रानीनांगल में रोहिंग्या होने की शिकायत पर प्रशासनिक जांच शुरू, 92 मतदाता संदेह के घेरे में
मुरादाबाद जनपद के ब्लॉक भगतपुर टांडा अंतर्गत ग्राम पंचायत रानीनांगल में कथित रूप से रोहिंग्या नागरिकों के निवास को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है। गांव निवासी पूर्व प्रधान के भाई सईदुल हसन द्वारा जिला प्रशासन को दी गई शिकायत के बाद पूरे प्रकरण ने प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और इसकी जिम्मेदारी एसडीएम सदर को सौंपी गई है।
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शिकायतकर्ता सईदुल हसन का आरोप है कि ग्राम रानीनांगल में करीब 92 ऐसे मतदाता हैं, जिनके रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिक होने की आशंका है। उनका कहना है कि इन लोगों की भाषा, रहन-सहन, खान-पान और तहजीब स्थानीय ग्रामीणों से अलग है, जिससे संदेह गहराता है। उन्होंने दावा किया कि ये लोग लंबे समय से गांव में रह रहे हैं और हाल ही में इन्होंने विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) के तहत अपने वोटर लिस्ट से संबंधित फॉर्म भी जमा किए हैं।
जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए वोटर लिस्टों के पुनरीक्षण का कार्य चल रहा था। इसी दौरान गांव के पूर्व प्रधान के भाई द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई कि गांव में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें वह नहीं जानते और जो बाहर से आए प्रतीत होते हैं। शिकायत में स्पष्ट रूप से यह आरोप लगाया गया कि ये लोग रोहिंग्या हैं और इनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाने चाहिए।
जांच के दौरान यह सामने आया कि वर्ष 2025 की मतदाता सूची में इन संदिग्ध लोगों के नाम दर्ज हैं। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि करीब दस लोगों ने वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट का हवाला देते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक ही जिले की डिटेल दिखाकर अपनी पहचान को मैप कराने का प्रयास किया है। यह मामला प्रशासन के लिए और भी संवेदनशील बन गया है, क्योंकि वोटर लिस्ट में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। सभी तथ्यों, दस्तावेजों और प्रमाणों की बारीकी से जांच की जा रही है। प्रशासन यह भी जांच कर रहा है कि इन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और अन्य वैध दस्तावेज हैं या नहीं। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि इनके दस्तावेज किस आधार पर और कब बनाए गए।
वहीं, शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि समय रहते इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की गई, तो पंचायत चुनाव और प्रशासनिक व्यवस्था पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संदिग्ध लोगों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए अलग-अलग तरीकों से दस्तावेज तैयार कराए हैं, जिसकी गहन जांच बेहद जरूरी है।

इस पूरे प्रकरण में स्थानीय ग्रामीणों के बीच भी चर्चाओं का माहौल है। कुछ लोग शिकायतकर्ता के दावों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि वर्षों से गांव में रह रहे लोगों पर इस तरह के आरोप लगाना सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है। प्रशासन का कहना है कि जांच पूरी होने तक किसी भी तरह की अफवाहों से बचना चाहिए।

फिलहाल जिला प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ मामले की जांच में जुटा हुआ है। एसडीएम सदर की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं यदि शिकायत निराधार साबित होती है, तो उसे भी स्पष्ट किया जाएगा। आने वाले समय में यह जांच स्पष्ट कर देगी कि रानीनांगल गांव में लगाए गए ये आरोप कितने सही हैं और सच्चाई क्या है।

