Dausa News : जेल में पर्यावरण-अनुकूल दीपक निर्माण: बंदियों की रचनात्मक पहल

दीपावली 2025: पर्यावरण-अनुकूल दीपकों से रोशन होगा जेल परिसर
जयपुर : दीपावली के पावन पर्व को और भी खास बनाने के लिए विशेष केंद्रीय कारागार श्यालावास में एक अनूठी पहल की गई है। इस बार जेल प्रशासन ने फैसला किया है कि कारागार परिसर को जेल में बंदियों द्वारा बनाए गए पर्यावरण-अनुकूल दीपकों से सजाया जाएगा। यह पहल न केवल दीपावली की महक और रोशनी में इजाफा कर रही है, बल्कि बंदियों के लिए सृजनात्मक कार्यों और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने का भी उत्कृष्ट माध्यम बनी है।
मिट्टी और गोबर से बन रहे दीपक

जेल में बंदियों द्वारा बनाए जा रहे दीपक पारंपरिक मिट्टी और गोबर से तैयार किए जा रहे हैं। जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ की प्रेरणा से यह पहल शुरू की गई, जिसका उद्देश्य बंदियों को रचनात्मक और सकारात्मक गतिविधियों में संलग्न करना है। इस परियोजना के तहत बंदी लालचंद और अर्जुन मुख्य रूप से दीपक निर्माण में लगे हैं। इनके काम की निगरानी जेलर विकास बागोरिया और उप जेलर दिलावर ख़ान द्वारा की जा रही है।
जेल प्रशासन का मानना है कि इस तरह के कार्य न केवल बंदियों की कला और कौशल को निखारते हैं, बल्कि उन्हें श्रमशीलता, अनुशासन और रचनात्मकता के महत्व को समझने का अवसर भी प्रदान करते हैं। पर्यावरण के अनुकूल सामग्री से बनाए जा रहे दीपक यह संदेश देते हैं कि त्योहारों में भी प्रकृति और वातावरण का ध्यान रखना जरूरी है।
बंदियों की कला और मेहनत का सम्मान
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जेल परिसर में बंदियों द्वारा निर्मित ये दीपक दीपावली के अवसर पर सजावट और रोशनी का प्रमुख हिस्सा होंगे। प्रशासन ने निर्णय लिया है कि जेल में इस बार कोई भी बाहरी रोशनी या इलेक्ट्रॉनिक सजावट नहीं होगी। पूरी सजावट बंदी-निर्मित दीपकों से की जाएगी, जिससे उनके श्रम और कलात्मक प्रयासों का सम्मान हो।
जेल अधीक्षक पारस जांगिड़ ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य बंदियों को न केवल व्यस्त रखना है, बल्कि उन्हें सकारात्मक मानसिकता और आत्मविश्वास भी देना है। उन्होंने कहा, “जब बंदियों को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल किया जाता है, तो उनकी सोच और दृष्टिकोण में बदलाव आता है। यह उनके पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
पर्यावरण संरक्षण का संदेश


परंपरागत मिट्टी और गोबर के दीपक न केवल सुंदर और टिकाऊ होते हैं, बल्कि ये पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। जेल प्रशासन ने इसे एक अवसर के रूप में लिया कि दीपावली के इस पर्व पर सभी को प्राकृतिक सामग्री का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता का संदेश मिले।
बंदी-निर्मित दीपकों से कारागार परिसर में न केवल रोशनी होगी, बल्कि यह इस बात का प्रतीक भी होगा कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव संभव है। यह पहल जेल में बंदियों के पुनर्वास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के संदेश को भी आमजन तक पहुंचाएगी।
दीपावली के अवसर पर विशेष आयोजन
जेल प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि दीपावली पर पूरे कारागार परिसर में इन पर्यावरण-अनुकूल दीपकों से सजावट की जाएगी। इससे बंदियों का आत्म-सम्मान बढ़ेगा और उनके परिश्रम का प्रत्यक्ष सम्मान होगा। जेल अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि दीपक निर्माण और सजावट में सुरक्षा और नियमों का पूर्ण पालन किया जाए।
बंदी लालचंद और अर्जुन ने बताया कि यह कार्य उन्हें बहुत पसंद आ रहा है। उन्होंने कहा कि मिट्टी और गोबर से बने दीपक सिर्फ सजावट का साधन नहीं हैं, बल्कि यह सृजनात्मकता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं। जेल प्रशासन की इस पहल से कारागार परिसर में दिवाली का माहौल और भी खुशनुमा हो गया है।
निष्कर्ष
विशेष केंद्रीय कारागार श्यालावास की यह पहल न केवल बंदियों के लिए श्रम और कला की सीख का माध्यम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी संसाधनों के उपयोग का संदेश भी देती है। जेल में बने ये दीपक दिवाली के पर्व पर प्रकाश और खुशियों का प्रतीक बनेंगे। इस तरह के रचनात्मक प्रयास यह दर्शाते हैं कि समाज के हर वर्ग में सकारात्मक और सृजनात्मक गतिविधियों के लिए अवसर मिलने चाहिए।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि दीपावली केवल रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि सकारात्मकता, रचनात्मकता और जिम्मेदारी का प्रतीक भी है।
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