‘अनहद’ की तीसरी प्रस्तुति: डॉ. अश्विनी भिड़े देशपांडे के स्वरों से गूंजेगी जयपुर की शाम

स्पिकमैके और राजस्थान पर्यटन विभाग की ‘अनहद’ श्रृंखला की तीसरी प्रस्तुति 8 नवंबर को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में आयोजित होगी। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका डॉ. अश्विनी भिड़े देशपांडे अपने मधुर स्वरों से श्रोताओं को शास्त्रीय संगीत की अनहद धुनों में डुबोएंगी।
jaipur : राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर एक बार फिर शास्त्रीय संगीत के सुरों से सराबोर होने जा रही है। स्पिकमैके (SPIC MACAY) और राजस्थान पर्यटन विभाग, राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही ‘अनहद’ श्रृंखला की तीसरी प्रस्तुति शनिवार, 8 नवंबर को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में होने जा रही है। यह कार्यक्रम पूर्णतः निशुल्क रहेगा और शाम 6:30 बजे से प्रारंभ होगा।
इस संगीतमय शाम में देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका डॉ. अश्विनी भिड़े देशपांडे अपनी मधुर और भावपूर्ण आवाज़ से जयपुर की गुलाबी शाम को सुरों की अनहद लहरियों में डुबो देंगी। ‘अनहद’ श्रृंखला का उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत को आम लोगों तक पहुँचाना और नई पीढ़ी को पारंपरिक संगीत के सौंदर्य से जोड़ना है।
जयपुर में शास्त्रीय संगीत की गूंज

‘अनहद’ श्रृंखला की संयोजक अनु चंडोक और हिमानी खींची ने बताया कि यह श्रृंखला हर बार भारतीय संगीत के किसी नए आयाम को प्रस्तुत करती है। इस बार मंच संभालेंगी जयपुर-अतरौली घराने की विख्यात प्रतिनिधि डॉ. अश्विनी भिड़े देशपांडे, जिनका नाम भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा में गहराई, भाव और तकनीकी कुशलता का प्रतीक माना जाता है।
डॉ. भिड़े देशपांडे ने मात्र 11 वर्ष की आयु में संगीत विशारद की उपाधि प्राप्त कर अपने संगीत सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने अपने गुरुओं के सान्निध्य में खयाल, तराना, बंदिश और रागों की जटिलताओं को सरलता से प्रस्तुत करने की अनोखी शैली विकसित की। आज वे भारतीय संगीत जगत में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, जिनके गायन में राग की गंभीरता के साथ भाव की कोमलता का अद्भुत संगम झलकता है।
सुर, लय और भाव का अद्भुत मेल
डॉ. अश्विनी भिड़े देशपांडे का गायन जयपुर-अतरौली घराने की समृद्ध परंपरा का परिचायक है। उनके स्वरों में जहाँ शास्त्रीयता की गंभीरता दिखाई देती है, वहीं भावनाओं की कोमलता भी श्रोताओं को छू जाती है। उनके राग प्रस्तुतिकरण में लय की शुद्धता और स्वर की सहजता दोनों का उत्कृष्ट संतुलन मिलता है।
उनकी प्रस्तुतियों में “भावप्रधानता” और “तकनीकी निपुणता” का अद्भुत संगम होता है, जो श्रोताओं को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। यही कारण है कि उनके कार्यक्रम देश-विदेश के संगीत समारोहों में अत्यधिक सराहे जाते हैं।
संगत से सजेगा सुरमई समागम
कार्यक्रम में तबले पर पंडित संदीप लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा संगत करेंगे। दोनों कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत के जाने-माने वादक हैं और डॉ. भिड़े देशपांडे के साथ उनकी जुगलबंदी इस संगीतमय संध्या को और भी खास बना देगी।
सुर, ताल और भाव की इस त्रिवेणी से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर का प्रांगण एक दिव्य संगीत अनुभव का साक्षी बनेगा।
‘अनहद’ श्रृंखला का उद्देश्य
‘अनहद’ श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य भारतीय संगीत की गहराई और परंपरा को जीवंत बनाए रखना है। स्पिकमैके और राजस्थान पर्यटन विभाग के सहयोग से यह कार्यक्रम न केवल कला प्रेमियों को एक मंच प्रदान करता है, बल्कि युवाओं को भारतीय संगीत की जड़ों से जोड़ने का प्रयास भी करता है।
अनु चंडोक और हिमानी खींची ने बताया कि ‘अनहद’ केवल एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अभियान है—जो यह संदेश देता है कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति है। इस श्रृंखला के पिछले दोनों संस्करणों को भी श्रोताओं से शानदार प्रतिक्रिया मिली थी।
जयपुर में बढ़ती सांस्कृतिक गतिविधियाँ
राजस्थान की राजधानी जयपुर हाल के वर्षों में सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र बन गई है। यहां हर महीने कला, संगीत और साहित्य से जुड़े कई आयोजन होते हैं। ‘अनहद’ श्रृंखला भी इसी कड़ी का हिस्सा है, जो शहर के संगीत प्रेमियों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई से जोड़ने का काम कर रही है।
राजस्थान पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस प्रकार के आयोजन न केवल सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हैं बल्कि राज्य के पर्यटन को भी नई दिशा देते हैं।
श्रोताओं के लिए विशेष अनुभव
कार्यक्रम पूरी तरह निशुल्क है और सभी संगीत प्रेमियों के लिए खुला रहेगा। आयोजकों ने बताया कि श्रोता शाम 6:30 बजे से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के खुले प्रांगण में प्रवेश कर सकेंगे। खुली हवा में, सितारों के नीचे और शास्त्रीय सुरों के बीच यह शाम जयपुरवासियों के लिए एक यादगार अनुभव साबित होगी।
निष्कर्ष
‘अनहद’ श्रृंखला की यह तीसरी प्रस्तुति न केवल जयपुर के सांस्कृतिक परिदृश्य में नई ऊंचाई जोड़ेगी, बल्कि शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की रुचि को भी और प्रबल करेगी। डॉ. अश्विनी भिड़े देशपांडे के स्वरों की अनुगूंज निश्चय ही जयपुर की गुलाबी शाम को संगीत की “अनहद” ध्वनि से महका देगी।
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