अटल भूजल योजना और डिजिटल जल निगरानी से भारत में सुरक्षित और स्वावलंबी जल भविष्य
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भाजपा सांसद मदन राठौड़ ने अटल भूजल योजना और डिजिटल जल निगरानी के माध्यम से ग्रामीण भारत में जल संरक्षण और सतत प्रबंधन की प्रगति का विवरण सदन में प्रस्तुत किया। ‘कैच द रेन’ अभियान और डिजिटल तकनीक ग्रामीण जल सुरक्षा की दिशा में नई उम्मीद जगाते हैं।
अटल भूजल योजना से ग्रामीण भारत में जल प्रबंधन में नई आशा – मदन राठौड़
जयपुर, 2 दिसंबर 2025। भाजपा के राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने सदन में जल संरक्षण, भूजल प्रबंधन और डिजिटल मॉनिटरिंग प्रणाली से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। सांसद राठौड़ ने जल शक्ति मंत्रालय से यह जानकारी मांगी कि देशभर में लागू जल संरक्षण योजनाओं का वास्तविक प्रभाव क्या रहा है और उनका आम जनता पर कितना सकारात्मक असर पड़ा है।
उन्होंने अटल भूजल योजना की प्रगति, विभिन्न राज्यों और ग्राम पंचायतों में वर्तमान स्थिति और योजना के प्रभाव पर प्रश्न उठाए। सांसद राठौड़ ने बताया कि इस योजना ने ग्रामीण भारत में जल संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में नई उम्मीदें जगाई हैं।
अटल भूजल योजना: सात राज्यों में सामुदायिक नेतृत्व आधारित कार्य
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने सदन को बताया कि अटल भूजल योजना एक सामुदायिक नेतृत्व आधारित कार्यक्रम है। इसे गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 8203 ग्राम पंचायतों में लागू किया गया है। यह वे क्षेत्र हैं जहाँ लंबे समय से भूजल की कमी गंभीर समस्या रही है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है—
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भूजल स्तर में सुधार
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समुदायों को जल प्रबंधन की मुख्य धारा से जोड़ना
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मांग-पक्ष प्रबंधन को सशक्त बनाना
इस पहल से हजारों गांवों में जल उपयोग के प्रति जागरूकता और सहभागिता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
कैच द रेन अभियान और डिजिटल जल निगरानी

मदन राठौड़ ने कहा कि ‘कैच द रेन’ अभियान देश को जल आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा विकसित जियो-मंडल GIS प्लेटफॉर्म और डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से विभिन्न राज्यों से डेटा को रियल-टाइम में संकलित किया जाता है। यह निरीक्षण, निगरानी और मूल्यांकन को अत्यंत सरल बनाता है।
राष्ट्रीय भूजल सूचना प्रणाली (NAGIS) में जियो-टैग डेटा जोड़कर राज्यों को वैज्ञानिक और त्वरित निर्णय लेने में सहायता प्रदान की जा रही है।
भूजल मीटरिंग और तकनीकी आधार
मंत्री चौधरी ने बताया कि नवंबर 2023 के बाद—
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पाईजोमीटर नेटवर्क का विस्तार
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भू-जलकूप अवलोकन केंद्रों की संख्या में वृद्धि
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डिजिटल जल सूचना प्रणाली का व्यापक विकास
इन सभी प्रयासों से जल संरक्षण वैज्ञानिक और सटीक डेटा पर आधारित हो गया है। राष्ट्रीय जल मीटरिंग कार्यक्रम में IoT आधारित उपकरण, भूजल सेंसर और डिजिटल मॉड्यूल का उपयोग कर उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्राप्त किया जाता है।
देशभर में लगभग 23,000 डिजिटल जल-स्तर रिपोर्ट्स का राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित किया गया है, जो भूजल प्रवृत्तियों, रिक्त जलाशयों की क्षमता और रिचार्ज दरों का लगातार अध्ययन करता है।
राष्ट्रीय जल सूचना-विज्ञान केंद्र और केंद्रीय जल आयोग का योगदान
मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जल सूचना-विज्ञान केंद्र देश का केंद्रीय जल डेटा बैंक है, जो स्थलाकृति, जलभृत संरचना, बाढ़ विश्लेषण और जल गुणवत्ता से संबंधित आंकड़े एकत्र करता है।
केंद्रीय जल आयोग द्वारा विकसित वेब-बेस्ड जल स्रोत सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से 592 बांधों में जलाशय स्तर और 150 मासिक नमूनों का मूल्यांकन किया जाता है।
भविष्य की जल सुरक्षा: डिजिटल और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मदन राठौड़ ने कहा कि देश का जल प्रबंधन अब डिजिटल, वैज्ञानिक और पारदर्शी दिशा में आगे बढ़ रहा है। समुदायों की भागीदारी, आधुनिक तकनीक और रियल-टाइम डेटा मिलकर भारत को भविष्य के जल संकट से निपटने में सक्षम बना रहे हैं।
सरकार का उद्देश्य है कि हर राज्य जल संरक्षण, भूजल उपयोग और सतत जल प्रबंधन में स्वावलंबी और तकनीकी रूप से सशक्त बने।
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