Anil Ambani Ed Raid Update: अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर ED का शिकंजा: 3000 करोड़ लोन घोटाले में 35 ठिकानों पर छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। इसमें करीब 50 कंपनियों शामिल है। 25 से ज्यादा लोगों से भी पूछताछ की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यस बैंक से लिए 3000 करोड़ रुपए के लोन धोखाधड़ी मामले में गुरुवार, 24 जुलाई को की गई ये रेड दिल्ली और मुंबई में चल रही है। ये छापेमारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 17 के तहत की जा रही है।
अनिल अंबानी के ग्रुप के खिलाफ ED ने कार्रवाई क्यों की है?
मामला 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अनिल अंबानी से जुड़े रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपए के लोन से जुड़ा है। ED की शुरुआती जांच में पता चला है कि इन लोन्स को कथित तौर पर फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि यस बैंक के बड़े अधिकारियों को शायद रिश्वत दी गई है।
क्या है मामला
ईटी नाउ ने टाइम्स नाउ का हवाला देते हुए एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ED की टीम ने मुंबई और दिल्ली में 35 से ज्यादा जगहों पर छापा मारा है। इसमें करीब 50 कंपनियां शामिल हैं, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग यानी कालेधन को सफेद करने के आरोप हैं। यह जांच धन शोधन रोकने वाले कानून (PMLA) के तहत हो रही है। ये केस पहले सीबीआई ने दर्ज किए थे। जांच कर रही एजेंसी को शक है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये के कर्ज दिए थे, जिनका गलत इस्तेमाल हुआ हो सकता है। ईडी को शक है कि कर्ज देने से पहले, यस बैंक के प्रमोटरों से जुड़ी कंपनियों को कथित तौर पर रिश्वत या पैसे ट्रांसफर किए गए थे।
कैसे सामने आया मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को यस बैंक द्वारा लोन स्वीकृतियों में “घोर उल्लंघनों” के आरोपों की जांच कर रही है। मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला कम से कम दो सीबीआई (CBI) एफआईआर और राष्ट्रीय आवास बैंक, सेबी, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा साझा की गई रिपोर्टों से उपजा है।
इस दौरान कंपनी ने लोन देने के सभी नियमों को नजरअंदाज किया। तेज़ी से अप्रूवल दिए गए, जरूरी दस्तावेज नहीं जुटाए गए और कई बार कंपनियों की आर्थिक स्थिति की जांच किए बिना भारी भरकम रकम ट्रांसफर कर दी गई। इन लोन का बड़ा हिस्सा बाद में प्रमोटर ग्रुप की कंपनियों में डायवर्ट किया गया। जिससे बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता हुई।

