शीतकालीन सत्र में PM Modi का तीखा वार, विपक्ष को दी नसीहत—‘हार की हताशा छोड़ आगे बढ़ें’
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही PM Modi के संबोधन ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया। पीएम ने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि पराजय की हताशा से बाहर निकलकर वे रचनात्मक भूमिका निभाएं। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए उन्होंने विपक्ष की बयानबाजी पर भी सवाल खड़े किए। आगामी विधायी एजेंडा और SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) का मुद्दा भी इस सत्र में गर्मी बढ़ा सकता है। आइए विस्तृत रूप से समझते हैं कि PM Modi ने क्या कहा और इस सत्र में किन विषयों पर टकराव की संभावना है।

PM Modi का तीखा वार: ‘पराजय पचा नहीं पा रहे कुछ दल’
शीतकालीन सत्र की शुरुआत पर PM Modi ने मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष को सीधी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि संसद एक ऐसा मंच है जहाँ देश के लिए सोचने और आगे बढ़ने की रणनीति तैयार होती है। ऐसे में विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा,
“यह सत्र देश के लिए क्या सोच रही है, क्या करना चाहती है, इन मुद्दों पर केंद्रित होना चाहिए। विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, पराजय की निराशा से बाहर निकले।”
PM Modi ने अप्रत्यक्ष रूप से बिहार चुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि कई दल अभी भी पराजय को पचा नहीं पा रहे।
उन्होंने कहा,
“मुझे लग रहा था कि बिहार के नतीजे आने के इतने दिन बाद अब हालात सुधर गए होंगे, लेकिन कल जिन बयानों को सुना, उससे लगता है कि पराजय ने कुछ दलों को अभी भी परेशान कर रखा है।”
उनके इस बयान को विपक्ष के हालिया आरोपों और बयानों का सीधा जवाब माना जा रहा है। पीएम ने कहा कि यह सत्र पराजय की बौखलाहट या विजय के अहंकार का मंच नहीं बनना चाहिए, बल्कि संतुलन और जिम्मेदारी के साथ जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने वाला होना चाहिए।

संसद के एजेंडे पर 14 विधेयक, सरकार पूरी तैयारी में
इस शीतकालीन सत्र में सरकार लगभग 14 विधेयक पेश कर सकती है, जिनमें कई महत्वपूर्ण विधायी प्रस्ताव शामिल होंगे। NDA की बिहार में प्रचंड जीत के बाद सरकार का उत्साह बढ़ा हुआ है और माना जा रहा है कि विधेयकों पर चर्चा और पारित कराने के लिए सरकार आक्रामक रणनीति अपना सकती है।
परंपरागत रूप से शीतकालीन सत्र छोटा होता है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार भी कई अहम विषयों पर बहस की संभावनाएं हैं, जिनमें आर्थिक सुधार, प्रशासनिक नीतियां, चुनाव संबंधित संशोधन और सामाजिक नीतियाँ शामिल हो सकती हैं।
‘संतुलन और सकारात्मकता’ का संदेश
PM Modi ने अपने बयान में सत्र के दौरान व्यवहार और संवाद को लेकर भी स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा:
“बहुत संतुलित तरीके से, जिम्मेदारी निभाते हुए आगे की सोचें—जो अच्छा है उसे और बेहतर कैसे किया जाए, और जो गलत है उस पर सार्थक टिप्पणी कर देश के नागरिकों का ज्ञान बढ़ाया जाए।”
उनका यह संदेश इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार चाहती है सत्र सुचारु रूप से चले और विपक्ष सहयोगी भूमिका निभाए। हालांकि, राजनीतिक तापमान पहले से ही ऊंचा है, ऐसे में यह कितना संभव होगा, यह आने वाले दिनों में दिखेगा।
SIR मुद्दा बढ़ाएगा सत्र का पारा
इस सत्र के संभावित विवादास्पद मुद्दों में मुख्य रहेगा—SIR (Special Intensive Revision)।
सूत्रों के अनुसार, विपक्ष इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने की तैयारी में है। कई विपक्षी दलों ने पहले ही SIR को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है।
सरकार की ओर से संकेत मिला है कि वह SIR पर अपने पक्ष को दृढ़ता से पेश करेगी, जबकि विपक्ष इसे चुनावी निष्पक्षता और मतदाता सूची अपडेट से जोड़कर बड़ा मुद्दा बनाने जा रहा है। ऐसे में यह विषय संसद में गर्मागर्मी बढ़ा सकता है।

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