बिना कर भुगतान के की जा रही थी, इस कारण 31.67 लाख रुपये की केन्द्रीय उत्पाद शुल्क चोरी की पुष्टि हुई।
एंटी इवेजन शाखा की जांच और 2014 में दाखिल परिवाद
प्रकरण की जांच एंटी इवेजन शाखा ने की थी। जांच में अवैध विनिर्माण, ब्रांडेड उत्पादों की बिक्री, मशीन संचालन और कर चोरी के स्पष्ट प्रमाण मिलने के बाद, वर्ष 2014 में विभाग ने माननीय आर्थिक न्यायालय जयपुर में परिवाद (Complaint) प्रस्तुत किया।
यह परिवाद व्यापक जांच, दस्तावेजी साक्ष्य और प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के आधार पर तैयार किया गया था। मामले की सुनवाई कई वर्षों तक चली, जिसमें विभाग की ओर से सशक्त पैरवी की गई।
ट्रायल, गवाहों के परीक्षण और सबूतों के आधार पर दोष सिद्ध
अदालत ने ट्रायल के दौरान सभी तकनीकी और कानूनी पहलुओं का बारीकी से परीक्षण किया।
गवाहों के बयान, मशीन संचालन के प्रमाण, बरामद सामग्री, पैकिंग पाउच, ब्रांडिंग और कर चोरी से संबंधित दस्तावेजों की गहन छानबीन की गई।
अदालत ने सभी प्रमाणों को विश्वसनीय मानते हुए यह स्पष्ट किया कि अभियुक्त जगदीश सैनी जानबूझकर कर चोरी कर रहा था और यह अपराध सफेदपोश प्रकृति का गंभीर आर्थिक अपराध है।
अदालत का निर्णय : दो वर्ष कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना

सभी साक्ष्यों और गवाहियों के आधार पर अदालत ने अभियुक्त को केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 9(1)(ii) के अंतर्गत दोषी पाया।
निर्णय में स्पष्ट कहा गया कि अभियुक्त ने राजस्व का गंभीर नुकसान पहुंचाया और नियमानुसार पंजीयन व कर भुगतान प्रक्रिया से बचते हुए अवैध रूप से गुटका-पान मसाला निर्माण किया।
अदालत ने दोष सिद्ध होने पर उसे—दो वर्ष का साधारण कारावास, एक लाख रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई।
विभाग की ओर से प्रभावी पैरवी
इस प्रकरण में विभाग की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्री कमल कांत व्यास ने प्रभावी और सशक्त पैरवी की। विभागीय अधिकारियों और अभियोजन टीम के सहयोग से यह मामला सफलतापूर्वक न्यायालय में सिद्ध किया गया।
सीजीएसटी कमिश्नर सुमित यादव ने टीम की इस कानूनी उपलब्धि की सराहना की और कहा कि इस तरह के आर्थिक अपराधों पर कड़ी कार्रवाई से राजस्व संरक्षण को मजबूती मिलेगी।
आर्थिक अपराधों पर विभाग की सख्त नीति
विभाग ने स्पष्ट किया कि कर चोरी, अवैध विनिर्माण और बिना पंजीयन के व्यापार जैसी गतिविधियों पर भविष्य में भी सख्ती के साथ कार्रवाई जारी रहेगी।
ऐसे अपराध न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि वैध रूप से कर भुगतान करने वाले उद्योगों के लिए भी अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा करते हैं।
इस फैसले को राजस्व संरक्षण और पारदर्शी व्यापार व्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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