Jaipur News Update: परंपरा और आधुनिक ज्ञान से भारत बनेगा विश्व गुरु: राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
जयपुर राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि परंपरा के साथ आधुनिक ज्ञान की दृष्टि से ही भारत विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कुलपति को कुलगुरु कहना प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की पुनर्स्थापना की दिशा में एक बड़ा कदम है।

प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली परिपूर्ण थी और नई शिक्षा पद्धति भी विद्यार्थियों के विकास से जुड़ी है। राज्यपाल बागडे शनिवार को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर वर्ष 2023 और 2024 के स्वर्ण पदकों का वितरण किया गया और विद्या वाचस्पति उपाधि धारकों को उपाधियां भी प्रदान की गईं।
भारत की समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा
राज्यपाल ने कहा कि भारत की समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महर्षि भारद्वाज के द्वारा वर्णित विमान विज्ञान के आधार पर 1895 में श्री शिवकर बापूजी तलपड़े ने विमान उड़ाया था, जबकि 1903 में राइट बंधुओं ने विमान बनाया। इसी तरह, गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन से पहले भास्कराचार्य और कॉपरनिकस ने दिया था।
नई शिक्षा नीति से होगा बदलाव
राज्यपाल ने कहा कि विनोबा भावे ने आजादी के तत्काल बाद शिक्षा प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता जताई थी। लॉर्ड मैकाले द्वारा भारत को गुलाम बनाने के लिए लागू की गई शिक्षा प्रणाली अभी तक चल रही है। लेकिन नई शिक्षा नीति (NEP) भारत के समाज, संस्कृति और नागरिकों के अनुसार बनाई गई है। इससे निकले हुए विद्यार्थी समाज को जल्द ही सकारात्मक परिणाम देंगे।
रोजगार सृजन पर दिया जोर
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए, जिससे समाज में रोजगार सृजन हो सके। ज्ञान की विभिन्न शाखाओं का अध्ययन कर युवा उद्यमी बनें और देश के विकास में योगदान दें। उन्होंने कहा कि अर्जित विद्या का समाज और राष्ट्रहित में व्यवहारिक उपयोग होना चाहिए।
नई शिक्षा नीति का महत्व
राज्यपाल ने कहा कि देश के 400 कुलगुरुओं और 1000 से अधिक शिक्षाविदों ने दो वर्षों तक गहन मंथन के बाद नई शिक्षा नीति तैयार की है। यह नीति विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है और विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य साहित्य पढ़ने में भी रुचि लेनी चाहिए।
दीक्षांत समारोह में वासुदेव देवनानी का संबोधन
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि दीक्षांत समारोह माता-पिता, परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्वों के स्मरण का दिन होता है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने समाज को प्रभावित किया है और इसके दुष्प्रभावों से नई पीढ़ी को बचाने की आवश्यकता है। भारत की संस्कृति ने चार आश्रमों और चार पुरुषार्थों के माध्यम से शिक्षा प्रणाली दी है।
भविष्य के लिए युवाओं को प्रेरणा
देवनानी ने कहा कि विद्यार्थियों को छत्रपति संभाजी महाराज और महाराणा सांगा जैसे पूर्वजों के पदचिह्नों का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने युवाओं में राष्ट्र के प्रति समर्पण और त्याग की भावना विकसित करने पर जोर दिया और कहा कि स्वराज, स्वधर्म, स्वदेशी और स्वभाषा के साथ शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी समाज की विकृतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कुलगुरु कैलाश सोडाणी का बयान
कुलगुरु कैलाश सोडाणी ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और नया भारत समस्याओं से टकराकर उन्हें मिटाना जानता है। उन्होंने शिक्षा को समाज हित में उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मंजू बाघमार का संबोधन
मंत्री डॉ. मंजू बाघमार ने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन, विनम्रता और नैतिक मूल्यों से आदर्श नागरिक का निर्माण होता है।
कुलगुरु का संबोधन क्रांतिकारी बदलाव का संकेत
उन्होंने कहा कि राजस्थान के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अब कुलगुरु के नाम से जाना जाएगा। यह उनके सम्मान में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों में मूल्य, मान्यताएं और संवेदनाएं विकसित करने में सहायक सिद्ध होगी। इसके तहत आधुनिक ज्ञान के साथ प्राचीन भारतीय संस्कृति, वैदिक ज्ञान और सनातन मूल्यों को भी महत्व दिया गया है।