लेखनी की शक्ति : राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारों को नमन

लेखनी की शक्ति : राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर हम सत्य के प्रहरी पत्रकारों को सलाम करते हैं। यह दिवस स्वतंत्र प्रेस के महत्व, समाज जागरूकता और लोकतंत्र के चार स्तंभों में पत्रकारिता की भूमिका को याद दिलाता है।
लेखनी की शक्ति: राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर सत्य के प्रहरी को नमन
पत्रकार केवल समाचार ही नहीं लिखते, वे समाज की मनोदशा और परिवेश को समझते हैं। राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमें यह याद दिलाता है कि लोकतंत्र के चार स्तंभों में चौथा स्तंभ—अघोषित रूप से जनता की आवाज़—कितना महत्वपूर्ण है। पत्रकारिता न केवल सूचनाओं का संकलन है, बल्कि यह सत्य के लिए संघर्ष, जनता के हित में आवाज़ उठाने और लोकतंत्र की रक्षा का माध्यम भी है।
सत्य के लिए पत्रकार की लेखनी का महत्व

सत्य का मार्ग चाहे कितना ही कठिन क्यों न हो, पत्रकार की लेखनी कभी रुकती नहीं। पत्रकार वही है जो सत्य के साथ खड़ा रहे। आज के सूचना युग में, जब फेक न्यूज और भ्रामक संदेश समाज में फैलते हैं, तब पत्रकारिता का महत्व और भी बढ़ जाता है।
पत्रकार अपने सुरक्षा जोखिमों को झेलते हुए—सड़क पर, सीमा पर, भीड़ के बीच, या सत्ता के सवालों के सामने—समाज को जागरूक रखने का कार्य करते हैं। उनके द्वारा लिखे गए शब्द जिम्मेदारी और सच्चाई का दर्पण होते हैं।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस: लोकतंत्र और स्वतंत्र प्रेस का उत्सव
राष्ट्रीय प्रेस दिवस सिर्फ पत्रकारों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह नागरिकों को भी उनकी जिम्मेदारी याद दिलाता है। स्वतंत्र प्रेस ही लोकतंत्र की आत्मा है। जहां पत्रकार निर्भीक होकर प्रश्न उठाते हैं, वहीं समाज सही दिशा में बढ़ता है।
सरकार की नीतियों की निष्पक्षता तभी सुनिश्चित होती है जब लेखनी में साहस और माइक्रोफोन में सत्य का स्वर होता है। जिस दिन प्रेस मौन हो जाएगी, लोकतंत्र का अस्तित्व भी कमजोर हो जाएगा।
पत्रकारों के संघर्ष और समर्पण को सलाम
आज हम उन सभी पत्रकारों को नमन करते हैं:
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जो सत्य लिखने के लिए संघर्ष करते रहे
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जो रात-दिन समाज की आवाज़ बने
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जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे
उनकी मेहनत, साहस और निष्ठा ही लोकतंत्र को मजबूत बनाती है। पत्रकारिता का यह सम्मान विस्मृत नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि यह समाज और लोकतंत्र के लिए जीवनदायिनी है।
नागरिकों की जिम्मेदारी: प्रेस का सम्मान और समर्थन
राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि नागरिकों के रूप में हमें पत्रकारिता का सम्मान करना चाहिए। हमें सत्य का साथ देना चाहिए और स्वतंत्र प्रेस की रक्षा में खड़े रहना चाहिए।
पत्रकार और नागरिक मिलकर ही लोकतंत्र को मजबूत और निष्पक्ष बना सकते हैं। जब समाज और प्रेस एक साथ खड़े होते हैं, तब ही लोकतंत्र के मूल सिद्धांत—सत्य, निष्पक्षता और जनसुरक्षा—सुरक्षित रहते हैं।
समापन और शुभकामनाएं
राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर हम समस्त पत्रकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हैं। उनके साहस, प्रतिबद्धता और सत्य के प्रति निष्ठा को सम्मान दें। लेखनी की शक्ति और पत्रकारिता की स्वतंत्रता ही समाज और लोकतंत्र की सबसे बड़ी पूंजी है।
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