पीपलसाना रेलवे स्टेशन निर्माण में लापरवाही : सुरक्षा मानकों की अनदेखी और गुणवत्ता पर सवाल

मुरादाबाद के पीपलसाना रेलवे स्टेशन पर निर्माण कार्य में भारी लापरवाही उजागर हुई है। मजदूर बिना हेलमेट और सेफ्टी उपकरणों के काम कर रहे हैं, सुपरविजन और गुणवत्ता जांच का अभाव है। यह स्थिति यात्रियों की सुरक्षा और रेल विभाग की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
मुरादाबाद:
मुरादाबाद जनपद के पीपलसाना रेलवे स्टेशन पर चल रहे निर्माण कार्य में गंभीर लापरवाही सामने आई है। जहां केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय यात्रियों की सुरक्षा, आधुनिकता और गुणवत्ता सुधार के दावे कर रहे हैं, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। निर्माण स्थल पर न तो सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है और न ही गुणवत्ता की जांच की कोई व्यवस्था दिखाई दे रही है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी से बड़ा हादसा संभावित

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पीपलसाना स्टेशन परिसर में निर्माण कार्य के दौरान मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम कर रहे हैं। मजदूरों के पास न रिफ्लेक्टिव जैकेट हैं, न सेफ्टी जूते और न ही हेलमेट—जो कि रेलवे निर्माण स्थलों पर अनिवार्य रूप से इस्तेमाल किए जाने चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सुरक्षा उपकरणों के कार्य करना किसी भी समय गंभीर हादसे का कारण बन सकता है। वहीं, रेल पटरी के नजदीक काम होने के बावजूद किसी भी दिशा में सिग्नल मैन की तैनाती नहीं की गई है। रेलवे सुरक्षा मानकों के अनुसार यह एक बड़ी चूक मानी जाती है।
रेलवे अधिकारियों और साइट सुपरवाइजर की अनुपस्थिति
मौके पर न तो सुरक्षा अधिकारी मौजूद हैं और न ही साइट सुपरवाइजर। यही नहीं, निर्माण कार्य देख रहे ठेकेदार कंपनी के कार्डधारी कर्मचारी भी साइट पर नहीं दिखे।
रेलवे के निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार हर निर्माण स्थल पर सुरक्षा अधिकारी, गुणवत्ता इंजीनियर, और सिग्नल मैन की उपस्थिति अनिवार्य होती है। इनकी अनुपस्थिति से यह सवाल उठता है कि रेलवे प्रशासन और ठेकेदार कंपनी के बीच समन्वय की स्थिति क्या है?
गुणवत्ता से समझौता: हाथ से मिलाया जा रहा मसाला

गुणवत्ता मानकों की बात करें तो निर्माण कार्य में और भी बड़ी लापरवाही सामने आई है। जानकारी के अनुसार, स्टेशन परिसर में निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाला मसाला (कंक्रीट मिक्स) हाथ से मिलाया जा रहा है, जबकि नियमानुसार यह कार्य मशीन मिक्सर से किया जाना चाहिए ताकि अनुपात संतुलित और मजबूती सुनिश्चित हो सके।
मजदूरों के पास न तो मापने का बॉक्स (मेजरिंग बॉक्स) उपलब्ध है, न ही किसी इंजीनियर की निगरानी में मिश्रण तैयार किया जा रहा है। इससे न केवल निर्माण की स्थायित्व क्षमता घटती है, बल्कि भविष्य में यह ढांचा यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
गुणवत्ता इंजीनियर और सुपरविजन टीम गायब
निर्माण स्थल पर न गुणवत्ता इंजीनियर मौजूद हैं और न ही कोई सुपरविजन टीम। रेलवे के निर्माण संबंधी मैनुअल में स्पष्ट रूप से निर्देशित है कि किसी भी निर्माण कार्य की निरंतर निगरानी के लिए प्रशिक्षित इंजीनियरों की तैनाती अनिवार्य है।
इस लापरवाही से यह साफ संकेत मिलता है कि ठेकेदार कंपनी बिना उचित निगरानी और सुरक्षा मानकों के कार्य को अंजाम दे रही है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, निर्माण स्थल पर जिम्मेदार अधिकारियों का महीनों से आना-जाना नहीं हो रहा है।
स्थानीय लोगों ने जताई नाराज़गी और चिंता
पीपलसाना के स्थानीय निवासियों ने निर्माण कार्य में हो रही लापरवाही पर गंभीर सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिना सुरक्षा और गुणवत्ता के नियमों के यह कार्य यात्रियों के लिए खतरा साबित हो सकता है। लोगों ने आशंका जताई है कि जल्दबाजी में किया जा रहा निर्माण भविष्य में दरारों और ढांचागत कमजोरियों का कारण बन सकता है।
कई स्थानीय नागरिकों ने रेल प्रशासन से मांग की है कि निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाए।
रेल मंत्रालय के दावों पर उठे सवाल
केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे संरचनाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता पर जोर देने के बावजूद, पीपलसाना रेलवे स्टेशन का यह उदाहरण उन दावों की सच्चाई पर सवाल खड़ा कर रहा है।
रेल मंत्रालय ने हाल ही में देशभर में रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और “अमृत भारत स्टेशन योजना” के तहत यात्री सुविधाओं में सुधार के बड़े लक्ष्य तय किए हैं। लेकिन पीपलसाना जैसे मामलों से यह साफ होता है कि जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का क्रियान्वयन कमजोर है।
क्या रेलवे की निगरानी सिर्फ कागजों तक सीमित?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब सरकारी ठेकों में सुरक्षा, गुणवत्ता और निगरानी को लेकर सख्त नियम बने हैं, तो फिर इनका पालन क्यों नहीं हो रहा है? क्या रेल विभाग की निगरानी व्यवस्था केवल फाइलों और रिपोर्टों तक सीमित रह गई है?
यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह लापरवाही भविष्य में किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है, जिसकी जिम्मेदारी तय करना मुश्किल होगा।
स्थानीय प्रशासन और रेलवे अधिकारियों से जांच की मांग
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस निर्माण कार्य की जांच जिला प्रशासन या रेलवे के उच्चाधिकारियों की टीम द्वारा कराई जाए। साथ ही सुरक्षा मानकों के उल्लंघन पर संबंधित ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो सके।
निष्कर्ष:
पीपलसाना रेलवे स्टेशन का यह मामला रेलवे के निर्माण कार्यों में लापरवाही, सुरक्षा की अनदेखी और गुणवत्ता के साथ समझौते की हकीकत को उजागर करता है। यदि रेल प्रशासन ने जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए, तो यह केवल यात्री सुरक्षा ही नहीं, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करेगा।
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